Comments - डूबता जहाज - Open Books Online2024-03-29T14:13:28Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A890654&xn_auth=noधर्म और परम्परा ... दोनों ही…tag:openbooksonline.com,2017-11-04:5170231:Comment:8950552017-11-04T06:43:43.973Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>धर्म और परम्परा ... दोनों ही हमारी सच्ची श्रद्धा पर निर्भर होने चाहिए, परन्तु आजकल दोनो ही दिखावे के लिए, मनमोजी के लिए, हो गए हैं। प्रभावशाली रचना के लिए बधाई।</p>
<p>धर्म और परम्परा ... दोनों ही हमारी सच्ची श्रद्धा पर निर्भर होने चाहिए, परन्तु आजकल दोनो ही दिखावे के लिए, मनमोजी के लिए, हो गए हैं। प्रभावशाली रचना के लिए बधाई।</p> आद0 डॉ आशुतोष जी सादर अभिवादन…tag:openbooksonline.com,2017-10-23:5170231:Comment:8914502017-10-23T07:50:05.608Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
आद0 डॉ आशुतोष जी सादर अभिवादन। बेबाकी से अपनी बात लघुकथा के माध्यम से कही आपने। धर्म और परम्परायें जीने के लिए होती है। आज धर्म की आड़ लेकर और परम्परा क़ई की दुहाई देकर पटाखे छोड़े जा रहे है। माननीय न्यायालय के आदेश को ठेंगा दिखाया जा रहा है। समझकर नासमझ बनने की होड़ मची है। इस विचारोत्तेजक लघुकथा पर बधाई।
आद0 डॉ आशुतोष जी सादर अभिवादन। बेबाकी से अपनी बात लघुकथा के माध्यम से कही आपने। धर्म और परम्परायें जीने के लिए होती है। आज धर्म की आड़ लेकर और परम्परा क़ई की दुहाई देकर पटाखे छोड़े जा रहे है। माननीय न्यायालय के आदेश को ठेंगा दिखाया जा रहा है। समझकर नासमझ बनने की होड़ मची है। इस विचारोत्तेजक लघुकथा पर बधाई। बढ़िया प्रस्तुति | हार्दिक बधा…tag:openbooksonline.com,2017-10-22:5170231:Comment:8912012017-10-22T16:06:08.873ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p>बढ़िया प्रस्तुति | हार्दिक बधाई आदरणीय |</p>
<p>बढ़िया प्रस्तुति | हार्दिक बधाई आदरणीय |</p> बेहतरीन प्रस्तुति! काश कि धर्…tag:openbooksonline.com,2017-10-22:5170231:Comment:8914302017-10-22T15:44:23.875ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p>बेहतरीन प्रस्तुति! काश कि धर्मोन्माद मत्त लोग समझ पाते इसे!</p>
<p>बेहतरीन प्रस्तुति! काश कि धर्मोन्माद मत्त लोग समझ पाते इसे!</p> आदरणीय डॉo आशुतोष मिश्रा जी ,…tag:openbooksonline.com,2017-10-20:5170231:Comment:8906872017-10-20T13:30:42.547ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
आदरणीय डॉo आशुतोष मिश्रा जी , बहुत है सही विषय है , पर बहुत कम लोग इसे देख पा रहे हैं। प्रभावित सब हैं , पर समझ नहीं पा रहें हैं। बधाई , इस प्रस्तुति पर , सादर।
आदरणीय डॉo आशुतोष मिश्रा जी , बहुत है सही विषय है , पर बहुत कम लोग इसे देख पा रहे हैं। प्रभावित सब हैं , पर समझ नहीं पा रहें हैं। बधाई , इस प्रस्तुति पर , सादर। आदरणीय आरिफ जी मेरे हर प्रयास…tag:openbooksonline.com,2017-10-20:5170231:Comment:8908582017-10-20T12:55:45.573ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooksonline.com/profile/DrAshutoshMishra
आदरणीय आरिफ जी मेरे हर प्रयास पर आपका मार्गदर्शन करना, उत्साह वर्धन करना और मेरी हर गलती को उद्धृत करके आओ मुझे सतत हौसला देते हैं ।।आपकी इस प्रतिक्रिया से मैं बहुत उत्साहित हूँ । सादर
आदरणीय आरिफ जी मेरे हर प्रयास पर आपका मार्गदर्शन करना, उत्साह वर्धन करना और मेरी हर गलती को उद्धृत करके आओ मुझे सतत हौसला देते हैं ।।आपकी इस प्रतिक्रिया से मैं बहुत उत्साहित हूँ । सादर आदरणीय सलीम जी रचना पर आपकी प…tag:openbooksonline.com,2017-10-20:5170231:Comment:8909492017-10-20T12:52:27.935ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooksonline.com/profile/DrAshutoshMishra
आदरणीय सलीम जी रचना पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभारी हूँ साद र
आदरणीय सलीम जी रचना पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभारी हूँ साद र आदरणीय आशुतोष जी आदाब, बहुत ह…tag:openbooksonline.com,2017-10-20:5170231:Comment:8907712017-10-20T12:27:53.384ZMohammed Arifhttp://openbooksonline.com/profile/MohammedArif
आदरणीय आशुतोष जी आदाब, बहुत ही प्रभावशाली पेशकश । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय आशुतोष जी आदाब, बहुत ही प्रभावशाली पेशकश । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । आ. आशुतोष जी ख़ूबसूरत रचना के…tag:openbooksonline.com,2017-10-20:5170231:Comment:8907692017-10-20T12:22:53.671ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
आ. आशुतोष जी ख़ूबसूरत रचना के लिए बधाई...<br />
" कौन सी सरकार, कौन से सख्त कदम...आखों पे पट्टी बांधे न्याय की देवी ने न्याय की बात करते हुए रोक लगाई तो थी पटाखों पर.....कितना हंगामा किया था ठेकेदारों ने...न्याय की देवी की आखो से पट्टी हटाकर न्याय के नाम पर हुए क्रियान्वन को देखने तक की हिम्मत नहीं हुयी"राहुल के स्वर में आक्रोश झलक रहा था।..... वाह
आ. आशुतोष जी ख़ूबसूरत रचना के लिए बधाई...<br />
" कौन सी सरकार, कौन से सख्त कदम...आखों पे पट्टी बांधे न्याय की देवी ने न्याय की बात करते हुए रोक लगाई तो थी पटाखों पर.....कितना हंगामा किया था ठेकेदारों ने...न्याय की देवी की आखो से पट्टी हटाकर न्याय के नाम पर हुए क्रियान्वन को देखने तक की हिम्मत नहीं हुयी"राहुल के स्वर में आक्रोश झलक रहा था।..... वाह आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी आ…tag:openbooksonline.com,2017-10-20:5170231:Comment:8906742017-10-20T11:54:04.021ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooksonline.com/profile/DrAshutoshMishra
आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी आपकी प्रतिक्रिया से मुझे इस विधा में लेखन की बारीकियो का पता चलता है मैं आपके मार्गदर्शन के अनुरूप सुधार करने का प्रयास करूंगा । रचना पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभारी हूँ सादर प्रणाम के साथ
आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी आपकी प्रतिक्रिया से मुझे इस विधा में लेखन की बारीकियो का पता चलता है मैं आपके मार्गदर्शन के अनुरूप सुधार करने का प्रयास करूंगा । रचना पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभारी हूँ सादर प्रणाम के साथ