Comments - हरेक ज़ुल्म गुनाह-ओ- ख़ता से डरते हैं - सलीम रज़ा रीवा ( ग़ज़ल ) - Open Books Online2024-03-28T14:26:53Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A896142&xn_auth=noआली जनाब तस्दीक़ साहिब ,आपकी ग़…tag:openbooksonline.com,2017-11-16:5170231:Comment:8972362017-11-16T06:32:09.844ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
<p>आली जनाब तस्दीक़ साहिब ,<br/>आपकी ग़ज़ल पे शिरकत और महब्बत के लिए शुक्रिया ,</p>
<p>आली जनाब तस्दीक़ साहिब ,<br/>आपकी ग़ज़ल पे शिरकत और महब्बत के लिए शुक्रिया ,</p> दरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुश…tag:openbooksonline.com,2017-11-16:5170231:Comment:8973092017-11-16T06:31:55.610ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
<p>दरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी ,<br/>आपकी नवाजिश के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।</p>
<p>दरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी ,<br/>आपकी नवाजिश के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।</p> जनाब सलीम साहिब , उम्दा ग़ज़ल…tag:openbooksonline.com,2017-11-16:5170231:Comment:8972262017-11-16T05:24:28.061ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>जनाब सलीम साहिब , उम्दा ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ </p>
<p>जनाब सलीम साहिब , उम्दा ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ </p> सुरेंद्र नाथ जी,
आपकी ग़ज़ल प…tag:openbooksonline.com,2017-11-15:5170231:Comment:8970772017-11-15T11:04:49.443ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
सुरेंद्र नाथ जी,<br />
आपकी ग़ज़ल पर शिर्कत और आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया,
सुरेंद्र नाथ जी,<br />
आपकी ग़ज़ल पर शिर्कत और आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया, ख़ता-मुआ'फ़ तो होती है जानते…tag:openbooksonline.com,2017-11-15:5170231:Comment:8970642017-11-15T08:46:25.726Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
ख़ता-मुआ'फ़ तो होती है जानते हैं रज़ा.<br />
मगर गुनाह कि हम इंतिहा से डरते है<br />
आद0 सलीम रज़ा रीवा साहब सादर अभिवादन, बहुत बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने, लगभग हरेक शैर कुछ न् कुछ बयानी करता है जो सीधे वाह वाह कहने पर मजबूर कर रहा है, उस ग़ज़ल पर शैर दर शैर मुबारकबाद और दाद कबूल करें।सादर
ख़ता-मुआ'फ़ तो होती है जानते हैं रज़ा.<br />
मगर गुनाह कि हम इंतिहा से डरते है<br />
आद0 सलीम रज़ा रीवा साहब सादर अभिवादन, बहुत बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने, लगभग हरेक शैर कुछ न् कुछ बयानी करता है जो सीधे वाह वाह कहने पर मजबूर कर रहा है, उस ग़ज़ल पर शैर दर शैर मुबारकबाद और दाद कबूल करें।सादर आली जनाब समर साहब,
ग़ज़ल में…tag:openbooksonline.com,2017-11-14:5170231:Comment:8967992017-11-14T14:07:47.898ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
आली जनाब समर साहब,<br />
ग़ज़ल में आपकी शिरकत से से हौसला मिलता है, लेकिन माफ़ी चाहूंगा पर शायद आप तबीयत के वज़ह या और कुछ वज़ह से मेरी ग़ज़लों को दिल से नहीं देख रहें है, मुझे अक़ीदा है कि आप के दिल से देखने के बाद कोई कमी छूटने नहीं पाती, पर अब आप कमिओं को नज़र अंदाज़ कर देते हैं... माफ़ी के साथ ये नाचीज़..
आली जनाब समर साहब,<br />
ग़ज़ल में आपकी शिरकत से से हौसला मिलता है, लेकिन माफ़ी चाहूंगा पर शायद आप तबीयत के वज़ह या और कुछ वज़ह से मेरी ग़ज़लों को दिल से नहीं देख रहें है, मुझे अक़ीदा है कि आप के दिल से देखने के बाद कोई कमी छूटने नहीं पाती, पर अब आप कमिओं को नज़र अंदाज़ कर देते हैं... माफ़ी के साथ ये नाचीज़.. आ विजय जी, आपकी ग़ज़ल पर शिर्…tag:openbooksonline.com,2017-11-14:5170231:Comment:8968282017-11-14T14:02:02.386ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
आ विजय जी, आपकी ग़ज़ल पर शिर्कत के लिए शुक्रिया.
आ विजय जी, आपकी ग़ज़ल पर शिर्कत के लिए शुक्रिया. आ. आशुतोष मिश्रा जी,
आपकी महब…tag:openbooksonline.com,2017-11-14:5170231:Comment:8969472017-11-14T14:00:27.955ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
आ. आशुतोष मिश्रा जी,<br />
आपकी महब्बत के लिए शुक्रिया, महब्बत सलामत रहे.
आ. आशुतोष मिश्रा जी,<br />
आपकी महब्बत के लिए शुक्रिया, महब्बत सलामत रहे. आ. बृजेश जी,
आपकी नज़रे इनायत…tag:openbooksonline.com,2017-11-14:5170231:Comment:8969462017-11-14T13:58:39.712ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
आ. बृजेश जी,<br />
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया, महब्बत सलामत रहे,
आ. बृजेश जी,<br />
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया, महब्बत सलामत रहे, आ. दीदी राजेश कुमारी जी,
आपकी…tag:openbooksonline.com,2017-11-14:5170231:Comment:8969452017-11-14T13:57:58.191ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
आ. दीदी राजेश कुमारी जी,<br />
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया, आपकी महब्बत सलामत रहे.
आ. दीदी राजेश कुमारी जी,<br />
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया, आपकी महब्बत सलामत रहे.