Comments - मैं भी कवि-सम्मेलन में जाता हॅूं - Open Books Online2024-03-28T16:59:08Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A901220&xn_auth=noआदरणीय दादा समर कबीर जी सादर…tag:openbooksonline.com,2017-12-04:5170231:Comment:9014342017-12-04T13:10:24.667ZManoj kumar shrivastavahttp://openbooksonline.com/profile/Manojkumarshrivastava
<p>आदरणीय दादा समर कबीर जी सादर प्रणाम। आपके मार्गदर्शन का कोटिशः आभार। इसी तरह मुझ पर अपना आशीर्वाद बनाये रखें।</p>
<p>आदरणीय दादा समर कबीर जी सादर प्रणाम। आपके मार्गदर्शन का कोटिशः आभार। इसी तरह मुझ पर अपना आशीर्वाद बनाये रखें।</p> जनाब मनोज कुमार जी आदाब,कविता…tag:openbooksonline.com,2017-12-04:5170231:Comment:9013362017-12-04T11:36:33.664ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब मनोज कुमार जी आदाब,कविता का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>'भेद भाव की दरिया को--"भेद भाव के दरया को"</p>
<p>'ऐषो'---"ऐशो"</p>
<p>'कई सलाह भी दिए मैंने'---"कई सलाह भी दीं मैंने"</p>
<p>'अपमान भी करता हूँ तुम्हारी'---"अपमान भी करता हूँ तुम्हारा"</p>
<p>'अब माफीनामा भी फरमाता हूँ'---"अब मुआफ़ी नामा भी लिखता हूँ"</p>
<p>जनाब मनोज कुमार जी आदाब,कविता का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>'भेद भाव की दरिया को--"भेद भाव के दरया को"</p>
<p>'ऐषो'---"ऐशो"</p>
<p>'कई सलाह भी दिए मैंने'---"कई सलाह भी दीं मैंने"</p>
<p>'अपमान भी करता हूँ तुम्हारी'---"अपमान भी करता हूँ तुम्हारा"</p>
<p>'अब माफीनामा भी फरमाता हूँ'---"अब मुआफ़ी नामा भी लिखता हूँ"</p> सादर आभार आदरणीय कुशक्षत्रप ज…tag:openbooksonline.com,2017-12-03:5170231:Comment:9014072017-12-03T11:03:55.714ZManoj kumar shrivastavahttp://openbooksonline.com/profile/Manojkumarshrivastava
सादर आभार आदरणीय कुशक्षत्रप जी, सतत मार्गदर्शन देते रहियेगा।
सादर आभार आदरणीय कुशक्षत्रप जी, सतत मार्गदर्शन देते रहियेगा। आद0 मनोज कुमार श्रीवास्तव जी…tag:openbooksonline.com,2017-12-03:5170231:Comment:9011442017-12-03T09:17:45.329Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
आद0 मनोज कुमार श्रीवास्तव जी सादर अभिवादन। अच्छी कविता लिखी आपने,भावों का उद्द्गार बेहतरीन। बहुत बहुत बधाई आपको।
आद0 मनोज कुमार श्रीवास्तव जी सादर अभिवादन। अच्छी कविता लिखी आपने,भावों का उद्द्गार बेहतरीन। बहुत बहुत बधाई आपको।