Comments - पहाड़ी नारी (लम्बी कविता 'राज') - Open Books Online2024-03-19T02:22:28Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A907961&xn_auth=noबदन थिरकाते हैं
ये चूल्ह…tag:openbooksonline.com,2018-01-10:5170231:Comment:9087292018-01-10T01:17:37.794Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p></p>
<p>बदन थिरकाते हैं </p>
<p> ये चूल्हे में उठते हुए गीली लकड़ियों</p>
<p>के धुएँ को धौंकनी से अपने फेफड़ों में भरती हैं </p>
<p>हथेलियों पर रोटी की थपथप </p>
<p>आंचल में स्तनपान की चपचप</p>
<p>सामने बैठे कई भूखे उदर की थालियों कटोरियों की खट-पट </p>
<p>बहुत सुंदर चित्र प्रस्तुत हुआ है । बेहतरीन कबिता और पुरस्कार प्राप्ति के लिए हार्दिक बधाई , आ. राजेश दी ।</p>
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<p>बदन थिरकाते हैं </p>
<p> ये चूल्हे में उठते हुए गीली लकड़ियों</p>
<p>के धुएँ को धौंकनी से अपने फेफड़ों में भरती हैं </p>
<p>हथेलियों पर रोटी की थपथप </p>
<p>आंचल में स्तनपान की चपचप</p>
<p>सामने बैठे कई भूखे उदर की थालियों कटोरियों की खट-पट </p>
<p>बहुत सुंदर चित्र प्रस्तुत हुआ है । बेहतरीन कबिता और पुरस्कार प्राप्ति के लिए हार्दिक बधाई , आ. राजेश दी ।</p> आद० कालिपद प्रसाद जी , कविता…tag:openbooksonline.com,2018-01-09:5170231:Comment:9086312018-01-09T15:48:33.789Zrajesh kumarihttp://openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>आद० कालिपद प्रसाद जी , कविता की गहराई तक पंहुच कर दी गई आपकी प्रतिक्रिया हेतु दिल से शुक्रगुज़ार हूँ .बहुत बहुत आभार सादर .</p>
<p>आद० कालिपद प्रसाद जी , कविता की गहराई तक पंहुच कर दी गई आपकी प्रतिक्रिया हेतु दिल से शुक्रगुज़ार हूँ .बहुत बहुत आभार सादर .</p> आदरणीय राजेश कुमारी जी , कवित…tag:openbooksonline.com,2018-01-09:5170231:Comment:9083932018-01-09T04:18:46.056ZKalipad Prasad Mandalhttp://openbooksonline.com/profile/KalipadPrasadMandal
<p>आदरणीय राजेश कुमारी जी , कविता को द्वितीय पुरस्कार मिला एवं आकाश वाणी देहरादून से प्रसारित हु,आ है ,इ सके लिए मुबारकबाद</p>
<p>कुबूल करें | पहाड़ी नारी का शाब्दिक चित्र इनती अच्छी तरह वही खिंच सकता है जिसने करीब से देखा है | प्रतिदिन के दिनचर्या से लेकर नारी उत्थान को जोड़कर कविता को बहुत उच्च स्तर पर ला दिया है आपने | हार्दिक बधाई आपको </p>
<p>आदरणीय राजेश कुमारी जी , कविता को द्वितीय पुरस्कार मिला एवं आकाश वाणी देहरादून से प्रसारित हु,आ है ,इ सके लिए मुबारकबाद</p>
<p>कुबूल करें | पहाड़ी नारी का शाब्दिक चित्र इनती अच्छी तरह वही खिंच सकता है जिसने करीब से देखा है | प्रतिदिन के दिनचर्या से लेकर नारी उत्थान को जोड़कर कविता को बहुत उच्च स्तर पर ला दिया है आपने | हार्दिक बधाई आपको </p> आद० समर भाई जी ,कविता को अपने…tag:openbooksonline.com,2018-01-07:5170231:Comment:9082642018-01-07T12:18:46.548Zrajesh kumarihttp://openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>आद० समर भाई जी ,कविता को अपने पूरा वक़्त दिया दुबारा शिरकत की ध्यान से उसे पढकर अपने विचार रखे इसका दिल से बेहद शुक्रिया |</p>
