Comments - ग़ज़ल (किसी खंजर का मत अहसान लीजिए ) - Open Books Online2024-03-28T12:35:37Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A901821&xn_auth=noजनाब राम अवध साहिब ,ग़ज़ल में आ…tag:openbooksonline.com,2017-12-09:5170231:Comment:9022812017-12-09T10:58:08.173ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>जनाब राम अवध साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया</p>
<p>जनाब राम अवध साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया</p> आदरणीय तस्दीक़ अहमद साहब खूबसू…tag:openbooksonline.com,2017-12-09:5170231:Comment:9023482017-12-09T09:38:57.499ZRam Awadh VIshwakarmahttp://openbooksonline.com/profile/RamAwadhVIshwakarma
<p>आदरणीय तस्दीक़ अहमद साहब खूबसूरत ग़ज़ल के लिये बहुत बहुत बधाई।</p>
<p>आदरणीय तस्दीक़ अहमद साहब खूबसूरत ग़ज़ल के लिये बहुत बहुत बधाई।</p> जनाब गुर प्रीत साहिब ,ग़ज़ल में…tag:openbooksonline.com,2017-12-08:5170231:Comment:9019932017-12-08T12:48:27.543ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>जनाब गुर प्रीत साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया</p>
<p>जनाब गुर प्रीत साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया</p> आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी ,,,…tag:openbooksonline.com,2017-12-08:5170231:Comment:9018042017-12-08T09:59:14.548ZGurpreet Singh jammuhttp://openbooksonline.com/profile/GurpreetSingh624
<p>आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी ,,,बहुत खूबसूरत ग़ज़ल ,,मतला विशेष तौर पर पसंद आया ,, मुबारकबाद कुबूल करें जी</p>
<p>आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी ,,,बहुत खूबसूरत ग़ज़ल ,,मतला विशेष तौर पर पसंद आया ,, मुबारकबाद कुबूल करें जी</p> जनाब सलीम रज़ा साहिब ,ग़ज़ल में…tag:openbooksonline.com,2017-12-08:5170231:Comment:9019662017-12-08T06:01:56.916ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>जनाब सलीम रज़ा साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया</p>
<p>जनाब सलीम रज़ा साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया</p> मुहतर्मा रक्षिता साहिबा ,ग़ज़ल…tag:openbooksonline.com,2017-12-08:5170231:Comment:9018742017-12-08T06:00:55.338ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>मुहतर्मा रक्षिता साहिबा ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया </p>
<p>मुहतर्मा रक्षिता साहिबा ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया </p> मुहतरम जनाब समर साहिब , लीजे…tag:openbooksonline.com,2017-12-08:5170231:Comment:9019652017-12-08T05:59:37.659ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>मुहतरम जनाब समर साहिब , लीजे लफ्ज़ उर्दू डिक्शनरी में है ही नहीं ,सिर्फ बोल चाल में है जो कि "लीजिये " में हर्फ़ को गिरा कर मिलता है ।</p>
<p>वज़्न इसका लीजे ही लिया गया है ।मेरे हिसाब से लिखने में तो सही लफ्ज़ ही लिखना चाहिए जो मैं ने किया है --सादर</p>
<p>मुहतरम जनाब समर साहिब , लीजे लफ्ज़ उर्दू डिक्शनरी में है ही नहीं ,सिर्फ बोल चाल में है जो कि "लीजिये " में हर्फ़ को गिरा कर मिलता है ।</p>
<p>वज़्न इसका लीजे ही लिया गया है ।मेरे हिसाब से लिखने में तो सही लफ्ज़ ही लिखना चाहिए जो मैं ने किया है --सादर</p> वाह... जनाब तसदीक़ साहिब क्या…tag:openbooksonline.com,2017-12-08:5170231:Comment:9019422017-12-08T02:22:25.559ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
वाह... जनाब तसदीक़ साहिब क्या खूब ग़ज़ल कही है, हर शेर के लिए मुबारक़बाद,
वाह... जनाब तसदीक़ साहिब क्या खूब ग़ज़ल कही है, हर शेर के लिए मुबारक़बाद, आदरणीय, तस्दीक़ जी
खूबसूरत ग…tag:openbooksonline.com,2017-12-07:5170231:Comment:9017512017-12-07T19:52:03.358Zरक्षिता सिंहhttp://openbooksonline.com/profile/RakshitaSingh
<p> आदरणीय, तस्दीक़ जी</p>
<p>खूबसूरत गज़ल के लिए बहुत बहुत मुबारकबाद।</p>
<p> आदरणीय, तस्दीक़ जी</p>
<p>खूबसूरत गज़ल के लिए बहुत बहुत मुबारकबाद।</p> ये कैसे मुमकिन है कि आप 'लीजि…tag:openbooksonline.com,2017-12-07:5170231:Comment:9017432017-12-07T16:59:15.129ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>ये कैसे मुमकिन है कि आप 'लीजिए' लिखें और पाठक उसे "लीजे" पढ़े, दोनों लफ़्ज़ अपनी अपनी जगह सही हैं ?</p>
<p>ये कैसे मुमकिन है कि आप 'लीजिए' लिखें और पाठक उसे "लीजे" पढ़े, दोनों लफ़्ज़ अपनी अपनी जगह सही हैं ?</p>