Comments - तू अगर बा - वफ़ा नहीं होता - सलीम रज़ा रीवा - Open Books Online2024-03-29T11:11:25Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A909290&xn_auth=noभाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर',जी…tag:openbooksonline.com,2018-01-24:5170231:Comment:9107722018-01-24T17:07:13.954ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर',जी<br />
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया.
भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर',जी<br />
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया. विजय जी ग़ज़ल पसंद करने के लि…tag:openbooksonline.com,2018-01-24:5170231:Comment:9105982018-01-24T17:06:22.266ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
विजय जी ग़ज़ल पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया.
विजय जी ग़ज़ल पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया. आ. काली प्रसाद जी,
आपकी ग़ज़ल…tag:openbooksonline.com,2018-01-24:5170231:Comment:9107012018-01-24T17:06:01.473ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
आ. काली प्रसाद जी,<br />
आपकी ग़ज़ल पर शिर्कत और आपकी महब्बत के लिए शुक्रिया.
आ. काली प्रसाद जी,<br />
आपकी ग़ज़ल पर शिर्कत और आपकी महब्बत के लिए शुक्रिया. आ. अजय तिवारी जी,
आप का कहना…tag:openbooksonline.com,2018-01-24:5170231:Comment:9108222018-01-24T17:05:39.826ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
आ. अजय तिवारी जी,<br />
आप का कहना भी सही है ख़्याल रखा जाएगा.
आ. अजय तिवारी जी,<br />
आप का कहना भी सही है ख़्याल रखा जाएगा. आ. भाई सलीम जी, सुंदर गजल हुई…tag:openbooksonline.com,2018-01-18:5170231:Comment:9098692018-01-18T10:14:41.264Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सलीम जी, सुंदर गजल हुई है हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई सलीम जी, सुंदर गजल हुई है हार्दिक बधाई ।</p> अच्छी गज़ल के लिए बधाई।tag:openbooksonline.com,2018-01-18:5170231:Comment:9099772018-01-18T02:59:40.324Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>अच्छी गज़ल के लिए बधाई।</p>
<p>अच्छी गज़ल के लिए बधाई।</p> आ सलिन रज़ा जी | ग़ज़ल बहुत उम्…tag:openbooksonline.com,2018-01-17:5170231:Comment:9099472018-01-17T06:38:56.907ZKalipad Prasad Mandalhttp://openbooksonline.com/profile/KalipadPrasadMandal
<p>आ सलिन रज़ा जी | ग़ज़ल बहुत उम्दा बनी है , मुबारक बाद कुबूल करें |</p>
<p></p>
<p>आ सलिन रज़ा जी | ग़ज़ल बहुत उम्दा बनी है , मुबारक बाद कुबूल करें |</p>
<p></p> आदरणीय सलीम साहब, आपकी बात ठी…tag:openbooksonline.com,2018-01-16:5170231:Comment:9097612018-01-16T10:49:25.808ZAjay Tiwarihttp://openbooksonline.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय सलीम साहब, आपकी बात ठीक है लेकिन कोशिश यही होनी चाहिए की मिस्ररा भी ठीक हो और शेरियत भी बनी रहे. सादर </p>
<p>आदरणीय सलीम साहब, आपकी बात ठीक है लेकिन कोशिश यही होनी चाहिए की मिस्ररा भी ठीक हो और शेरियत भी बनी रहे. सादर </p> आ. तिवारी जी,
आपकी मशविरे के…tag:openbooksonline.com,2018-01-15:5170231:Comment:9099142018-01-15T16:39:12.321ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
आ. तिवारी जी,<br />
आपकी मशविरे के लिए शुक्रिया लेकिन,<br />
मिसरा सीधा करने के चक्कर में शेरियत,<br />
मर जाए तो शेर कहने का फायदा क्या.. बहरहाल कुछ और सोचेंगे..
आ. तिवारी जी,<br />
आपकी मशविरे के लिए शुक्रिया लेकिन,<br />
मिसरा सीधा करने के चक्कर में शेरियत,<br />
मर जाए तो शेर कहने का फायदा क्या.. बहरहाल कुछ और सोचेंगे.. आदरणीय सलीम साहब,
तीसरे शेर क…tag:openbooksonline.com,2018-01-15:5170231:Comment:9097392018-01-15T13:45:26.729ZAjay Tiwarihttp://openbooksonline.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय सलीम साहब,</p>
<p>तीसरे शेर को निकाल देने से ग़ज़ल बेहतर हो गयी है. दूसरे शेर में 'तो' कम होने से मेरी मुराद ये थी कि दोनों मिसरों को जोड़ने वाला संयोजक इनमे नहीं है. दोनों मिसरों को अगर सरल वाक्य के रूप में लिखें तो यह बात स्पष्ट हो जायेगी : </p>
<p><span>'तुमसे </span><span>इश्क़ नहीं किया होता <strong>तो </strong></span><span>ज़िन्दगी में मज़ा नहीं होता'. </span></p>
<p></p>
<p>इसी मजमून को एक दूसरे सरल वाक्य में लिखते हैं :</p>
<p></p>
<p>'जिंदगी में मजा नहीं होता अगर आपका प्यार नहीं…</p>
<p>आदरणीय सलीम साहब,</p>
<p>तीसरे शेर को निकाल देने से ग़ज़ल बेहतर हो गयी है. दूसरे शेर में 'तो' कम होने से मेरी मुराद ये थी कि दोनों मिसरों को जोड़ने वाला संयोजक इनमे नहीं है. दोनों मिसरों को अगर सरल वाक्य के रूप में लिखें तो यह बात स्पष्ट हो जायेगी : </p>
<p><span>'तुमसे </span><span>इश्क़ नहीं किया होता <strong>तो </strong></span><span>ज़िन्दगी में मज़ा नहीं होता'. </span></p>
<p></p>
<p>इसी मजमून को एक दूसरे सरल वाक्य में लिखते हैं :</p>
<p></p>
<p>'जिंदगी में मजा नहीं होता अगर आपका प्यार नहीं होता' </p>
<p></p>
<p>अब इसे शेर में बदलेंगे तो कुछ यूं होगा :</p>
<p></p>
<p>प्यार अगर आपका नहीं होता >दर्द गर आपका नहीं होता </p>
<p>जिंदगी में मजा नहीं होता</p>
<p></p>
<p>यह एक फ़ौरी सुझाव है ऊला के लिए इससे बेहतर मिसरे आप खुद सोच सकते हैं. </p>
<p></p>
<p>सादर</p>