Comments - अब समझ में नहीं आरही बेरुख़ी.. - Open Books Online2024-03-29T06:13:16Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A914983&xn_auth=noआ समर दादा आभार
जी दादा मैं…tag:openbooksonline.com,2018-02-25:5170231:Comment:9158052018-02-25T10:11:22.761Zamod shrivastav (bindouri)http://openbooksonline.com/profile/amodbindouri
<p>आ समर दादा आभार </p>
<p>जी दादा मैं ठीक कर लेता हूँ । ...नमन</p>
<p>आ समर दादा आभार </p>
<p>जी दादा मैं ठीक कर लेता हूँ । ...नमन</p> जनाब अमोद बिंदौरी जी आदाब,ग़ज़ल…tag:openbooksonline.com,2018-02-25:5170231:Comment:9159812018-02-25T09:57:19.789ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब अमोद बिंदौरी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>कई अशआर में शिल्प दोष है,इसकी तरफ़ ध्यान देना आवश्यक है ।</p>
<p></p>
<p>दूसरे शैर में मफ़हूम साफ़ नहीं है,क्या कहना चाहते हैं?</p>
<p></p>
<p>'आप समझें मुझे गर खिलौना न ग़म'</p>
<p>इस मिसरे में शिल्प कमज़ोर है, इसे यूँ कर सकते हैं :-</p>
<p>"आप समझें खिलौना मुझे ग़म नहीं'</p>
<p></p>
<p>"आगे चलकर मिले न मिले यह सभी'</p>
<p>ऊला मिसरे में चूँकि बहुवचन है, इसलिये इस मिसरे को यूँ कर लीजिये:-</p>
<p>'आगे चलकर मिलें न मिलें…</p>
<p>जनाब अमोद बिंदौरी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>कई अशआर में शिल्प दोष है,इसकी तरफ़ ध्यान देना आवश्यक है ।</p>
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<p>दूसरे शैर में मफ़हूम साफ़ नहीं है,क्या कहना चाहते हैं?</p>
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<p>'आप समझें मुझे गर खिलौना न ग़म'</p>
<p>इस मिसरे में शिल्प कमज़ोर है, इसे यूँ कर सकते हैं :-</p>
<p>"आप समझें खिलौना मुझे ग़म नहीं'</p>
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<p>"आगे चलकर मिले न मिले यह सभी'</p>
<p>ऊला मिसरे में चूँकि बहुवचन है, इसलिये इस मिसरे को यूँ कर लीजिये:-</p>
<p>'आगे चलकर मिलें न मिलें यह सभी'</p>
<p></p>
<p>'जिसकी रग में मुहब्बत की स्याही बहे'</p>
<p>इस मिसरे को यूँ करना उचित होगा :-</p>
<p>'जिसकी रग रग में चाहत की स्याही बहे'</p>
<p></p>
<p>'असलियत है न ये रंग बदलती कभी'</p>
<p>इस मिसरे को यूँ करना उचित होगा :-</p>
<p>'असलियत है बदलती नहीं ये कभी'</p> बहूत खूब, हार्दिक शुभकामनाएं…tag:openbooksonline.com,2018-02-23:5170231:Comment:9154202018-02-23T10:31:34.178ZShyam Narain Vermahttp://openbooksonline.com/profile/ShyamNarainVerma
बहूत खूब, हार्दिक शुभकामनाएं l सादर
बहूत खूब, हार्दिक शुभकामनाएं l सादर