Comments - ग़ज़ल ( आप से मैं प्यार करना चाहता हूँ ) - Open Books Online2024-03-29T07:52:59Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A917265&xn_auth=noजनाब हर्ष साहिब ,आपकी ग़ज़ल में…tag:openbooksonline.com,2018-03-06:5170231:Comment:9176462018-03-06T08:55:10.860ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>जनाब हर्ष साहिब ,आपकी ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।</p>
<p>जनाब हर्ष साहिब ,आपकी ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।</p> "जाँ"के बाद कामा लगाइएगा ।tag:openbooksonline.com,2018-03-06:5170231:Comment:9177412018-03-06T06:03:51.192ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>"जाँ"के बाद कामा लगाइएगा ।</p>
<p>"जाँ"के बाद कामा लगाइएगा ।</p> आदर्णीयय तस्दीक अहमद जी आदाब…tag:openbooksonline.com,2018-03-06:5170231:Comment:9178282018-03-06T04:31:11.630ZHarash Mahajanhttp://openbooksonline.com/profile/HarashMahajan
<p>आदर्णीयय तस्दीक अहमद जी आदाब । बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल हुई है साहब । बहुत बहुत बधाई ।</p>
<p>सादर ।</p>
<p>आदर्णीयय तस्दीक अहमद जी आदाब । बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल हुई है साहब । बहुत बहुत बधाई ।</p>
<p>सादर ।</p> मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आद…tag:openbooksonline.com,2018-03-06:5170231:Comment:9179112018-03-06T03:58:58.935ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया । आपकी बात सही है ,सानी मिसरा यूँ तब्दील कर लिया है "जाँ निसारे यार करना चाहता हूं" </p>
<p>मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया । आपकी बात सही है ,सानी मिसरा यूँ तब्दील कर लिया है "जाँ निसारे यार करना चाहता हूं" </p> जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,अ…tag:openbooksonline.com,2018-03-05:5170231:Comment:9176292018-03-05T17:13:40.036ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।</p>
<p>'जान तुहपर वार करना चाहता हूँ'</p>
<p>इस मिसरे में क़ाफ़िया वो अर्थ नहीं दे रहा है,जो आपने लिया है ,आप 'जान तुझपर वार' दूँ' कहना चाहते हैं,लेकिन यहाँ इसका अर्थ हो रहा है 'जान तुझपर हमला करना चाहता हूँ',और ये संशय रदीफ़ की वजह से पैदा हो रहा है,'देना चाहता हूँ' होती तो ठीक होता, लेकिन 'करना चाहता हूँ'रदीफ़ के साथ 'वार' शब्द का अर्थ "हमला" ही होगा, जैसे मिसाल के तौर पर :-</p>
<p>'दुश्मनों पर वार करना चाहता…</p>
<p>जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।</p>
<p>'जान तुहपर वार करना चाहता हूँ'</p>
<p>इस मिसरे में क़ाफ़िया वो अर्थ नहीं दे रहा है,जो आपने लिया है ,आप 'जान तुझपर वार' दूँ' कहना चाहते हैं,लेकिन यहाँ इसका अर्थ हो रहा है 'जान तुझपर हमला करना चाहता हूँ',और ये संशय रदीफ़ की वजह से पैदा हो रहा है,'देना चाहता हूँ' होती तो ठीक होता, लेकिन 'करना चाहता हूँ'रदीफ़ के साथ 'वार' शब्द का अर्थ "हमला" ही होगा, जैसे मिसाल के तौर पर :-</p>
<p>'दुश्मनों पर वार करना चाहता हूँ'</p>
<p>उम्मीद है आप मेरी बात पर ग़ौर फरमाएंगे ।</p> मुहतरम जनाब आरिफ़ साहिब आदाब ,…tag:openbooksonline.com,2018-03-05:5170231:Comment:9178122018-03-05T14:02:25.613ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>मुहतरम जनाब आरिफ़ साहिब आदाब ,ग़ज़ल पर आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।</p>
<p>मुहतरम जनाब आरिफ़ साहिब आदाब ,ग़ज़ल पर आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।</p> आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी आदाब,
…tag:openbooksonline.com,2018-03-05:5170231:Comment:9178092018-03-05T12:13:44.805ZMohammed Arifhttp://openbooksonline.com/profile/MohammedArif
<p>आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी आदाब,</p>
<p> बहुत ही उम्दा और आसान लफ़्जों में ग़ज़ल कही आपने । मुझे पूरी ग़ज़ल बहुत पसंद है । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें ।</p>
<p>आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी आदाब,</p>
<p> बहुत ही उम्दा और आसान लफ़्जों में ग़ज़ल कही आपने । मुझे पूरी ग़ज़ल बहुत पसंद है । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें ।</p> मुहतरम जनाब तेजवीर साहिब ,ग़ज़ल…tag:openbooksonline.com,2018-03-05:5170231:Comment:9176122018-03-05T07:15:18.129ZTasdiq Ahmed Khanhttp://openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>मुहतरम जनाब तेजवीर साहिब ,ग़ज़ल में आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।</p>
<p>मुहतरम जनाब तेजवीर साहिब ,ग़ज़ल में आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।</p> हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक अह…tag:openbooksonline.com,2018-03-05:5170231:Comment:9175972018-03-05T06:40:55.103ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।बेहतरीन गज़ल।</p>
<p><span>जिस खता की आपने मुझको सज़ा दी</span><br/><span>वो खता सौ बार करना चाहता हूँ |</span></p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।बेहतरीन गज़ल।</p>
<p><span>जिस खता की आपने मुझको सज़ा दी</span><br/><span>वो खता सौ बार करना चाहता हूँ |</span></p>