Comments - वर्तमान परिदृश्य पर पञ्चचामर छंद में एक रचना - Open Books Online2024-03-29T12:05:21Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A911527&xn_auth=noवाह आदरणीय बेहतरीन शब्द संयोज…tag:openbooksonline.com,2018-02-02:5170231:Comment:9123482018-02-02T15:00:26.231Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>वाह आदरणीय बेहतरीन शब्द संयोजन..बेहतरीन भाव..सादर</p>
<p>वाह आदरणीय बेहतरीन शब्द संयोजन..बेहतरीन भाव..सादर</p> आद0 सतविंद्र भाई जी सादर अभिव…tag:openbooksonline.com,2018-01-31:5170231:Comment:9120912018-01-31T22:14:19.198Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 सतविंद्र भाई जी सादर अभिवादन। प्रशंशा के लिए आभार। वहीं रखा जमीन है/इसका आशय मैंने यह लिया था कि जो जमीन वाले लोग है, वे खेत मे भले प्रवेश न किये हो, पर जमीनें उन्हीं के पास हैँ।</p>
<p>आद0 सतविंद्र भाई जी सादर अभिवादन। प्रशंशा के लिए आभार। वहीं रखा जमीन है/इसका आशय मैंने यह लिया था कि जो जमीन वाले लोग है, वे खेत मे भले प्रवेश न किये हो, पर जमीनें उन्हीं के पास हैँ।</p> आद0 अजय कुमार जी सादर अभिवादन…tag:openbooksonline.com,2018-01-31:5170231:Comment:9120892018-01-31T22:12:16.013Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 अजय कुमार जी सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थित होकर हौसलाफजाई के लिए शुक्रिया।</p>
<p>आद0 अजय कुमार जी सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थित होकर हौसलाफजाई के लिए शुक्रिया।</p> बहुत खूब आदरणीय सुरेन्द्र भाई…tag:openbooksonline.com,2018-01-31:5170231:Comment:9122342018-01-31T16:04:11.666Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
बहुत खूब आदरणीय सुरेन्द्र भाई जी। हार्दिक बधाई।<br />
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/वहीं रखा जमीन हैं/ के अर्थ तक नहीं पहुँच पाया। सादर
बहुत खूब आदरणीय सुरेन्द्र भाई जी। हार्दिक बधाई।<br />
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/वहीं रखा जमीन हैं/ के अर्थ तक नहीं पहुँच पाया। सादर बहुत सुन्दर रचना...tag:openbooksonline.com,2018-01-29:5170231:Comment:9114862018-01-29T14:42:27.260ZAjay Kumar Sharmahttp://openbooksonline.com/profile/AjayKumarSharma805
<p>बहुत सुन्दर रचना...</p>
<p>बहुत सुन्दर रचना...</p>