Comments - 'मदारी अपने-पराये' (लघुकथा) : - Open Books Online2024-03-28T21:56:14Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A917729&xn_auth=noआद0 शेख शहज़ाद उस्मानी साहब सा…tag:openbooksonline.com,2018-03-08:5170231:Comment:9181102018-03-08T08:02:25.284Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 शेख शहज़ाद उस्मानी साहब सादर अभिवादन। बढिया लघुकथा कही आपने। पर क्या नेता नाच रहे हैं या उनके इशारों पर हम निरीह जनता??? इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें</p>
<p>आद0 शेख शहज़ाद उस्मानी साहब सादर अभिवादन। बढिया लघुकथा कही आपने। पर क्या नेता नाच रहे हैं या उनके इशारों पर हम निरीह जनता??? इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें</p> बढ़िया प्रस्तुति आदरणीय उस्मान…tag:openbooksonline.com,2018-03-08:5170231:Comment:9179722018-03-08T07:27:46.975ZRahilahttp://openbooksonline.com/profile/Rahila
<p>बढ़िया प्रस्तुति आदरणीय उस्मानी जी!</p>
<p>बढ़िया प्रस्तुति आदरणीय उस्मानी जी!</p> जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदा…tag:openbooksonline.com,2018-03-06:5170231:Comment:9178552018-03-06T16:26:27.565ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बढ़िया लघुकथा, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बढ़िया लघुकथा, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p> जनाब उस्मानी साहब,
ख़ूबसूरत ल…tag:openbooksonline.com,2018-03-06:5170231:Comment:9178502018-03-06T15:44:27.298ZSALIM RAZA REWAhttp://openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
जनाब उस्मानी साहब,<br />
ख़ूबसूरत लघुकथा हुई है मुबारक़बाद कुबूल फरमाएं,
जनाब उस्मानी साहब,<br />
ख़ूबसूरत लघुकथा हुई है मुबारक़बाद कुबूल फरमाएं, अचानक कौंधी इस रचना पर समय दे…tag:openbooksonline.com,2018-03-06:5170231:Comment:9177562018-03-06T12:36:48.263ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>अचानक कौंधी इस रचना पर समय देकर त्वरित प्रतिक्रिया, अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब और जनाब तेजवीर सिंह साहिब। </p>
<p>अचानक कौंधी इस रचना पर समय देकर त्वरित प्रतिक्रिया, अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब और जनाब तेजवीर सिंह साहिब। </p> हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मा…tag:openbooksonline.com,2018-03-06:5170231:Comment:9178252018-03-06T03:50:11.388ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी।आपकी लेखनी की प्रखरता इस लघुकथा में पूरे उफ़ान पर है।वाह, क्या गज़ब का कटाक्ष पूर्ण संदेश दिया है।एकदम नया विषय।आपने ग्लोबल का प्रयोग बहुत सुंदर तरीके से किया।पुनः बधाई।</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी।आपकी लेखनी की प्रखरता इस लघुकथा में पूरे उफ़ान पर है।वाह, क्या गज़ब का कटाक्ष पूर्ण संदेश दिया है।एकदम नया विषय।आपने ग्लोबल का प्रयोग बहुत सुंदर तरीके से किया।पुनः बधाई।</p> आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आ…tag:openbooksonline.com,2018-03-06:5170231:Comment:9178222018-03-06T02:17:21.719ZMohammed Arifhttp://openbooksonline.com/profile/MohammedArif
<p>आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,</p>
<p> बेहद सशक्त , प्रासंगिक और कटाक्षपूर्ण लघुकथा । इशारों-इशारों में सबकुछ कह दिया है आपने । जैसा चित्रण आपने किया है आज देश में वैसा ही हो रहा है । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।</p>
<p>आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,</p>
<p> बेहद सशक्त , प्रासंगिक और कटाक्षपूर्ण लघुकथा । इशारों-इशारों में सबकुछ कह दिया है आपने । जैसा चित्रण आपने किया है आज देश में वैसा ही हो रहा है । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।</p>