Comments - अतुकांत कविता : गौरैया - Open Books Online2024-03-28T17:04:40Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A920000&xn_auth=noआदरणीय बागी सर, आपने सही कहा।…tag:openbooksonline.com,2018-03-23:5170231:Comment:9209352018-03-23T05:21:03.796Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीय बागी सर, आपने सही कहा। मैं ही किसी और धुन में था। क्षमा चाहता हूँ। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।</p>
<p>आदरणीय बागी सर, आपने सही कहा। मैं ही किसी और धुन में था। क्षमा चाहता हूँ। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।</p> बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्त…tag:openbooksonline.com,2018-03-22:5170231:Comment:9204912018-03-22T05:20:23.026ZShyam Narain Vermahttp://openbooksonline.com/profile/ShyamNarainVerma
<table width="482">
<tbody><tr><td width="482">बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति , बधाई आप को | सादर </td>
</tr>
</tbody>
</table>
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<tbody><tr><td width="482">बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति , बधाई आप को | सादर </td>
</tr>
</tbody>
</table> वाह आदरणीय क्या सुन्दर सार्थक…tag:openbooksonline.com,2018-03-21:5170231:Comment:9206142018-03-21T12:14:49.101Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>वाह आदरणीय क्या सुन्दर सार्थक चित्र उकेरा है...</p>
<p>वाह आदरणीय क्या सुन्दर सार्थक चित्र उकेरा है...</p> उस महफ़िल में मैं भी कुछ देर क…tag:openbooksonline.com,2018-03-20:5170231:Comment:9205122018-03-20T17:41:26.537ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>उस महफ़िल में मैं भी कुछ देर के लिए आया था,मोबाइल के ज़रिये, हा हा हा..</p>
<p>उस महफ़िल में मैं भी कुछ देर के लिए आया था,मोबाइल के ज़रिये, हा हा हा..</p> आदरणीय मिथिलेश भाई, मायके, नै…tag:openbooksonline.com,2018-03-20:5170231:Comment:9204532018-03-20T17:35:11.407ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>आदरणीय मिथिलेश भाई, मायके, नैहर और पीहर एक दूसरे के पर्यायवाची हैं । रचना आप तक पहुँची इसके लिए बहुत बहुत आभार ।</p>
<p>आदरणीय मिथिलेश भाई, मायके, नैहर और पीहर एक दूसरे के पर्यायवाची हैं । रचना आप तक पहुँची इसके लिए बहुत बहुत आभार ।</p> जी, सचमुच..वो ढाई दिन इतने शा…tag:openbooksonline.com,2018-03-20:5170231:Comment:9205082018-03-20T17:30:37.448ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooksonline.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>जी, सचमुच..वो ढाई दिन इतने शानदार थे कि हमेशा याद आते हैं, राजीव भाई ने भी निस्वार्थ भाव से जो सहयोग किया उसके चलते वो भी बहुत महत्वपूर्ण हो गए हैं.<br/>और वो रात वाली महफ़िल... आप, योगराज सर, मुनीश जी, समीर परिमल, राजीव भाई, रामनाथ भाई , आनंद भाई, गिरिराज जी...<br/>क्या कहने वाह वाह </p>
<p>जी, सचमुच..वो ढाई दिन इतने शानदार थे कि हमेशा याद आते हैं, राजीव भाई ने भी निस्वार्थ भाव से जो सहयोग किया उसके चलते वो भी बहुत महत्वपूर्ण हो गए हैं.<br/>और वो रात वाली महफ़िल... आप, योगराज सर, मुनीश जी, समीर परिमल, राजीव भाई, रामनाथ भाई , आनंद भाई, गिरिराज जी...<br/>क्या कहने वाह वाह </p> आदरणीय गणेश बाग़ी सर, बहुत शान…tag:openbooksonline.com,2018-03-20:5170231:Comment:9200912018-03-20T17:06:03.122Zमिथिलेश वामनकरhttp://openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीय गणेश बाग़ी सर, बहुत शानदार और संवेदनशील कविता लिखी है आपने। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। कविता की अंतिम पंक्ति के संबंध में निवेदन है कि बेटियाँ पीहर से मायके या नैहर लौटती हैं। अतः अतः लौटने के संदर्भ में बहू का पीहर के साथ और बेटियों का नैहर या मायके साथ उल्लेख अधिक प्रभावकारी लगता है। या कहें 'पीहर को बेटियाँ' को 'पीहर से बेटियाँ' भी किया जा सकता है। सादर</p>
<p>आदरणीय गणेश बाग़ी सर, बहुत शानदार और संवेदनशील कविता लिखी है आपने। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। कविता की अंतिम पंक्ति के संबंध में निवेदन है कि बेटियाँ पीहर से मायके या नैहर लौटती हैं। अतः अतः लौटने के संदर्भ में बहू का पीहर के साथ और बेटियों का नैहर या मायके साथ उल्लेख अधिक प्रभावकारी लगता है। या कहें 'पीहर को बेटियाँ' को 'पीहर से बेटियाँ' भी किया जा सकता है। सादर</p> आदरणीय निलेश भाई, रचना वचना प…tag:openbooksonline.com,2018-03-20:5170231:Comment:9204472018-03-20T17:04:29.129ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>आदरणीय निलेश भाई, रचना वचना पर बाद में, आपके साथ देहरादून और हरिद्वार में बितायी गयी क्वालिटी टाइम अभी भी जेहन में जिन्दा है, सच में आपसे मिलना एक उपलब्धि रही. </p>
<p>निलेश भाई मंच से अनुपस्थिति मेरी मज़बूरी है नहीं तो इतना प्यारा परिवार से कौन दूर रहना चाहेगा.</p>
<p>आपको रचना अच्छी लगी यह जानकार मन प्रसन्न है, बहुत बहुत आभार. </p>
<p>आदरणीय निलेश भाई, रचना वचना पर बाद में, आपके साथ देहरादून और हरिद्वार में बितायी गयी क्वालिटी टाइम अभी भी जेहन में जिन्दा है, सच में आपसे मिलना एक उपलब्धि रही. </p>
<p>निलेश भाई मंच से अनुपस्थिति मेरी मज़बूरी है नहीं तो इतना प्यारा परिवार से कौन दूर रहना चाहेगा.</p>
<p>आपको रचना अच्छी लगी यह जानकार मन प्रसन्न है, बहुत बहुत आभार. </p> आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी,…tag:openbooksonline.com,2018-03-20:5170231:Comment:9203362018-03-20T16:57:24.116ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी, प्रणाम, कविता आपको अच्छी लगी यह जान मन प्रसन्न है, इस उत्साहवर्धन करती टिप्पणी हेतु हृदय से आभार.</p>
<p>आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी, प्रणाम, कविता आपको अच्छी लगी यह जान मन प्रसन्न है, इस उत्साहवर्धन करती टिप्पणी हेतु हृदय से आभार.</p> 'कुछ लोटे जल' कर देना मेरे नज़…tag:openbooksonline.com,2018-03-20:5170231:Comment:9204462018-03-20T16:56:46.920ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>'कुछ लोटे जल' कर देना मेरे नज़दीक मुनासिब है ।</p>
<p>रचना पर पुनः बधाई ।</p>
<p>'कुछ लोटे जल' कर देना मेरे नज़दीक मुनासिब है ।</p>
<p>रचना पर पुनः बधाई ।</p>