Comments - ग़ज़ल(रहे गर्दिश में जो हरदम) - Open Books Online2024-03-28T14:21:09Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A912870&xn_auth=noआ. भाई बासुदेव जी, सुंदर गजल…tag:openbooksonline.com,2018-02-11:5170231:Comment:9135662018-02-11T11:17:21.173Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई बासुदेव जी, सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई बासुदेव जी, सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई ।</p> मुहतरम जनाब बासुदेव साहिब ,ग़ज़…tag:openbooksonline.com,2018-02-10:5170231:Comment:9137072018-02-10T14:12:56.129ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>मुहतरम जनाब बासुदेव साहिब ,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है ,बहुत मुश्किल ज़मीन है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं। </p>
<p>शेर1 मिसरों में रब्त की कमी ,यूँ करसकते हैं "रहें जो गर्दिशों में ऐसे अनजानों पे क्या गुज़री । "बताएं किस तरह उन दफ़्न अरमानों पे क्या गुज़री।</p>
<p>शेर2 मिसरों में रब्त नहीं ,यूँ सानी मिसरा करसकते हैं "।भला औलाद क्या जाने कि उन शानों पे क्या गुज़री।</p>
<p>शेर3 रब्त की कमी ,उला मिसरा यूँ करसकते हैं ।"बताता ही नहीं इंसानियत का फलसफा कोई " </p>
<p>शेर4मिसरों में रब्त की कमी,उला बह्र में नहीं…</p>
<p>मुहतरम जनाब बासुदेव साहिब ,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है ,बहुत मुश्किल ज़मीन है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं। </p>
<p>शेर1 मिसरों में रब्त की कमी ,यूँ करसकते हैं "रहें जो गर्दिशों में ऐसे अनजानों पे क्या गुज़री । "बताएं किस तरह उन दफ़्न अरमानों पे क्या गुज़री।</p>
<p>शेर2 मिसरों में रब्त नहीं ,यूँ सानी मिसरा करसकते हैं "।भला औलाद क्या जाने कि उन शानों पे क्या गुज़री।</p>
<p>शेर3 रब्त की कमी ,उला मिसरा यूँ करसकते हैं ।"बताता ही नहीं इंसानियत का फलसफा कोई " </p>
<p>शेर4मिसरों में रब्त की कमी,उला बह्र में नहीं ,सानी में ऐब-तनाफुर (उन नाकाम) यूँ कर सकते हैं ।"पतंगे शम ए उल्फ़त पर जो जलकर मर मिटे यारो --खबर किस को भला नाकाम परवानों पे क्या गुज़री"।</p> आ0 सोमेश कुमारजी आपकी उत्साहव…tag:openbooksonline.com,2018-02-09:5170231:Comment:9134242018-02-09T05:52:20.495Zबासुदेव अग्रवाल 'नमन'http://openbooksonline.com/profile/Basudeo
<p>आ0 सोमेश कुमारजी आपकी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया का हृदय से आभार </p>
<p>आ0 सोमेश कुमारजी आपकी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया का हृदय से आभार </p> कमर झुकती गयी वो बोझ को फिर…tag:openbooksonline.com,2018-02-08:5170231:Comment:9133142018-02-08T04:32:56.850Zsomesh kumarhttp://openbooksonline.com/profile/someshkuar
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<p>कमर झुकती गयी वो बोझ को फिर भी रहें थामे,<br/>न जाने आज की औलाद उन शानों पे क्या गुजरी।</p>
<p> बेहतरीन ,बधाई इस अच्छी और सच्ची गज़ल पर </p>
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<p>कमर झुकती गयी वो बोझ को फिर भी रहें थामे,<br/>न जाने आज की औलाद उन शानों पे क्या गुजरी।</p>
<p> बेहतरीन ,बधाई इस अच्छी और सच्ची गज़ल पर </p> जनाब मोहम्मद आरिफ जी आपका हृद…tag:openbooksonline.com,2018-02-07:5170231:Comment:9130642018-02-07T07:42:05.772Zबासुदेव अग्रवाल 'नमन'http://openbooksonline.com/profile/Basudeo
<p>जनाब मोहम्मद आरिफ जी आपका हृदय से आभार।</p>
<p>जनाब मोहम्मद आरिफ जी आपका हृदय से आभार।</p> आदरणीया रक्षिता सिंह जी आपका…tag:openbooksonline.com,2018-02-07:5170231:Comment:9129042018-02-07T07:40:35.479Zबासुदेव अग्रवाल 'नमन'http://openbooksonline.com/profile/Basudeo
<p>आदरणीया रक्षिता सिंह जी आपका बहुत बहुत आभार।</p>
<p>आदरणीया रक्षिता सिंह जी आपका बहुत बहुत आभार।</p> हार्दिक बधाई आदरणीय। लाज़वाब ग…tag:openbooksonline.com,2018-02-07:5170231:Comment:9129022018-02-07T06:45:53.144Znarendrasinh chauhanhttp://openbooksonline.com/profile/narendrasinhchauhan
हार्दिक बधाई आदरणीय। लाज़वाब गज़ल।
हार्दिक बधाई आदरणीय। लाज़वाब गज़ल। आदरणीय वासुदेव जी आदाब,
…tag:openbooksonline.com,2018-02-06:5170231:Comment:9128752018-02-06T12:00:50.697ZMohammed Arifhttp://openbooksonline.com/profile/MohammedArif
<p>आदरणीय वासुदेव जी आदाब,</p>
<p> जनाब साहिर लुधियानवी साहब की ज़मी पर बहुत ही अच्छे अश'आरों से सुसज्जित ग़ज़ल । हर शे'र बढ़िया । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।</p>
<p>आदरणीय वासुदेव जी आदाब,</p>
<p> जनाब साहिर लुधियानवी साहब की ज़मी पर बहुत ही अच्छे अश'आरों से सुसज्जित ग़ज़ल । हर शे'र बढ़िया । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।</p> आदरणीय नमन जी नमस्कार,
बहुत ह…tag:openbooksonline.com,2018-02-06:5170231:Comment:9130462018-02-06T11:41:39.093Zरक्षिता सिंहhttp://openbooksonline.com/profile/RakshitaSingh
<p>आदरणीय नमन जी नमस्कार,</p>
<p>बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ....</p>
<p>"मुहब्बत की शमअ पर मर मिटे जल जल पतंगे जो,</p>
<p>खबर किसको कि उन नाकाम परवानों पे क्या गुजरी"</p>
<p>हार्दिक बधाई स्वीकार करें।</p>
<p>आदरणीय नमन जी नमस्कार,</p>
<p>बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ....</p>
<p>"मुहब्बत की शमअ पर मर मिटे जल जल पतंगे जो,</p>
<p>खबर किसको कि उन नाकाम परवानों पे क्या गुजरी"</p>
<p>हार्दिक बधाई स्वीकार करें।</p>