Comments - ‘गेम’ (लघुकथा 'राज') - Open Books Online2024-03-29T04:50:30Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A894561&xn_auth=noआप सही कहते हैं आद० लक्ष्मण ज…tag:openbooksonline.com,2017-11-03:5170231:Comment:8951292017-11-03T14:10:33.973Zrajesh kumarihttp://openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>आप सही कहते हैं आद० लक्ष्मण जी, सच में संवेदनहीनता व् भावप्रदूष्ण बढ़ रहा है | पर इस गेम के पीछे दो कारण हैं अर्थात दो तरह की मानसिकता वाले बच्चे शामिल हो रहे हैं एक तो जो अकेले हैं अर्थात जिनको कोई मोरल सपोर्ट या घरवालो का प्यार नहीं मिल रहा अर्थात उन पर कोई ध्यान ही नहीं दे रहा .दुसरे जो चेलेंज के भूखे हैं जीवन में चेलेंज एक्सेप्ट करते हैं | दोनों ही स्थिति नाजुक हैं .माता पिता अपने में व्यस्त हैं सबके हाथों में गेजेट हैं किसी को किसी की फ़िक्र नहीं है होश तब आटा है जब बात हाथों से निकल चुकी…</p>
<p>आप सही कहते हैं आद० लक्ष्मण जी, सच में संवेदनहीनता व् भावप्रदूष्ण बढ़ रहा है | पर इस गेम के पीछे दो कारण हैं अर्थात दो तरह की मानसिकता वाले बच्चे शामिल हो रहे हैं एक तो जो अकेले हैं अर्थात जिनको कोई मोरल सपोर्ट या घरवालो का प्यार नहीं मिल रहा अर्थात उन पर कोई ध्यान ही नहीं दे रहा .दुसरे जो चेलेंज के भूखे हैं जीवन में चेलेंज एक्सेप्ट करते हैं | दोनों ही स्थिति नाजुक हैं .माता पिता अपने में व्यस्त हैं सबके हाथों में गेजेट हैं किसी को किसी की फ़िक्र नहीं है होश तब आटा है जब बात हाथों से निकल चुकी होती है | बहुत बहुत शुक्रिया मनोवैज्ञानिक विश्लेषण हेतु </p> जैसे जैसे डिजिटल टेकनोलोजी वि…tag:openbooksonline.com,2017-11-03:5170231:Comment:8946992017-11-03T06:25:54.667Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://openbooksonline.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p>जैसे जैसे डिजिटल टेकनोलोजी विकसित हो रही है, नए नए आतंक भी सामने आ रहे है | जब हर व्यक्ति के हाथ में मोबाइल से चित्र लेना आसान हो गया तब से सभी क्षेत्रों में सवेदन हीनता और भाव-प्रदुषण बढ़ा है | सुंदर लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई आ. राजेश कुमारी जी</p>
<p>जैसे जैसे डिजिटल टेकनोलोजी विकसित हो रही है, नए नए आतंक भी सामने आ रहे है | जब हर व्यक्ति के हाथ में मोबाइल से चित्र लेना आसान हो गया तब से सभी क्षेत्रों में सवेदन हीनता और भाव-प्रदुषण बढ़ा है | सुंदर लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई आ. राजेश कुमारी जी</p> आद० डॉ० विजय शंकर जी ,आपकी बा…tag:openbooksonline.com,2017-11-03:5170231:Comment:8944992017-11-03T04:02:59.257Zrajesh kumarihttp://openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>आद० डॉ० विजय शंकर जी ,आपकी बात सही है न जाने आज की हवा में क्या हो रहा है जो आक्सीजन नहीं कार्बनडाईआक्साइड ही बांट रही है बच्चो में .बहुत बहुत शुक्रिया अपने विचार रखने के लिए . </p>
<p>आद० डॉ० विजय शंकर जी ,आपकी बात सही है न जाने आज की हवा में क्या हो रहा है जो आक्सीजन नहीं कार्बनडाईआक्साइड ही बांट रही है बच्चो में .बहुत बहुत शुक्रिया अपने विचार रखने के लिए . </p> आदरणीय सुश्री राजेश कुमारी जी…tag:openbooksonline.com,2017-11-03:5170231:Comment:8946912017-11-03T03:55:02.510ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
आदरणीय सुश्री राजेश कुमारी जी , इस सांकेतिक लघु-कथा के लिए बधाई। जब किसी की अपनी समय के साथ चलने वाली शिक्षा , संस्कृति और समझ नहीं होती है तो वह पूरा का पूरा समूह ब्रेन वॉश्ड हो जाता है। सबसे अधिक वह राजनीती से प्रभावित होता है। लुटता है और जिनसे लुटता हैं उन्हें ही पूजता भी है।<br />
सादर।
