Comments - मुश्क़िलों में दिल के भी रिश्ते - सलीम रज़ा - Open Books Online2024-03-29T12:43:04Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A907817&xn_auth=noआदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'…tag:openbooksonline.com,2018-01-04:5170231:Comment:9079592018-01-04T12:15:30.735ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी,<br />
आपकी इनायत और नवाज़िश के लिए शुक़गुज़ार हूँ.
आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी,<br />
आपकी इनायत और नवाज़िश के लिए शुक़गुज़ार हूँ. भाई सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्…tag:openbooksonline.com,2018-01-04:5170231:Comment:9078802018-01-04T12:14:44.252ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
भाई सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी,<br />
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया.
भाई सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी,<br />
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया. त्रिपाठी जी अपका बहुत शुक्रियाtag:openbooksonline.com,2018-01-04:5170231:Comment:9078792018-01-04T12:14:08.648ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
त्रिपाठी जी अपका बहुत शुक्रिया
त्रिपाठी जी अपका बहुत शुक्रिया नवीन त्रिपाठी जी, ग़ज़ल में श…tag:openbooksonline.com,2018-01-04:5170231:Comment:9079582018-01-04T12:13:19.368ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
नवीन त्रिपाठी जी, ग़ज़ल में शिरकत के लिए शुक्रिया बेगाने में 1 मात्रा गिरा लें. .
नवीन त्रिपाठी जी, ग़ज़ल में शिरकत के लिए शुक्रिया बेगाने में 1 मात्रा गिरा लें. . आ. भाई सलीम जी, सुंदर गजल हुई…tag:openbooksonline.com,2018-01-04:5170231:Comment:9078032018-01-04T09:59:21.944Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सलीम जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई सलीम जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई।</p> बहुत बेहतरीन ग़ज़ल सलिम साहब,बक…tag:openbooksonline.com,2018-01-04:5170231:Comment:9080162018-01-04T08:50:02.073Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>बहुत बेहतरीन ग़ज़ल सलिम साहब,बकमाल। क्या खूब कहा आपने।</p>
<p><span>अब भी है रग रग में क़ायम प्यार की ख़ुश्बू रज़ा </span><br/><span>क्या हुआ जो ज़िस्म के कपड़े पुराने हो गए</span></p>
<p></p>
<p>बहुत बहुत बधाई आपको।</p>
<p>बहुत बेहतरीन ग़ज़ल सलिम साहब,बकमाल। क्या खूब कहा आपने।</p>
<p><span>अब भी है रग रग में क़ायम प्यार की ख़ुश्बू रज़ा </span><br/><span>क्या हुआ जो ज़िस्म के कपड़े पुराने हो गए</span></p>
<p></p>
<p>बहुत बहुत बधाई आपको।</p> जनाब रेवा साहब बहुत सुंदर लिख…tag:openbooksonline.com,2018-01-04:5170231:Comment:9077852018-01-04T05:07:22.570ZNaveen Mani Tripathihttp://openbooksonline.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>जनाब रेवा साहब बहुत सुंदर लिखा है आपने । मेरा संशय बेगाने शब्द को लेकर है बहुधा शब्द के पहले हर्फ़ पर मात्रा नहीं गिराते हैं । बाकी कबीर साहब जानें । ग़ज़ल के लिए बधाई ।</p>
<p>जनाब रेवा साहब बहुत सुंदर लिखा है आपने । मेरा संशय बेगाने शब्द को लेकर है बहुधा शब्द के पहले हर्फ़ पर मात्रा नहीं गिराते हैं । बाकी कबीर साहब जानें । ग़ज़ल के लिए बधाई ।</p> जनाब शहज़ाद उस्मानी साहब,
आपक…tag:openbooksonline.com,2018-01-04:5170231:Comment:9078622018-01-04T04:41:06.379ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
जनाब शहज़ाद उस्मानी साहब,<br />
आपकी महब्बत के लिए ममनून हूँ.
जनाब शहज़ाद उस्मानी साहब,<br />
आपकी महब्बत के लिए ममनून हूँ. बहुत बढ़िया पेशकश। हार्दिक बध…tag:openbooksonline.com,2018-01-04:5170231:Comment:9078592018-01-04T04:29:22.110ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>बहुत बढ़िया पेशकश। हार्दिक बधाई आदरणीय सलीम रज़ा 'रीवा' जी।</p>
<p>बहुत बढ़िया पेशकश। हार्दिक बधाई आदरणीय सलीम रज़ा 'रीवा' जी।</p> जनाब अफ़रोज साहब.
ग़ज़ल पर आप…tag:openbooksonline.com,2018-01-03:5170231:Comment:9076682018-01-03T12:47:30.123ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
जनाब अफ़रोज साहब.<br />
ग़ज़ल पर आपकी नज़रे इनायत और मशविरे के लिए शुक्रिया..
जनाब अफ़रोज साहब.<br />
ग़ज़ल पर आपकी नज़रे इनायत और मशविरे के लिए शुक्रिया..