Comments - पेड़ उखड़ते तूफानों में, दूब हँसे हर बार (सरसी छःन्द) - Open Books Online2024-03-29T10:29:31Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A899616&xn_auth=noआद0 आली जनाब समर कबीर साहब सा…tag:openbooksonline.com,2017-11-28:5170231:Comment:8998072017-11-28T13:46:49.041Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
आद0 आली जनाब समर कबीर साहब सादर प्रणाम। छंन्द पर आपकी उपस्थिति और हौसला अफ़जाई का हृदय तल से आभार। आपकी समीक्षा मिल जाने से गलती सुधारने में मुझे मदद मिलती है। आपकी प्रतिक्रिया का मुझे बेसब्री से इंतिजार रहता है।<br />
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//पहले छन्द के तीसरे छन्द में 'संस्कार'शब्द की मात्रा मेरे नज़दीक 6 होती हैं// संस्कार क़ई मात्रा जहाँ तक मैंने पढ़ा है 5 होती है, पर चीत्कार, संस्कार जैसे शब्द पर पढ़ते समय वजन मुझे भी इसके वजन के बारे में शंशय पैदा करते हैं। पिछली बार के चित्र से काव्य में आद0 गोपाल जी और आद0 रामबली जी…
आद0 आली जनाब समर कबीर साहब सादर प्रणाम। छंन्द पर आपकी उपस्थिति और हौसला अफ़जाई का हृदय तल से आभार। आपकी समीक्षा मिल जाने से गलती सुधारने में मुझे मदद मिलती है। आपकी प्रतिक्रिया का मुझे बेसब्री से इंतिजार रहता है।<br />
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//पहले छन्द के तीसरे छन्द में 'संस्कार'शब्द की मात्रा मेरे नज़दीक 6 होती हैं// संस्कार क़ई मात्रा जहाँ तक मैंने पढ़ा है 5 होती है, पर चीत्कार, संस्कार जैसे शब्द पर पढ़ते समय वजन मुझे भी इसके वजन के बारे में शंशय पैदा करते हैं। पिछली बार के चित्र से काव्य में आद0 गोपाल जी और आद0 रामबली जी ने इस पर चर्चा भी की थी।<br />
आपके सुझावनुसार परिवर्तन करता हूँ। सादर जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आद…tag:openbooksonline.com,2017-11-28:5170231:Comment:8993412017-11-28T11:42:10.785ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,बहुत उम्दा सरसी छन्द लिखे,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।<br />
पहली पंक्ति में 'शहर'को "नगर"करना उचित होगा ।<br />
पहले छन्द के तीसरे छन्द में 'संस्कार'शब्द की मात्रा मेरे नज़दीक 6 होती हैं ,इसी छन्द के चौथे पद में 'गिरता जैसे ताश'को "गिरते जैसे ताश"होना चाहिए,क्योंकि "ताश"शब्द बहुवचन है, बावन पत्ते मिलकर ताश कहलाते हैं ।
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,बहुत उम्दा सरसी छन्द लिखे,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।<br />
पहली पंक्ति में 'शहर'को "नगर"करना उचित होगा ।<br />
पहले छन्द के तीसरे छन्द में 'संस्कार'शब्द की मात्रा मेरे नज़दीक 6 होती हैं ,इसी छन्द के चौथे पद में 'गिरता जैसे ताश'को "गिरते जैसे ताश"होना चाहिए,क्योंकि "ताश"शब्द बहुवचन है, बावन पत्ते मिलकर ताश कहलाते हैं । आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिव…tag:openbooksonline.com,2017-11-28:5170231:Comment:8993352017-11-28T02:56:08.722Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन, छन्द पर आपकी उपस्थिति और बेह्तरीन प्रतिक्रिया से हौसला अफजाई करने के लिए हृदय तल से आभार।
आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन, छन्द पर आपकी उपस्थिति और बेह्तरीन प्रतिक्रिया से हौसला अफजाई करने के लिए हृदय तल से आभार। आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी आदाब,
च…tag:openbooksonline.com,2017-11-28:5170231:Comment:8996272017-11-28T02:28:36.584ZMohammed Arifhttp://openbooksonline.com/profile/MohammedArif
आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी आदाब,<br />
चिंता-बेचैनी, परिवर्तन की आग, फैशन,बदलाव और प्रकृति सबकुछ समा दिया आपने इन छंदों में । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी आदाब,<br />
चिंता-बेचैनी, परिवर्तन की आग, फैशन,बदलाव और प्रकृति सबकुछ समा दिया आपने इन छंदों में । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।