Comments - मुहब्बत भी निभाना अब सज़ा होने लगा है - Open Books Online2024-03-29T08:51:16Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A897468&xn_auth=noबिल्कुल, समय मिलते ही इन्हें…tag:openbooksonline.com,2017-12-01:5170231:Comment:9008002017-12-01T16:56:36.275Zप्रदीप कुमार पाण्डेय 'दीप'http://openbooksonline.com/profile/0ayrsuv60af6r
बिल्कुल, समय मिलते ही इन्हें दुरुस्त करूँगा।
बिल्कुल, समय मिलते ही इन्हें दुरुस्त करूँगा। तो,इन मिसरों को पटल पर दुरुस्…tag:openbooksonline.com,2017-12-01:5170231:Comment:9007992017-12-01T15:34:27.009ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
तो,इन मिसरों को पटल पर दुरुस्त कर लीजिये न?
तो,इन मिसरों को पटल पर दुरुस्त कर लीजिये न? जनाब समर कबीर साहिब!
सलाह दे…tag:openbooksonline.com,2017-12-01:5170231:Comment:9009572017-12-01T15:15:51.144Zप्रदीप कुमार पाण्डेय 'दीप'http://openbooksonline.com/profile/0ayrsuv60af6r
<p>जनाब समर कबीर साहिब!</p>
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<p>सलाह देने के लिए शुक्रिया. बिलकुल सही कहा अपने रब्त नहीं है. क्योकि मुझे भी यह मिसरे पढने में समस्या हो रही है.</p>
<p>जनाब समर कबीर साहिब!</p>
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<p>सलाह देने के लिए शुक्रिया. बिलकुल सही कहा अपने रब्त नहीं है. क्योकि मुझे भी यह मिसरे पढने में समस्या हो रही है.</p> आद० सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक…tag:openbooksonline.com,2017-12-01:5170231:Comment:9008822017-12-01T15:13:43.073Zप्रदीप कुमार पाण्डेय 'दीप'http://openbooksonline.com/profile/0ayrsuv60af6r
<p>आद० <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh" class="fn url">सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'</a><span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani" class="fn url"><br/></a></p>
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<p>तहे दिल से शुक्रिया </p>
<p>आद० <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh" class="fn url">सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'</a><span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani" class="fn url"><br/></a></p>
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<p>तहे दिल से शुक्रिया </p> आद० बासुदेव अग्रवाल 'नमन' दाद…tag:openbooksonline.com,2017-12-01:5170231:Comment:9008812017-12-01T15:12:22.136Zप्रदीप कुमार पाण्डेय 'दीप'http://openbooksonline.com/profile/0ayrsuv60af6r
<p>आद० बासुदेव अग्रवाल 'नमन' दादा जी,</p>
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<p>बहुत बहुत धन्यवाद.</p>
<p>आद० बासुदेव अग्रवाल 'नमन' दादा जी,</p>
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<p>बहुत बहुत धन्यवाद.</p> मुहतरम शेख शहजाद उस्मानी साहि…tag:openbooksonline.com,2017-12-01:5170231:Comment:9007942017-12-01T15:11:16.258Zप्रदीप कुमार पाण्डेय 'दीप'http://openbooksonline.com/profile/0ayrsuv60af6r
<p>मुहतरम शेख शहजाद उस्मानी साहिब. <br/><br/>ग़ज़ल में शिरकत और हौसला आफजाई के लिए शुक्रिया</p>
<p>मुहतरम शेख शहजाद उस्मानी साहिब. <br/><br/>ग़ज़ल में शिरकत और हौसला आफजाई के लिए शुक्रिया</p> बहुत खूबसूरत एहसास । हार्दिक…tag:openbooksonline.com,2017-11-23:5170231:Comment:8981742017-11-23T05:56:57.335Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>बहुत खूबसूरत एहसास । हार्दिक बधाई।</p>
<p>बहुत खूबसूरत एहसास । हार्दिक बधाई।</p> वाह बहुतखूब ग़ज़ल हुई.. बधाईtag:openbooksonline.com,2017-11-21:5170231:Comment:8982282017-11-21T07:26:49.385Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
वाह बहुतखूब ग़ज़ल हुई.. बधाई
वाह बहुतखूब ग़ज़ल हुई.. बधाई जनाब प्रदीप साहिब ,ग़ज़ल की अच्…tag:openbooksonline.com,2017-11-20:5170231:Comment:8980162017-11-20T03:09:47.601ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
जनाब प्रदीप साहिब ,ग़ज़ल की अच्छी कोशिश की है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं । मुहतरम समर साहिब की बातों पर गौर करें
जनाब प्रदीप साहिब ,ग़ज़ल की अच्छी कोशिश की है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं । मुहतरम समर साहिब की बातों पर गौर करें ज़माना फिर न जाने क्यों ख़फ़ा…tag:openbooksonline.com,2017-11-20:5170231:Comment:8977852017-11-20T02:37:37.385ZMohammed Arifhttp://openbooksonline.com/profile/MohammedArif
ज़माना फिर न जाने क्यों ख़फ़ा होने लगा है।<br />
मुहब्बत भी निभाना अब सज़ा होने लगा है।। वाह! वाह!! बहुत माक़ूल बात कही आपने । ज़माना तो सदियों से प्यार का शत्रु रहा है ।<br />
बहुत ही उम्दा ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय प्रदीप कुमार पाण्डे जी ।
ज़माना फिर न जाने क्यों ख़फ़ा होने लगा है।<br />
मुहब्बत भी निभाना अब सज़ा होने लगा है।। वाह! वाह!! बहुत माक़ूल बात कही आपने । ज़माना तो सदियों से प्यार का शत्रु रहा है ।<br />
बहुत ही उम्दा ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय प्रदीप कुमार पाण्डे जी ।