Comments - ग़ज़ल - आप दिल में समाने लगे - Open Books Online2024-03-28T19:41:39Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A913529&xn_auth=noसेवार्थ श्री योगराज प्रभाकर ज…tag:openbooksonline.com,2018-02-13:5170231:Comment:9136812018-02-13T11:27:05.531ZNaveen Mani Tripathihttp://openbooksonline.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>सेवार्थ श्री योगराज प्रभाकर जी </p>
<p></p>
<p>आ0 आपकी बेवसाइट में कमी है । मैं हमेशा व्यवस्थित करके भेजता हूँ परंतु पोस्ट होते ही सारे स्पेश खत्म हो जाते हैं और रचना गद्य जैसी दिखने लगती है । कृपया टेक्निकल टीम का सहयोग आपेक्षित है । और किसी वेबसाइट पर ऐसा नही होता सिर्फ ओबीओ में हो रहा है ।</p>
<p>सेवार्थ श्री योगराज प्रभाकर जी </p>
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<p>आ0 आपकी बेवसाइट में कमी है । मैं हमेशा व्यवस्थित करके भेजता हूँ परंतु पोस्ट होते ही सारे स्पेश खत्म हो जाते हैं और रचना गद्य जैसी दिखने लगती है । कृपया टेक्निकल टीम का सहयोग आपेक्षित है । और किसी वेबसाइट पर ऐसा नही होता सिर्फ ओबीओ में हो रहा है ।</p> हार्दिक बधाई ।tag:openbooksonline.com,2018-02-13:5170231:Comment:9138672018-02-13T05:46:24.909Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>हार्दिक बधाई ।</p>
<p>हार्दिक बधाई ।</p> आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी आ…tag:openbooksonline.com,2018-02-11:5170231:Comment:9138272018-02-11T02:24:34.600ZMohammed Arifhttp://openbooksonline.com/profile/MohammedArif
<p>आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,</p>
<p> छोटी बह्र की बहुत ही प्यारी ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दिली मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए । कुछ वर्तनीगत अशुद्धियाँ हैं जैसे:-आजमाने/आज़माने , नजर/नज़र , रफ्ता-रफ्ता/रफ़्ता-रफ़्ता ,कदम/क़दम ,मुलाकात/मुलाक़ात आदि । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।</p>
<p>आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,</p>
<p> छोटी बह्र की बहुत ही प्यारी ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दिली मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए । कुछ वर्तनीगत अशुद्धियाँ हैं जैसे:-आजमाने/आज़माने , नजर/नज़र , रफ्ता-रफ्ता/रफ़्ता-रफ़्ता ,कदम/क़दम ,मुलाकात/मुलाक़ात आदि । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।</p>