<p>आद० समर भाई जी ,कविता को अपने पूरा वक़्त दिया दुबारा शिरकत की ध्यान से उसे पढकर अपने विचार रखे इसका दिल से बेहद शुक्रिया |</p> आद० अजय तिवारी जी ,कविता पर अ…tag:openbooksonline.com,2018-01-07:5170231:Comment:9083542018-01-07T12:17:28.843Zrajesh kumarihttp://openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>आद० अजय तिवारी जी ,कविता पर अपने विचार रखने और इस्स्लाह देने का दिल से शुक्रिया </p>
<p>आद० अजय तिवारी जी ,कविता पर अपने विचार रखने और इस्स्लाह देने का दिल से शुक्रिया </p> बहना राजेश कुमारी जी,आपकी इस…tag:openbooksonline.com,2018-01-06:5170231:Comment:9081832018-01-06T17:44:35.421ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>बहना राजेश कुमारी जी,आपकी इस कविता को मुक़ाबले में दूसरा स्थान मिला,और इसका प्रसारण आकाशवाणी से भी किया गया,इसके लिए आपको दिल से बधाई देता हूँ ।</p>
<p>इस कविता को बहुत ध्यान से पढ़ा,और जनाब सौरभ पाण्डेय साहिब की टिप्पणी को भी बार-बार पढ़ा,और उनकी टिप्पणी पर आपका जवाब भी,और मैं इस नतीजे पर पहुँचा हूँ कि इससे ज़ियादा सटीक टिप्पणी इस कविता पर नहीं की जा सकती,जनाब सौरभ भाई ने जहाँ तारीफ़ करना थी वहाँ पूरी ईमानदारी से तारीफ़ की है, और जहाँ जहाँ उन्होंने क़लम लगाया है,उसका कोई जवाब नहीं,मैं उनसे पूरी…</p>
<p>बहना राजेश कुमारी जी,आपकी इस कविता को मुक़ाबले में दूसरा स्थान मिला,और इसका प्रसारण आकाशवाणी से भी किया गया,इसके लिए आपको दिल से बधाई देता हूँ ।</p>
<p>इस कविता को बहुत ध्यान से पढ़ा,और जनाब सौरभ पाण्डेय साहिब की टिप्पणी को भी बार-बार पढ़ा,और उनकी टिप्पणी पर आपका जवाब भी,और मैं इस नतीजे पर पहुँचा हूँ कि इससे ज़ियादा सटीक टिप्पणी इस कविता पर नहीं की जा सकती,जनाब सौरभ भाई ने जहाँ तारीफ़ करना थी वहाँ पूरी ईमानदारी से तारीफ़ की है, और जहाँ जहाँ उन्होंने क़लम लगाया है,उसका कोई जवाब नहीं,मैं उनसे पूरी तरह सहमत हूँ, अपनी तरफ़ से इतना कहूँगा कि आज के युग में कविता अपनी तवालत की वजह से अपना असर खो देती है,इस कविता से भी ग़ैर ज़रूरी लाइनें हटाई जा सकती थीं,लेकिन ये प्रतियोगिता को जीतने की वजह से करना पड़ा,मेरे ख़याल में अगर आप अपने मख़सूस अंदाज़ में ये कविता लिखतीं तो ये प्रथम स्थान पा सकती थी ।</p> आदरणीया राजेश जी, इस संवेदनश…tag:openbooksonline.com,2018-01-06:5170231:Comment:9080892018-01-06T11:17:36.846ZAjay Tiwarihttp://openbooksonline.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीया राजेश जी, इस संवेदनशील मानवीय काव्य-प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई.</p>
<p>शिल्प पर थोड़ा और ध्यान देने की जरूरत थी जिसकी तरफ आदरणीय सौरभ जी संकेत कर चुके हैं. वस्तुतः छंद मुक्त कविता ज्यादा कठिन कव्यानुशासन की मांग करती है. छंद मुक्त कविता लिखते हुए छंद की मजबूरियों का बहाना नहीं होता और कवि के लिए अपना सर्वोतम प्रस्तुत करना एक अनिवार्य जिम्मेदारी बन जाती है वर्ना कविता के गद्य के पाले में लुढकने का खतरा हमेशा बना रहता है. </p>
<p>सादर </p>
<p>आदरणीया राजेश जी, इस संवेदनशील मानवीय काव्य-प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई.</p>
