Comments - विद्वता के पैमाने /लघुकथा - Open Books Online2024-03-28T15:06:02Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A909839&xn_auth=noबहुत-बहुत धन्यवाद आ. शेख़ शहज़ा…tag:openbooksonline.com,2018-01-24:5170231:Comment:9107592018-01-24T13:54:14.096ZMahendra Kumarhttp://openbooksonline.com/profile/Mahendra
<p>बहुत-बहुत धन्यवाद आ. शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी. सादर आभार.</p>
<p>बहुत-बहुत धन्यवाद आ. शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी. सादर आभार.</p> बहुत शुक्रिया आ. बृजेश जी. ह…tag:openbooksonline.com,2018-01-24:5170231:Comment:9107582018-01-24T13:53:42.357ZMahendra Kumarhttp://openbooksonline.com/profile/Mahendra
<p>बहुत शुक्रिया आ. बृजेश जी. हार्दिक आभार. सादर.</p>
<p>बहुत शुक्रिया आ. बृजेश जी. हार्दिक आभार. सादर.</p> हार्दिक आभार आ. विजय जी. सादर.tag:openbooksonline.com,2018-01-23:5170231:Comment:9106672018-01-23T14:57:52.506ZMahendra Kumarhttp://openbooksonline.com/profile/Mahendra
<p>हार्दिक आभार आ. विजय जी. सादर.</p>
<p>हार्दिक आभार आ. विजय जी. सादर.</p> बेहतरीन सृजन के लिए तहे दिल स…tag:openbooksonline.com,2018-01-20:5170231:Comment:9101832018-01-20T17:14:37.908ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>बेहतरीन सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब महेंद्र कुमार साहिब।</p>
<p>बेहतरीन सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब महेंद्र कुमार साहिब।</p> बहुत बेहतरीन...ऐसी लघुकथा होन…tag:openbooksonline.com,2018-01-20:5170231:Comment:9102622018-01-20T09:07:48.364Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>बहुत बेहतरीन...ऐसी लघुकथा होनी चाहिए जो एक कसक सी छोड़ दे..और आपकी कथा इस कसौटी पर पूर्णतया कसी हुई है आदरणीय..सादर बधाई</p>
<p>बहुत बेहतरीन...ऐसी लघुकथा होनी चाहिए जो एक कसक सी छोड़ दे..और आपकी कथा इस कसौटी पर पूर्णतया कसी हुई है आदरणीय..सादर बधाई</p> बहुत ही सुन्दर लघु कथा। हार्द…tag:openbooksonline.com,2018-01-18:5170231:Comment:9097022018-01-18T03:14:05.294Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>बहुत ही सुन्दर लघु कथा। हार्दिक बधाई।</p>
<p>बहुत ही सुन्दर लघु कथा। हार्दिक बधाई।</p> सादर आदाब आ. समर सर. जी, मुझे…tag:openbooksonline.com,2018-01-17:5170231:Comment:9096912018-01-17T14:39:03.000ZMahendra Kumarhttp://openbooksonline.com/profile/Mahendra
<p>सादर आदाब आ. समर सर. जी, मुझे याद है. आप जैसे साहित्य अनुरागी को यदि मेरी लघुकथाएँ पसन्द आती हैं तो इससे बढ़कर दूसरी ख़ुशी मेरे लिए नहीं हो सकती. आपको यह लघुकथा पसन्द आयी, मेरा लेखन सार्थक रहा. आपका हृदय से आभारी हूँ. बहुत-बहुत धन्यवाद. सादर.</p>
<p>सादर आदाब आ. समर सर. जी, मुझे याद है. आप जैसे साहित्य अनुरागी को यदि मेरी लघुकथाएँ पसन्द आती हैं तो इससे बढ़कर दूसरी ख़ुशी मेरे लिए नहीं हो सकती. आपको यह लघुकथा पसन्द आयी, मेरा लेखन सार्थक रहा. आपका हृदय से आभारी हूँ. बहुत-बहुत धन्यवाद. सादर.</p> लघुकथा पसन्द करने के लिए आपका…tag:openbooksonline.com,2018-01-17:5170231:Comment:9097972018-01-17T14:35:43.009ZMahendra Kumarhttp://openbooksonline.com/profile/Mahendra
<p>लघुकथा पसन्द करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आ. अजय जी. मीर का शेर साझा करने के लिए हृदय से आभारी हूँ. सादर.</p>
<p>लघुकथा पसन्द करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आ. अजय जी. मीर का शेर साझा करने के लिए हृदय से आभारी हूँ. सादर.</p> जनाब महेन्द्र कुमार जी आदाब,ब…tag:openbooksonline.com,2018-01-17:5170231:Comment:9096792018-01-17T08:55:38.204ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब महेन्द्र कुमार जी आदाब,बहुत उम्दा और प्रभावित करने वाली लघुकथा लिखी आपने,आपकी लघुकथाएं मुझे बहुत पसंद आती हैं,इसका इज़हार मैं आपसे पहले भी कर चुका हूँ,ये लघुकथा भी बेहद पसंद आई,कथानक,शिल्प हर दृष्टि से कामयाब,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब महेन्द्र कुमार जी आदाब,बहुत उम्दा और प्रभावित करने वाली लघुकथा लिखी आपने,आपकी लघुकथाएं मुझे बहुत पसंद आती हैं,इसका इज़हार मैं आपसे पहले भी कर चुका हूँ,ये लघुकथा भी बेहद पसंद आई,कथानक,शिल्प हर दृष्टि से कामयाब,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।</p> आदरणीय महेंद्र जी,
सुकरात के…tag:openbooksonline.com,2018-01-16:5170231:Comment:9096662018-01-16T15:32:31.099ZAjay Tiwarihttp://openbooksonline.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय महेंद्र जी,</p>
<p>सुकरात के प्रख्यात कथन को आधार बना ज्ञान के खोखले आधुनिक मानकों पर अच्छी टिप्पणी की है. हार्दिक बधाई.</p>
<p></p>
<p>इसे पढ़ते हुए मीर का एक शेर याद आया :</p>
<p></p>
<p><span>यही</span> <span>जाना</span> <span>कि</span> <span>कुछ</span> <span>न</span> <span>जाना</span> <span>हाए</span></p>
<p><span>सो</span> <span>भी</span> <span>इक</span> <span>उम्र</span> <span>में</span> <span>हुआ</span> <span>मालूम</span></p>
<p></p>
<p>सादर </p>
<p>आदरणीय महेंद्र जी,</p>
<p>सुकरात के प्रख्यात कथन को आधार बना ज्ञान के खोखले आधुनिक मानकों पर अच्छी टिप्पणी की है. हार्दिक बधाई.</p>
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<p>इसे पढ़ते हुए मीर का एक शेर याद आया :</p>
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<p><span>यही</span> <span>जाना</span> <span>कि</span> <span>कुछ</span> <span>न</span> <span>जाना</span> <span>हाए</span></p>
<p><span>सो</span> <span>भी</span> <span>इक</span> <span>उम्र</span> <span>में</span> <span>हुआ</span> <span>मालूम</span></p>
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<p>सादर </p>