Comments - बिखराव - Open Books Online2024-03-29T07:21:37Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A898269&xn_auth=no//जज़्बात की ज़मीन पर शब्दों की…tag:openbooksonline.com,2017-12-14:5170231:Comment:9032442017-12-14T10:13:23.139Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>//<span>जज़्बात की ज़मीन पर शब्दों की बहुत सुंदर और शानदार इमारत तैयार करना आपका कमाल है//</span></p>
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<p>आपसे मिले इस स्नेह के लिए हृदयतल से आभार, आदरणीय भाई समर जी।</p>
<p>//<span>जज़्बात की ज़मीन पर शब्दों की बहुत सुंदर और शानदार इमारत तैयार करना आपका कमाल है//</span></p>
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<p>आपसे मिले इस स्नेह के लिए हृदयतल से आभार, आदरणीय भाई समर जी।</p> //शानदार भाव और मर्मस्पर्शी स…tag:openbooksonline.com,2017-12-14:5170231:Comment:9030052017-12-14T10:11:39.961Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>//<span>शानदार भाव और मर्मस्पर्शी संवेदनाओं से परिपुर्ण रचना//</span></p>
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<p><span>सरहाना के लिए आपका आभारी हूँ, आदरणीय मोहित जी।</span></p>
<p>//<span>शानदार भाव और मर्मस्पर्शी संवेदनाओं से परिपुर्ण रचना//</span></p>
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<p><span>सरहाना के लिए आपका आभारी हूँ, आदरणीय मोहित जी।</span></p> //इस बेमिसाल प्रस्तुति पर आपक…tag:openbooksonline.com,2017-12-14:5170231:Comment:9030042017-12-14T10:10:50.552Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>//<span>इस बेमिसाल प्रस्तुति पर आपको दिल से हार्दिक बधाई//</span></p>
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<p><span>सरहाना के लिए आपका आभारी हूँ, आदरणीय सुशील जी।</span></p>
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<p>//<span>इस बेमिसाल प्रस्तुति पर आपको दिल से हार्दिक बधाई//</span></p>
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<p><span>सरहाना के लिए आपका आभारी हूँ, आदरणीय सुशील जी।</span></p>
<p></p> //अनिवर्चनीय//
आपका यह एक शब…tag:openbooksonline.com,2017-12-14:5170231:Comment:9031852017-12-14T10:09:50.943Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>//<span>अनिवर्चनीय//</span></p>
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<p>आपका यह एक शब्द मेरे लिए अमूल्य है, मेरे भाई गोपाल नारयन जी।</p>
<p>//<span>अनिवर्चनीय//</span></p>
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<p>आपका यह एक शब्द मेरे लिए अमूल्य है, मेरे भाई गोपाल नारयन जी।</p> //भूली बिसरी यादों को दर्शाती…tag:openbooksonline.com,2017-12-14:5170231:Comment:9032402017-12-14T10:08:34.803Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>//<span>भूली बिसरी यादों को दर्शाती सुन्दर रचना//</span></p>
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<p><span>तस्दीक़ अहमद साहब, आपका हार्दिक आभार। आशा है आपका स्नेह मिलता रहेग।</span></p>
<p>//<span>भूली बिसरी यादों को दर्शाती सुन्दर रचना//</span></p>
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<p><span>तस्दीक़ अहमद साहब, आपका हार्दिक आभार। आशा है आपका स्नेह मिलता रहेग।</span></p> //बहुत ही बेहतरीन अहसासों की…tag:openbooksonline.com,2017-12-14:5170231:Comment:9030022017-12-14T10:05:43.218Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>//<span>बहुत ही बेहतरीन अहसासों की ख़ुशबू से महकी हुई प्यार कुछ-कुछ बिछोह की अवस्था//</span></p>
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<p><span>इस मान औए स्नेह के लिए आभारी हूँ, आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी।</span></p>
<p>//<span>बहुत ही बेहतरीन अहसासों की ख़ुशबू से महकी हुई प्यार कुछ-कुछ बिछोह की अवस्था//</span></p>
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<p><span>इस मान औए स्नेह के लिए आभारी हूँ, आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी।</span></p> जनाब भाई विजय निकोर जी आदाब,ज…tag:openbooksonline.com,2017-11-24:5170231:Comment:8984832017-11-24T05:27:59.569ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब भाई विजय निकोर जी आदाब,जज़्बात की ज़मीन पर शब्दों की बहुत सुंदर और शानदार इमारत तैयार करना आपका कमाल है,हमेशा की तरह ये कविता भी मन को छूती हुई गुज़री,इस बहतरीन प्रस्तुति पर दिल से ढेरों बधाई स्वीकार करें ।
जनाब भाई विजय निकोर जी आदाब,जज़्बात की ज़मीन पर शब्दों की बहुत सुंदर और शानदार इमारत तैयार करना आपका कमाल है,हमेशा की तरह ये कविता भी मन को छूती हुई गुज़री,इस बहतरीन प्रस्तुति पर दिल से ढेरों बधाई स्वीकार करें । यादेंठहरी यादों सेकल फिर मिलन…tag:openbooksonline.com,2017-11-23:5170231:Comment:8983222017-11-23T14:32:36.057ZSushil Sarnahttp://openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>यादें<br/>ठहरी यादों से<br/>कल फिर मिलने का वायदा करती <br/>भीगे सिरहाने पर</p>
<p>अप्रतिम अप्रतिम अप्रतिम ... <br/>यादों के शानों पर <br/>जाने क्या क्या <br/>रख दिया आपने<br/>नाउम्मीदी के सायों को <br/>अपनी आफ़ताबी कलम से <br/>ढक दिया आपने</p>
<p>इस बेमिसाल प्रस्तुति पर आपको दिल से हार्दिक बधाई आदरणीय विजय निकोर साहिब।</p>
<p>यादें<br/>ठहरी यादों से<br/>कल फिर मिलने का वायदा करती <br/>भीगे सिरहाने पर</p>
<p>अप्रतिम अप्रतिम अप्रतिम ... <br/>यादों के शानों पर <br/>जाने क्या क्या <br/>रख दिया आपने<br/>नाउम्मीदी के सायों को <br/>अपनी आफ़ताबी कलम से <br/>ढक दिया आपने</p>
<p>इस बेमिसाल प्रस्तुति पर आपको दिल से हार्दिक बधाई आदरणीय विजय निकोर साहिब।</p> आआ० निकोरे जी , बस इतना ही कह…tag:openbooksonline.com,2017-11-23:5170231:Comment:8984442017-11-23T14:12:34.577Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आआ० निकोरे जी , बस इतना ही कहूंगा - अनिवर्चनीय . सादर</p>
<p>आआ० निकोरे जी , बस इतना ही कहूंगा - अनिवर्चनीय . सादर</p> मुहतरम जनाब विजय साहिब ,भूली…tag:openbooksonline.com,2017-11-23:5170231:Comment:8984332017-11-23T12:01:57.025ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
मुहतरम जनाब विजय साहिब ,भूली बिसरी यादों को दर्शाती सुन्दर रचना हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
मुहतरम जनाब विजय साहिब ,भूली बिसरी यादों को दर्शाती सुन्दर रचना हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं