Comments - ऐ ज़माने अब चला ऐसी हवा (गैर मुरद्दफ़) - Open Books Online2024-03-29T00:45:37Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A924904&xn_auth=noआदरणीय ब्रजेश कुमार जी
आपकी…tag:openbooksonline.com,2018-04-28:5170231:Comment:9268282018-04-28T01:57:42.473ZHarash Mahajanhttp://openbooksonline.com/profile/HarashMahajan
<p>आदरणीय ब्रजेश कुमार जी </p>
<p>आपकी आमद और प्रोत्साहित </p>
<p>टिप्पणी का शुक्रिया ।</p>
<p>आदरणीय ब्रजेश कुमार जी </p>
<p>आपकी आमद और प्रोत्साहित </p>
<p>टिप्पणी का शुक्रिया ।</p> उम्दा ग़ज़ल हुई आदरणीय..सादरtag:openbooksonline.com,2018-04-18:5170231:Comment:9253832018-04-18T14:41:58.524Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>उम्दा ग़ज़ल हुई आदरणीय..सादर</p>
<p>उम्दा ग़ज़ल हुई आदरणीय..सादर</p> शुक्रिया सर शंका दूर करने के…tag:openbooksonline.com,2018-04-17:5170231:Comment:9254472018-04-17T16:45:35.494ZHarash Mahajanhttp://openbooksonline.com/profile/HarashMahajan
<p>शुक्रिया सर शंका दूर करने के लिए आ० समर जी।</p>
<p>सादर ।</p>
<p>शुक्रिया सर शंका दूर करने के लिए आ० समर जी।</p>
<p>सादर ।</p> तज्रिबा इत/फ़ाइलातुन2122,(तज्र…tag:openbooksonline.com,2018-04-17:5170231:Comment:9252012018-04-17T16:31:30.207ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>तज्रिबा इत/फ़ाइलातुन2122,(तज्रिबा 212)</p>
<p>ना है सूरत /फ़ाइलातुन2122,मात्रा पतन के साथ</p>
<p></p>
<p>देख कर/फाइलुन 212</p>
<p>सही शब्द 'तज्रिबा' है "तज़र्बा" नहीं ।</p>
<p>बाक़ी ठीक है ।</p>
<p>तज्रिबा इत/फ़ाइलातुन2122,(तज्रिबा 212)</p>
<p>ना है सूरत /फ़ाइलातुन2122,मात्रा पतन के साथ</p>
<p></p>
<p>देख कर/फाइलुन 212</p>
<p>सही शब्द 'तज्रिबा' है "तज़र्बा" नहीं ।</p>
<p>बाक़ी ठीक है ।</p> आ० समर जी ....आपकी रहनुमाई मे…tag:openbooksonline.com,2018-04-17:5170231:Comment:9252732018-04-17T14:18:00.270ZHarash Mahajanhttp://openbooksonline.com/profile/HarashMahajan
<p>आ० समर जी ....आपकी रहनुमाई में ये ग्सल यूँ हुई सर</p>
<p>ज़रा देखिएगा ।</p>
<p></p>
<p>सादर</p>
<p></p>
<p>ऐ ज़माने अब चला ऐसी हवा ,<br></br>लौट कर आये महब्बत में वफ़ा ।</p>
<p></p>
<p>दूरियाँ मिटती नहीं अब क्या करें,<br></br>कोई मिलने का निकालो रास्ता ।</p>
<p></p>
<p>चिलचिलाती धूप में आना सनम,<br></br>गुदगुदाती है तुम्हारी ये अदा ।</p>
<p></p>
<p>ज़ख्म दिल के देखकर रोते हैं हम,<br></br>याद आये इश्क़ का वो सिलसिला ।</p>
<p></p>
<p>है तज़र्बा इतना सूरत देख कर,<br></br>ये बता देते हैं कितना है नशा ।</p>
<p></p>
<p>वो…</p>
<p>आ० समर जी ....आपकी रहनुमाई में ये ग्सल यूँ हुई सर</p>
<p>ज़रा देखिएगा ।</p>
<p></p>
<p>सादर</p>
<p></p>
<p>ऐ ज़माने अब चला ऐसी हवा ,<br/>लौट कर आये महब्बत में वफ़ा ।</p>
<p></p>
<p>दूरियाँ मिटती नहीं अब क्या करें,<br/>कोई मिलने का निकालो रास्ता ।</p>
<p></p>
<p>चिलचिलाती धूप में आना सनम,<br/>गुदगुदाती है तुम्हारी ये अदा ।</p>
<p></p>
<p>ज़ख्म दिल के देखकर रोते हैं हम,<br/>याद आये इश्क़ का वो सिलसिला ।</p>
<p></p>
<p>है तज़र्बा इतना सूरत देख कर,<br/>ये बता देते हैं कितना है नशा ।</p>
<p></p>
<p>वो लकीरों में था मेरे हाथ की,<br/>मैं ज़माने में उसे ढूँढा किया ।</p>
<p></p>
<p>अश्क़ हमको दरबदर करते रहे,<br/>जब तलक़ था दरमियाँ ये फ़ासला ।</p>
<p></p>
<p>दिल के अरमाँ छू रहे हैं अर्श अब,<br/>आपने जब से दिया है हौंसला ।</p>
<p></p>
<p>वो रकीबों में उलझ कर रह गए,<br/>बेगुनाही की मुझे देकर सज़ा ।</p>
<p></p>
<p>*****</p> आ० समर जी .....
