Comments - दुआ कर ग़म-ए-दिल, दुआ कर तू - Open Books Online2024-03-28T23:10:16Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A925108&xn_auth=noसराहना के लिए हृदयतल से आपका…tag:openbooksonline.com,2018-04-18:5170231:Comment:9254552018-04-18T05:47:15.630Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p><span>सराहना के लिए हृदयतल से आपका आभार, आदरणीया नीलम जी</span></p>
<p><span>सराहना के लिए हृदयतल से आपका आभार, आदरणीया नीलम जी</span></p> सराहना के लिए हृदयतल से आपका…tag:openbooksonline.com,2018-04-18:5170231:Comment:9253632018-04-18T05:46:33.476Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p><span>सराहना के लिए हृदयतल से आपका आभार, आदरणीय छोटेलाल जी</span></p>
<p><span>सराहना के लिए हृदयतल से आपका आभार, आदरणीय छोटेलाल जी</span></p> आदरणीय विजय निकोर जी नमस्कार…tag:openbooksonline.com,2018-04-18:5170231:Comment:9254512018-04-18T05:14:16.842ZNeelam Upadhyayahttp://openbooksonline.com/profile/NeelamUpadhyaya
<p>आदरणीय विजय निकोर जी नमस्कार । बहुत ही बढ़िया भावपूर्ण कविता हुई है । बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>आदरणीय विजय निकोर जी नमस्कार । बहुत ही बढ़िया भावपूर्ण कविता हुई है । बधाई स्वीकार करें ।</p> आदरणीय भाई समर जी, मार्ग-दर्श…tag:openbooksonline.com,2018-04-17:5170231:Comment:9251822018-04-17T14:52:26.391Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>आदरणीय भाई समर जी, मार्ग-दर्शन के लिए और रचना की सराहना के लिए हार्दिक आभार।सुधार कर दिए हैं।</p>
<p>आदरणीय भाई समर जी, मार्ग-दर्शन के लिए और रचना की सराहना के लिए हार्दिक आभार।सुधार कर दिए हैं।</p> आदरणीय विजय निकोर जी आपने जिस…tag:openbooksonline.com,2018-04-17:5170231:Comment:9254362018-04-17T14:43:18.002Zडॉ छोटेलाल सिंहhttp://openbooksonline.com/profile/20ch7d01r75yx
<p>आदरणीय विजय निकोर जी आपने जिस अंदाज में उर्दू शब्दों का बेहतरीन प्रयोग किया वह काबिलेतारीफ है इस भावात्मक रचना के लिए बहुत बहुत बधाई</p>
<p>आदरणीय विजय निकोर जी आपने जिस अंदाज में उर्दू शब्दों का बेहतरीन प्रयोग किया वह काबिलेतारीफ है इस भावात्मक रचना के लिए बहुत बहुत बधाई</p> जनाब भाई विजय निकोर जी आदाब,ब…tag:openbooksonline.com,2018-04-17:5170231:Comment:9254222018-04-17T09:31:35.479ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब भाई विजय निकोर जी आदाब,बहुत उम्दा और भावपूर्ण कविता हुई है,उर्दू अल्फ़ाज़ की शमूलियत ने इसे और भी ख़ूबसूरत बना दिया है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p>'इंसाफी न मिली'</p>
<p>इस पंक्ति को यूँ कर लें "इंसाफ़ न मिला" या "नाइंसाफ़ी मिली", क्योंकि "इंसाफ़ी" कोई शब्द नहीं है ।</p>
<p>'माफ़ कर देना', को "मुआफ़ कर देना" कर लें ।</p>
<p>जनाब भाई विजय निकोर जी आदाब,बहुत उम्दा और भावपूर्ण कविता हुई है,उर्दू अल्फ़ाज़ की शमूलियत ने इसे और भी ख़ूबसूरत बना दिया है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p>'इंसाफी न मिली'</p>
<p>इस पंक्ति को यूँ कर लें "इंसाफ़ न मिला" या "नाइंसाफ़ी मिली", क्योंकि "इंसाफ़ी" कोई शब्द नहीं है ।</p>
<p>'माफ़ कर देना', को "मुआफ़ कर देना" कर लें ।</p>