Comments - जानामि त्वां प्रकृतिपुरुषं कामरूपं मघोन:[कालिदास कृत ‘मेघदूत’ की कथा-वस्तु , तीसरा और अंतिम भाग ] - डॉ० गोपाल नारायण श्रीवास्तव - Open Books Online2024-03-28T11:50:41Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A891374&xn_auth=noआ० अजय जी आपकी साहित्यिक रूच…tag:openbooksonline.com,2017-10-30:5170231:Comment:8930792017-10-30T13:46:44.072Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आ० अजय जी आपकी साहित्यिक रूचि को नमन</p>
<p>आ० अजय जी आपकी साहित्यिक रूचि को नमन</p> आ० समर कबीर जी आपका आभारtag:openbooksonline.com,2017-10-30:5170231:Comment:8929892017-10-30T13:45:59.057Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आ० समर कबीर जी आपका आभार</p>
<p>आ० समर कबीर जी आपका आभार</p> आदरणीय गोपाल नारायण जी, कथा व…tag:openbooksonline.com,2017-10-24:5170231:Comment:8915582017-10-24T05:58:48.693ZAjay Tiwarihttp://openbooksonline.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय गोपाल नारायण जी,<br/> कथा वास्तु की इस इस प्रस्तुति में एक मौलिक रचना का आस्वाद है. इसीलिए मैंने पिछली बार इसे पुनर्रचना कहा था. बीच बीच में आपके द्वारा की गयी टिप्पणियों ने इसे और उपादेय बना दिया है.<br/> हार्दिक शुभकामनाएं.<br/>
सादर</p>
<p>आदरणीय गोपाल नारायण जी,<br/> कथा वास्तु की इस इस प्रस्तुति में एक मौलिक रचना का आस्वाद है. इसीलिए मैंने पिछली बार इसे पुनर्रचना कहा था. बीच बीच में आपके द्वारा की गयी टिप्पणियों ने इसे और उपादेय बना दिया है.<br/> हार्दिक शुभकामनाएं.<br/>
सादर</p> जनाब गोपाल नारायण जी आदाब,सुं…tag:openbooksonline.com,2017-10-23:5170231:Comment:8916242017-10-23T14:52:10.242ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब गोपाल नारायण जी आदाब,सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।
जनाब गोपाल नारायण जी आदाब,सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।