Comments - अब भी क़ायम है(ग़ज़ल)- बलराम धाकड़ - Open Books Online2024-03-29T09:35:42Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A894473&xn_auth=noबहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय लक्…tag:openbooksonline.com,2017-12-25:5170231:Comment:9057522017-12-25T05:59:25.884ZBalram Dhakarhttp://openbooksonline.com/profile/BalramDhakar
<p>बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण जी।</p>
<p>सादर।</p>
<p>बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण जी।</p>
<p>सादर।</p> सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बध…tag:openbooksonline.com,2017-11-12:5170231:Comment:8966422017-11-12T03:55:45.071Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।
सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई । आदरणीय आशुतोष जी,ग़ज़ल में शि…tag:openbooksonline.com,2017-11-10:5170231:Comment:8961412017-11-10T12:19:21.155ZBalram Dhakarhttp://openbooksonline.com/profile/BalramDhakar
आदरणीय आशुतोष जी,ग़ज़ल में शिरक़त, सुखन नवाज़ी और हौसला अफ़जाई का बहुत बहुत शुक्रिया।<br />
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सादर।
आदरणीय आशुतोष जी,ग़ज़ल में शिरक़त, सुखन नवाज़ी और हौसला अफ़जाई का बहुत बहुत शुक्रिया।<br />
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सादर। आदरणीय धर्मेंद्र जी,ग़ज़ल में…tag:openbooksonline.com,2017-11-10:5170231:Comment:8961362017-11-10T12:12:37.198ZBalram Dhakarhttp://openbooksonline.com/profile/BalramDhakar
आदरणीय धर्मेंद्र जी,ग़ज़ल में शिरक़त और हौसला अफ़जाई का बहुत बहुत शुक्रिया।<br />
सादर
आदरणीय धर्मेंद्र जी,ग़ज़ल में शिरक़त और हौसला अफ़जाई का बहुत बहुत शुक्रिया।<br />
सादर यक़ीनन छोड़ दी हम सबने अब शर्मि…tag:openbooksonline.com,2017-11-10:5170231:Comment:8960042017-11-10T11:08:06.031ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooksonline.com/profile/DrAshutoshMishra
<p><span>यक़ीनन छोड़ दी हम सबने अब शर्मिन्दगी लेकिन,</span><br></br><span>हया का आँख में थोड़ा सा पानी अब भी क़ाइम है।.....................बहुत पसंद आया </span></p>
<p><span><span>धड़कना दिल ने कुछ कम कर दिया, इस दौर में लेकिन,</span><br></br><span>लहू के चंद क़तरों में रवानी अब भी क़ाइम है।...lलहू के चंद कतरों में ..रवानी ..सिर्फ कुछ कतरों में रवानी इस पर संशय की स्थिति में हूँ </span><br></br><span>मुख़ालिफ़ ज़ुल्म के कुछ लोग जो आए हैं सड़कों पर,</span><br></br><span>ये जोख़िम ये बताता है, जवानी अब भी क़ाइम है।..ये भी…</span></span></p>
<p><span>यक़ीनन छोड़ दी हम सबने अब शर्मिन्दगी लेकिन,</span><br/><span>हया का आँख में थोड़ा सा पानी अब भी क़ाइम है।.....................बहुत पसंद आया </span></p>
<p><span><span>धड़कना दिल ने कुछ कम कर दिया, इस दौर में लेकिन,</span><br/><span>लहू के चंद क़तरों में रवानी अब भी क़ाइम है।...lलहू के चंद कतरों में ..रवानी ..सिर्फ कुछ कतरों में रवानी इस पर संशय की स्थिति में हूँ </span><br/><span>मुख़ालिफ़ ज़ुल्म के कुछ लोग जो आए हैं सड़कों पर,</span><br/><span>ये जोख़िम ये बताता है, जवानी अब भी क़ाइम है।..ये भी बढ़िया लगा </span><br/></span></p>
