Comments - देवियां (लघुकथा) - Open Books Online2024-03-28T21:35:14Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A915937&xn_auth=noमेरी इस लघुकथा पर समय देकर अन…tag:openbooksonline.com,2018-02-27:5170231:Comment:9166612018-02-27T23:12:52.603ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>मेरी इस लघुकथा पर समय देकर अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई के साथ अपने विचार साझा करने के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब और जनाब तेजवीर सिंह साहिब।</p>
<p>मेरी इस लघुकथा पर समय देकर अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई के साथ अपने विचार साझा करने के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब और जनाब तेजवीर सिंह साहिब।</p> आ. भाई शेख सहजाद जी, अच्छी कथ…tag:openbooksonline.com,2018-02-27:5170231:Comment:9163302018-02-27T00:40:40.842Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई शेख सहजाद जी, अच्छी कथा हुई है , हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई शेख सहजाद जी, अच्छी कथा हुई है , हार्दिक बधाई ।</p> जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब…tag:openbooksonline.com,2018-02-25:5170231:Comment:9159932018-02-25T16:33:07.275ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब आदाब,तएं लघुकथा भी अच्छी लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब आदाब,तएं लघुकथा भी अच्छी लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p> हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मा…tag:openbooksonline.com,2018-02-25:5170231:Comment:9158862018-02-25T04:23:57.475ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी। बेहतरीन लघुकथा।</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी। बेहतरीन लघुकथा।</p> आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी आदाब…tag:openbooksonline.com,2018-02-25:5170231:Comment:9159702018-02-25T04:00:13.602ZMohammed Arifhttp://openbooksonline.com/profile/MohammedArif
<p>आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी आदाब,</p>
<p> शादी शुदा मर्द जब लिव-इन-रिलेशन में रहे तो पत्नी का घुटघुटकर मरना वाजिब है । ऐसे ज़रूरी हो जाता है कि पत्नी इसका पुरज़ोर तरीक़े से प्रतिकार करें वरना वह अपनी गृहस्थी को उजड़ते देखने के सिवाय कुछ नहीं कर सकती । सशक्त लघुकथा और पात्रानुकूल संवाद चयन भी । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।</p>
<p>आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी आदाब,</p>
<p> शादी शुदा मर्द जब लिव-इन-रिलेशन में रहे तो पत्नी का घुटघुटकर मरना वाजिब है । ऐसे ज़रूरी हो जाता है कि पत्नी इसका पुरज़ोर तरीक़े से प्रतिकार करें वरना वह अपनी गृहस्थी को उजड़ते देखने के सिवाय कुछ नहीं कर सकती । सशक्त लघुकथा और पात्रानुकूल संवाद चयन भी । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।</p>