<p>शिल्प पर थोड़ा और ध्यान देने की जरूरत थी जिसकी तरफ आदरणीय सौरभ जी संकेत कर चुके हैं. वस्तुतः छंद मुक्त कविता ज्यादा कठिन कव्यानुशासन की मांग करती है. छंद मुक्त कविता लिखते हुए छंद की मजबूरियों का बहाना नहीं होता और कवि के लिए अपना सर्वोतम प्रस्तुत करना एक अनिवार्य जिम्मेदारी बन जाती है वर्ना कविता के गद्य के पाले में लुढकने का खतरा हमेशा बना रहता है. </p>
<p>सादर </p> आद० समर भाई जी ,आपकी पूर्ण प्…tag:openbooksonline.com,2018-01-06:5170231:Comment:9082342018-01-06T07:33:18.315Zrajesh kumarihttp://openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>आद० समर भाई जी ,आपकी पूर्ण प्रतिक्रिया का इन्तजार रहेगा इस कविता पर .</p>
<p>आद० समर भाई जी ,आपकी पूर्ण प्रतिक्रिया का इन्तजार रहेगा इस कविता पर .</p> प्रिय प्रतिभा जी ,आपको कविता…tag:openbooksonline.com,2018-01-06:5170231:Comment:9081692018-01-06T07:32:31.679Zrajesh kumarihttp://openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>प्रिय प्रतिभा जी ,आपको कविता पसंद आई दिल से बेहद शुक्रगुजार हूँ कुमाऊंनी गीत कि पंक्तियाँ बहुत अच्छी हैं सच में पहाड़ों की नारियों की स्थिति ऐसी ही है पुरुष वर्ग मस्ती में रहता है स्त्रियाँ घर चलाती हैं .किन्तु अव स्त्रियों में जागरूकता आ रही है धीरे धीरे . </p>
<p>प्रिय प्रतिभा जी ,आपको कविता पसंद आई दिल से बेहद शुक्रगुजार हूँ कुमाऊंनी गीत कि पंक्तियाँ बहुत अच्छी हैं सच में पहाड़ों की नारियों की स्थिति ऐसी ही है पुरुष वर्ग मस्ती में रहता है स्त्रियाँ घर चलाती हैं .किन्तु अव स्त्रियों में जागरूकता आ रही है धीरे धीरे . </p> आद० सौरभ जी कविता पर आपकी उपस…tag:openbooksonline.com,2018-01-06:5170231:Comment:9081682018-01-06T07:28:35.661Zrajesh kumarihttp://openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>आद० सौरभ जी कविता पर आपकी उपस्थिति और समीक्षा दोनों के लिए मैं दिल से शुक्रगुजार हूँ ,कविता कि रूह को छूकर निकली आपकी ये समीक्षा स्वागतीय है | आपके दिल से बहुत बहुत शुक्रिया . मेरा लिखना सार्थक हो गया |कविता के जिन अंतिम पंक्तियों कि तरफ आपका इशारा है उसके पीछे का कारण भी मैं आपको स्पष्ट कर रही हूँ दरअसल ये कविता एक प्रतियोगिता के तहत लिखी गई थी जिसमे पहाड्की नारी की पूर्व स्थति और आज के महिला सशक्तिकरण के युग से बदले हालात को मद्देनजर रखते हुए लिखनी थी अर्थात आज उनकी स्थिति में क्या…</p>
<p>आद० सौरभ जी कविता पर आपकी उपस्थिति और समीक्षा दोनों के लिए मैं दिल से शुक्रगुजार हूँ ,कविता कि रूह को छूकर निकली आपकी ये समीक्षा स्वागतीय है | आपके दिल से बहुत बहुत शुक्रिया . मेरा लिखना सार्थक हो गया |कविता के जिन अंतिम पंक्तियों कि तरफ आपका इशारा है उसके पीछे का कारण भी मैं आपको स्पष्ट कर रही हूँ दरअसल ये कविता एक प्रतियोगिता के तहत लिखी गई थी जिसमे पहाड्की नारी की पूर्व स्थति और आज के महिला सशक्तिकरण के युग से बदले हालात को मद्देनजर रखते हुए लिखनी थी अर्थात आज उनकी स्थिति में क्या बदलाव आ रहा है इसलिए ये सकारात्मता लानी भी अवश्य थी ताकि ये पहलू अछूता न रह जाए इसलिए ये पंक्तियाँ जोडनी पड़ी. और इसी सकारात्मक सन्देश और अंत के कारण ये दूसरों कि कविताओं पर भारी पड़ी जिसका बाद में चयनकर्ताओं ने भी जिक्र किया .वरना मेरी कविताओं का स्वरुप इससे भिन्न होता है ये तो आप जानते हैं | </p>