"तज्रिबा इतना…tag:openbooksonline.com,2018-04-17:5170231:Comment:9253382018-04-17T13:00:18.058ZHarash Mahajanhttp://openbooksonline.com/profile/HarashMahajan
<p><span>आ० समर जी .....</span></p>
<p><span>"तज्रिबा इतना है सूरत देख कर'</span></p>
<p></p>
<p><span>इसमें लफ्ज़ "तज्रिबा" या </span><span>तज़र्बा </span></p>
<p><span>इनकी तकती </span></p>
<p><span>तज्रिबा=त/1ज्रि/2बा/2</span></p>
<p><span>तज़र्बा = त/1/ज़/2र्बा /2</span></p>
<p><span>122</span></p>
<p>सादर ।</p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p><span>आ० समर जी .....</span></p>
<p><span>"तज्रिबा इतना है सूरत देख कर'</span></p>
<p></p>
<p><span>इसमें लफ्ज़ "तज्रिबा" या </span><span>तज़र्बा </span></p>
<p><span>इनकी तकती </span></p>
<p><span>तज्रिबा=त/1ज्रि/2बा/2</span></p>
<p><span>तज़र्बा = त/1/ज़/2र्बा /2</span></p>
<p><span>122</span></p>
<p>सादर ।</p>
<p></p>
<p></p>
<p></p> आदरणीय समर सर आदाब । सर आपका…tag:openbooksonline.com,2018-04-17:5170231:Comment:9252672018-04-17T10:13:39.493ZHarash Mahajanhttp://openbooksonline.com/profile/HarashMahajan
<p>आदरणीय समर सर आदाब । सर आपका मार्गदर्शन सही दिशा दे रहा है । आपकी इस्लाह से ये निखार रहा गया । अभी और वक़्त देता हूँ । </p>
<p>इसे फिर से लेकर आता हूँ सर ।</p>
<p></p>
<p>सादर ।</p>
<p>आदरणीय समर सर आदाब । सर आपका मार्गदर्शन सही दिशा दे रहा है । आपकी इस्लाह से ये निखार रहा गया । अभी और वक़्त देता हूँ । </p>
<p>इसे फिर से लेकर आता हूँ सर ।</p>
<p></p>
<p>सादर ।</p> जनाब हर्ष महाजन जी आदाब,ग़ज़ल क…tag:openbooksonline.com,2018-04-17:5170231:Comment:9254202018-04-17T09:07:29.299ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब हर्ष महाजन जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,लेकिन ग़ज़ल अभी समय चाहती है,बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>कुछ सुझाव हैं,देखियेग ।</p>
<p></p>
<p>मतले का ऊला मिसरा यूँ कर लें :-</p>
<p>'ऐ ज़माने अब चला ऐसी हवा'</p>
<p></p>
<p>दूसरा शैर स्पष्ट नहीं है,सानी मिसरा यूँ कर लें :-</p>
<p>'कोई मिलने का निकालो रास्ता'</p>
<p></p>
<p>चौथा शैर के भाव स्पष्ट नहीं,शिल्प भी कमज़ोर है, व्याकरण दोष भी है, इसे ग़ज़ल से ख़ारिज करना बहतर होगा ।</p>
<p></p>
<p>छटे शैर का ऊला मिसरा यूँ कर लें…</p>
<p>जनाब हर्ष महाजन जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,लेकिन ग़ज़ल अभी समय चाहती है,बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>कुछ सुझाव हैं,देखियेग ।</p>
<p></p>
<p>मतले का ऊला मिसरा यूँ कर लें :-</p>
<p>'ऐ ज़माने अब चला ऐसी हवा'</p>
<p></p>
<p>दूसरा शैर स्पष्ट नहीं है,सानी मिसरा यूँ कर लें :-</p>
<p>'कोई मिलने का निकालो रास्ता'</p>
<p></p>
<p>चौथा शैर के भाव स्पष्ट नहीं,शिल्प भी कमज़ोर है, व्याकरण दोष भी है, इसे ग़ज़ल से ख़ारिज करना बहतर होगा ।</p>
<p></p>
<p>छटे शैर का ऊला मिसरा यूँ कर लें :-</p>
<p>'तज्रिबा इतना है सूरत देख कर'</p>
<p></p>
<p>सातवें शैर का सानी मिसरा यूँ कर लें :-</p>
<p>'मैं ज़माने में उसे ढूंढा किया'</p>
<p></p>
<p>आठवां शैर यूँ करें :-</p>
<p>'अश्क हमको दर ब दर करते रहे</p>
<p>जब तलक था दरमियाँ ये फ़ासला'</p>
<p></p>
<p>9वें शैर का सानी मिसरा यूँ कर लें :-</p>
<p>'आपने जबसे दिया है हौसला'</p>
<p></p>
<p>आख़री शैर का सानी मिसरा यूँ करें :-</p>
<p>'बे गुनाही की मुझे देकर सज़ा'</p>