Comments - ग़ज़ल "ऐसे भी माहौल बनाया जाता है" - Open Books Online2024-03-29T08:39:22Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A909113&xn_auth=noआदरणीय अजय साहब आदाब। हौसला अ…tag:openbooksonline.com,2018-01-24:5170231:Comment:9106792018-01-24T04:22:45.857Zsurender insanhttp://openbooksonline.com/profile/surenderinsan
<p>आदरणीय अजय साहब आदाब। हौसला अफजाई और मार्गदर्शन के लिए आपका बहुत बहुत आभार जी।</p>
<p>आदरणीय अजय साहब आदाब। हौसला अफजाई और मार्गदर्शन के लिए आपका बहुत बहुत आभार जी।</p> आदरणीय सुरेन्द्र भाई जी नमन।…tag:openbooksonline.com,2018-01-24:5170231:Comment:9105872018-01-24T04:20:36.566Zsurender insanhttp://openbooksonline.com/profile/surenderinsan
<p>आदरणीय सुरेन्द्र भाई जी नमन। हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपका।</p>
<p>आदरणीय सुरेन्द्र भाई जी नमन। हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपका।</p> आदरणीय समर कबीर साहब आदाब। हौ…tag:openbooksonline.com,2018-01-24:5170231:Comment:9104962018-01-24T04:19:11.894Zsurender insanhttp://openbooksonline.com/profile/surenderinsan
<p>आदरणीय समर कबीर साहब आदाब। हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी आपका।</p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहब आदाब। हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी आपका।</p> आदरणीय कालीपद जी,
फइलुन(112)…tag:openbooksonline.com,2018-01-16:5170231:Comment:9097622018-01-16T11:41:58.695ZAjay Tiwarihttp://openbooksonline.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय कालीपद जी,</p>
<p>फइलुन(112) का प्रयोग मुतकारिब को छोड़ कर अन्य ज्यादातर बहरों में होता है लेकिन इसका सबसे ज्यादा प्रयोग मुतदारिक में होता है मिसाल के लिए : </p>
<p class="DivLine"><span class="WM">न</span><span> </span><span class="WM">ख़ुदा</span><span> </span><span class="WM">ही</span><span> </span><span class="WM">मिला</span><span> </span><span class="WM">न</span><span> </span><span class="WM">विसाल-ए-सनम</span><span> </span><span class="WM">न</span><span> …</span></p>
<p>आदरणीय कालीपद जी,</p>
<p>फइलुन(112) का प्रयोग मुतकारिब को छोड़ कर अन्य ज्यादातर बहरों में होता है लेकिन इसका सबसे ज्यादा प्रयोग मुतदारिक में होता है मिसाल के लिए : </p>
<p class="DivLine"><span class="WM">न</span><span> </span><span class="WM">ख़ुदा</span><span> </span><span class="WM">ही</span><span> </span><span class="WM">मिला</span><span> </span><span class="WM">न</span><span> </span><span class="WM">विसाल-ए-सनम</span><span> </span><span class="WM">न</span><span> </span><span class="WM">इधर</span><span> </span><span class="WM">के</span><span> </span><span class="WM">हुए</span><span> </span><span class="WM">न</span><span> </span><span class="WM">उधर</span><span> </span><span class="WM">के</span><span> </span><span class="WM">हुए</span></p>
<p class="DivLine"><span class="WM">रहे</span><span> </span><span class="WM">दिल</span><span> </span><span class="WM">में</span><span> </span><span class="WM">हमारे</span><span> </span><span class="WM">ये</span><span> </span><span class="WM">रंज-ओ-अलम</span><span> </span><span class="WM">न</span><span> </span><span class="WM">इधर</span><span> </span><span class="WM">के</span><span> </span><span class="WM">हुए</span><span> </span><span class="WM">न</span><span> </span><span class="WM">उधर</span><span> </span><span class="WM">के</span><span> </span><span class="WM">हुए </span></p>
<p class="DivLine"><span class="WM"> </span></p>
<p> - मुंशी घनश्याम लाल आसी</p>
<p></p>