आदरणीय सुश्री राजेश कुमारी जी , इस सांकेतिक लघु-कथा के लिए बधाई। जब किसी की अपनी समय के साथ चलने वाली शिक्षा , संस्कृति और समझ नहीं होती है तो वह पूरा का पूरा समूह ब्रेन वॉश्ड हो जाता है। सबसे अधिक वह राजनीती से प्रभावित होता है। लुटता है और जिनसे लुटता हैं उन्हें ही पूजता भी है।<br />
सादर। आद० बृजेश कुमार जी ,आपको लघु…tag:openbooksonline.com,2017-11-03:5170231:Comment:8946902017-11-03T03:54:03.749Zrajesh kumarihttp://openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>आद० बृजेश कुमार जी ,आपको लघु कथा अच्छी लगी मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत आभारी हूँ </p>
<p>आद० बृजेश कुमार जी ,आपको लघु कथा अच्छी लगी मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत आभारी हूँ </p> बेहतरीन कथा हुई आदरणीया..बधाईtag:openbooksonline.com,2017-11-02:5170231:Comment:8944902017-11-02T15:00:24.221Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
बेहतरीन कथा हुई आदरणीया..बधाई
बेहतरीन कथा हुई आदरणीया..बधाई आद० उस्मानी जी ,आपने लघु कथा…tag:openbooksonline.com,2017-11-02:5170231:Comment:8944882017-11-02T14:09:05.430Zrajesh kumarihttp://openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>आद० उस्मानी जी ,आपने लघु कथा के मर्म तक पँहुचने की पूर्णतः कोशिश की है बहुत बढिया विश्लेषण किया है .आजकल जहाँ तहां इस जानलेवा ब्लू व्हेल गेम में बच्चे फँस कर अपनी या दूसरों की जान ले रहे हैं एक से एक चेलेंजफुल टास्क करवाया जाता है उनसे विदेशों से चला ये गेम भारत के हर कोने में प्रवेश कर चुका है .ये आज के प्रगतिशील वक़्त के गेजेट का सबसे विद्रूप चेहरा है बच्चों का इस तरह ब्रेनवाश किया जा रहा है की उनकी खुद की सोचने समझने की शक्ति विलुप्त होती जा रही है ,इस करेंट समस्या पर प्रकाश डालने की…</p>
<p>आद० उस्मानी जी ,आपने लघु कथा के मर्म तक पँहुचने की पूर्णतः कोशिश की है बहुत बढिया विश्लेषण किया है .आजकल जहाँ तहां इस जानलेवा ब्लू व्हेल गेम में बच्चे फँस कर अपनी या दूसरों की जान ले रहे हैं एक से एक चेलेंजफुल टास्क करवाया जाता है उनसे विदेशों से चला ये गेम भारत के हर कोने में प्रवेश कर चुका है .ये आज के प्रगतिशील वक़्त के गेजेट का सबसे विद्रूप चेहरा है बच्चों का इस तरह ब्रेनवाश किया जा रहा है की उनकी खुद की सोचने समझने की शक्ति विलुप्त होती जा रही है ,इस करेंट समस्या पर प्रकाश डालने की कोशिश की है इस लघु कथा में .बहुत बहुत शुक्रिया आपका .</p> मोबाइल चैलेंज और दुनिया में त…tag:openbooksonline.com,2017-11-02:5170231:Comment:8945812017-11-02T11:01:54.648ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
मोबाइल चैलेंज और दुनिया में ताक़तों के चैलेंज के खेलों के संग कैमरा कल्चर की संवेदनहीनता पर रौशनी डालती बेहतरीन प्रतीकात्मक कटाक्षपूर्ण व विचारोत्तेजक रचना के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरमा राजेश कुमारी साहिबा। अंग्रेज़ी संवाद भी इस कुसंस्कृति का ही हिस्सा है। ब्लू व्हेल चैलेंज जैसे गेम ही अहंकारी शक्तियां और आतंकी और यहां तक कि हिटलरी राजनीतिक दल भी खेल रहे हैं किसी न किसी रूप में। सादर। कृपया मार्गदर्शन करें कि मैं लघुकथा को सही तरह से समझ सका या नहीं? वैसे यह शैली ज़रा कठिन हो गई…
मोबाइल चैलेंज और दुनिया में ताक़तों के चैलेंज के खेलों के संग कैमरा कल्चर की संवेदनहीनता पर रौशनी डालती बेहतरीन प्रतीकात्मक कटाक्षपूर्ण व विचारोत्तेजक रचना के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरमा राजेश कुमारी साहिबा। अंग्रेज़ी संवाद भी इस कुसंस्कृति का ही हिस्सा है। ब्लू व्हेल चैलेंज जैसे गेम ही अहंकारी शक्तियां और आतंकी और यहां तक कि हिटलरी राजनीतिक दल भी खेल रहे हैं किसी न किसी रूप में। सादर। कृपया मार्गदर्शन करें कि मैं लघुकथा को सही तरह से समझ सका या नहीं? वैसे यह शैली ज़रा कठिन हो गई है यहां।