<p><span><span><span>ये सच है, मिल गई है उसमें अब बारूद की कुछ बू,</span><br/><span>मगर घाटी में खु़शबू जाफ़रानी अब भी क़ाइम है।..वाह </span></span></span></p>
<p><span><span><span><span>कि धरती की हरीरी छीन ली अपनी तरक्क़ी ने, </span><br/><span>मग़र अम्बर की रंगत आसमानी अब भी क़ाइम है......आसमान के हालात भी धरती जैसे ही हो गए हैं अब तो ..</span></span></span></span></p>
<p><span><span><span><span><span>हमारे गाँव ने ख़ुद को बहुत महफ़ूज़ रक्खा है,</span><br/><span>रवायत हर पुरानी से पुरानी अब भी क़ाइम है।...ये खुशनसीबी अब हर गाँव वाले को नसीब नहीं है </span></span></span></span></span></p>
<p>बेहतरीन शेरो की इस ग़ज़ल पर ढेर सारी बधाई आदरणीय बलराम जी </p> बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय…tag:openbooksonline.com,2017-11-10:5170231:Comment:8958022017-11-10T08:47:29.726Zधर्मेन्द्र कुमार सिंहhttp://openbooksonline.com/profile/249pje3yd1r3m
<p><span>बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय बलराम जी, बधाई स्वीकार करें।</span></p>
<p><span>बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय बलराम जी, बधाई स्वीकार करें।</span></p> आदरणीय अजय जी,ग़ज़ल में शिरक़…tag:openbooksonline.com,2017-11-06:5170231:Comment:8955292017-11-06T12:58:34.694ZBalram Dhakarhttp://openbooksonline.com/profile/BalramDhakar
आदरणीय अजय जी,ग़ज़ल में शिरक़त और हौसला अफ़जाई का बहुत बहुत शुक्रिया।<br />
सादर
आदरणीय अजय जी,ग़ज़ल में शिरक़त और हौसला अफ़जाई का बहुत बहुत शुक्रिया।<br />
सादर आदरणीय ब्रजेश जी,
हौसला अफ़जा…tag:openbooksonline.com,2017-11-06:5170231:Comment:8955282017-11-06T12:57:15.714ZBalram Dhakarhttp://openbooksonline.com/profile/BalramDhakar
आदरणीय ब्रजेश जी,<br />
हौसला अफ़जाई का बहुत बहुत शुक्रिया।<br />
सादर
आदरणीय ब्रजेश जी,<br />
हौसला अफ़जाई का बहुत बहुत शुक्रिया।<br />
सादर आदरणीय समर सर, ग़ज़ल में आपकी…tag:openbooksonline.com,2017-11-06:5170231:Comment:8952742017-11-06T12:56:13.796ZBalram Dhakarhttp://openbooksonline.com/profile/BalramDhakar
आदरणीय समर सर, ग़ज़ल में आपकी शिरक़त और हौसला अफ़जाई का बहुत बहुत शुक्रिया।<br />
आपकी समझाइश और सुझाव हमेशा ही बेशकीमती और इसीलिये शिरोधार्य होते हैं।<br />
सादर।
आदरणीय समर सर, ग़ज़ल में आपकी शिरक़त और हौसला अफ़जाई का बहुत बहुत शुक्रिया।<br />
आपकी समझाइश और सुझाव हमेशा ही बेशकीमती और इसीलिये शिरोधार्य होते हैं।<br />
सादर। आदरणीय बलराम जी, अच्छी ग़ज़ल हु…tag:openbooksonline.com,2017-11-06:5170231:Comment:8952562017-11-06T05:27:56.266ZAjay Tiwarihttp://openbooksonline.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय बलराम जी,<br/> अच्छी ग़ज़ल हुई है हार्दिक शुभकामनाएं.<br/> सादर</p>
<p>आदरणीय बलराम जी,<br/> अच्छी ग़ज़ल हुई है हार्दिक शुभकामनाएं.<br/> सादर</p>