<p>121 के प्रयोग से आपकी मुराद संभवतः बहरे-मीर में इसके प्रयोग से है इसके लिए मीर का ये शेर देखा जा सकता है :</p>
<p></p>
<p><span>काफ़िर मुस्लिम</span><span>, दोनों हुए, पर निस्बत उससे कुछ न हुई</span></p>
<p><span><strong>बहुत लिए</strong> तस्बीह फिरे हम, </span>पहना है जुन्नार बहुत</p>
<p></p>
<p>सादर</p> हार्दिक बधाई ।tag:openbooksonline.com,2018-01-16:5170231:Comment:9099172018-01-16T01:42:40.194Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>हार्दिक बधाई ।</p>
<p>हार्दिक बधाई ।</p> आद0 सुरेन्दर इंसान जी अच्छी ग़…tag:openbooksonline.com,2018-01-15:5170231:Comment:9097132018-01-15T00:15:53.714Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
आद0 सुरेन्दर इंसान जी अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई
आद0 सुरेन्दर इंसान जी अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई आ अजय तिवारी जी ,नमन , फैलुन(…tag:openbooksonline.com,2018-01-14:5170231:Comment:9095702018-01-14T15:10:16.829ZKalipad Prasad Mandalhttp://openbooksonline.com/profile/KalipadPrasadMandal
<p>आ अजय तिवारी जी ,नमन , फैलुन( २२ ) का २११ का प्रयोग तो समझमे आगया , कृपया २२ का ११२ या १२१ के रूप में कहाँ प्रयोग होता है एल उदाहरण दे\ सादर </p>
<p>आ अजय तिवारी जी ,नमन , फैलुन( २२ ) का २११ का प्रयोग तो समझमे आगया , कृपया २२ का ११२ या १२१ के रूप में कहाँ प्रयोग होता है एल उदाहरण दे\ सादर </p> आदरणीय सुरेन्द्र जी, सादर नमन…tag:openbooksonline.com,2018-01-14:5170231:Comment:9095682018-01-14T12:45:03.615ZAjay Tiwarihttp://openbooksonline.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय सुरेन्द्र जी, सादर नमन,</p>
<p>फेलुन(22) को 211 और 112 दोनों वजनों पर एक साथ किसी बह्र में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. फेलुन(22) का 211 के वजन पर सिर्फ मुतकारिब में ही इस्तेमाल होता है.(211 वस्तुत: सिर्फ एक गणितीय प्रारूप है वास्तविक तक्ती मुतकारिब के अर्कानों में होती है). आप द्वारा इस्तेमाल की गयी बह्र मुतकारिब का आहंग है और मुतकारिब में फइलुन (112) का इस्तेमाल संभव नहीं है.</p>
<p>सादर </p>
<p>आदरणीय सुरेन्द्र जी, सादर नमन,</p>
<p>फेलुन(22) को 211 और 112 दोनों वजनों पर एक साथ किसी बह्र में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. फेलुन(22) का 211 के वजन पर सिर्फ मुतकारिब में ही इस्तेमाल होता है.(211 वस्तुत: सिर्फ एक गणितीय प्रारूप है वास्तविक तक्ती मुतकारिब के अर्कानों में होती है). आप द्वारा इस्तेमाल की गयी बह्र मुतकारिब का आहंग है और मुतकारिब में फइलुन (112) का इस्तेमाल संभव नहीं है.</p>
<p>सादर </p> जनाब सुरेन्द्र इंसान जी आदाब,…tag:openbooksonline.com,2018-01-14:5170231:Comment:9096092018-01-14T06:49:04.710ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सुरेन्द्र इंसान जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब अजय तिवारी जी सब कुछ बता चुके हैं,उनकी बातों का संज्ञान लें ।</p>
<p>जनाब सुरेन्द्र इंसान जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब अजय तिवारी जी सब कुछ बता चुके हैं,उनकी बातों का संज्ञान लें ।</p> आद. अजय जी सादर नमन जी। ग़ज़ल …tag:openbooksonline.com,2018-01-13:5170231:Comment:9092842018-01-13T16:38:19.555Zsurender insanhttp://openbooksonline.com/profile/surenderinsan
<p>आद. अजय जी सादर नमन जी। ग़ज़ल को समय देने के लिए बहुत बहुत आभार जी। </p>
<p>इस बह्र में 22 को 211 या 112 तो किया जा सकता है। 22 को 121 करने की मनाही बारे तो सुना है या पहले फेलुन को 112 न करने बारे भी सुना है जी। </p>
<p>सादर जी।</p>
<p>आद. अजय जी सादर नमन जी। ग़ज़ल को समय देने के लिए बहुत बहुत आभार जी। </p>
<p>इस बह्र में 22 को 211 या 112 तो किया जा सकता है। 22 को 121 करने की मनाही बारे तो सुना है या पहले फेलुन को 112 न करने बारे भी सुना है जी। </p>
<p>सादर जी।</p>