Comments - ग़ज़ल ( दूर माशूक़ से आशिक़ कहाँ जाना चाहे ) - Open Books Online2024-03-28T09:30:03Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A913599&xn_auth=noजनाब राम अवध साहिब ,ग़ज़ल में आ…tag:openbooksonline.com,2018-02-14:5170231:Comment:9141152018-02-14T12:53:40.203ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>जनाब राम अवध साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।</p>
<p>जनाब राम अवध साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।</p> जनाब नीरज साहिब ,ग़ज़ल को पसंद…tag:openbooksonline.com,2018-02-14:5170231:Comment:9139792018-02-14T12:52:40.737ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>जनाब नीरज साहिब ,ग़ज़ल को पसंद करने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।</p>
<p>जनाब नीरज साहिब ,ग़ज़ल को पसंद करने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।</p> हर शेर खूबसूरत क्या खूब ग़ज़ल ह…tag:openbooksonline.com,2018-02-14:5170231:Comment:9139772018-02-14T12:00:01.771ZRam Awadh VIshwakarmahttp://openbooksonline.com/profile/RamAwadhVIshwakarma
<p>हर शेर खूबसूरत क्या खूब ग़ज़ल है।</p>
<p>मुबारकबाद कुबूल फरमायें।</p>
<p>हर शेर खूबसूरत क्या खूब ग़ज़ल है।</p>
<p>मुबारकबाद कुबूल फरमायें।</p> ओह्ह क्या बात है आदरणीय tasdi…tag:openbooksonline.com,2018-02-14:5170231:Comment:9139052018-02-14T05:30:40.220ZNeeraj Nishchalhttp://openbooksonline.com/profile/NeerajMishra
<p>ओह्ह क्या बात है आदरणीय tasdiq भाई आखिरी शेर ने बहुत ही कातिल है कितनी दाद दूँ समझ नही आता ।</p>
<p>ओह्ह क्या बात है आदरणीय tasdiq भाई आखिरी शेर ने बहुत ही कातिल है कितनी दाद दूँ समझ नही आता ।</p> मुहतरम जनाब विजय साहिब ,आपकी…tag:openbooksonline.com,2018-02-14:5170231:Comment:9140122018-02-14T04:52:40.843ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>मुहतरम जनाब विजय साहिब ,आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया ,और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।</p>
<p>मुहतरम जनाब विजय साहिब ,आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया ,और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।</p> जनाब सलीम रज़ा साहिब ,ग़ज़ल में…tag:openbooksonline.com,2018-02-14:5170231:Comment:9141112018-02-14T04:51:11.581ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>जनाब सलीम रज़ा साहिब ,ग़ज़ल में आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया ,शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।</p>
<p>जनाब सलीम रज़ा साहिब ,ग़ज़ल में आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया ,शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।</p> जनाब लक्ष्मण धामी साहिब ,आपकी…tag:openbooksonline.com,2018-02-14:5170231:Comment:9141102018-02-14T04:49:44.598ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>जनाब लक्ष्मण धामी साहिब ,आपकी ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।</p>
<p>जनाब लक्ष्मण धामी साहिब ,आपकी ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।</p> //मुफ़लिसी के हैं यह मारे हु…tag:openbooksonline.com,2018-02-14:5170231:Comment:9138992018-02-14T04:25:15.216Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p><span> //मुफ़लिसी के हैं यह मारे हुए ज़ालिम वरना <br/>तेरी दहलीज़ पे सर कौन झुकाना चाहे |//</span></p>
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<p><span>भाई तस्दीक अहमद जी, गज़ल बार-बार पढ़ी... दिल से बधाई। </span></p>
<p><span> //मुफ़लिसी के हैं यह मारे हुए ज़ालिम वरना <br/>तेरी दहलीज़ पे सर कौन झुकाना चाहे |//</span></p>
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<p><span>भाई तस्दीक अहमद जी, गज़ल बार-बार पढ़ी... दिल से बधाई। </span></p> मैं ही आया हूँ नहीं सिर्फ़ पर…tag:openbooksonline.com,2018-02-13:5170231:Comment:9136942018-02-13T18:37:09.814ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
<p><span>मैं ही आया हूँ नहीं सिर्फ़ परखने क़िस्मत</span> <br/><span>उन को तो अपना हर इक शख्स बनाना चाहे |.... वाह </span></p>
<p><span>मैं ही आया हूँ नहीं सिर्फ़ परखने क़िस्मत</span> <br/><span>उन को तो अपना हर इक शख्स बनाना चाहे |.... वाह </span></p> वाह वाह मुरस्सा ग़ज़ल... हुई…tag:openbooksonline.com,2018-02-13:5170231:Comment:9139582018-02-13T18:36:31.281ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
<p>वाह वाह मुरस्सा ग़ज़ल... हुई है जनाब तस्दीक साहब वाह वाह क्या कहने हर शेर के लिए मुबारक़बाद.. </p>
<p>वाह वाह मुरस्सा ग़ज़ल... हुई है जनाब तस्दीक साहब वाह वाह क्या कहने हर शेर के लिए मुबारक़बाद.. </p>