Comments - परिवर्तन या अपवर्तन (लघुकथा) - Open Books Online2024-03-29T15:11:10Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A926377&xn_auth=noसरजी,आज की युवा पीढ़ी ही क्या…tag:openbooksonline.com,2018-05-01:5170231:Comment:9278322018-05-01T08:31:15.628Zbabitaguptahttp://openbooksonline.com/profile/babitagupta631
<p>सरजी,आज की युवा पीढ़ी ही क्या ,सभी उस संक्रमण काल से गुजर रहे हैं जहां ना तो वो विरासत में मिले संस्कारों को सही ढंग से अपना पा रहे हैं और ना ही पूरु तरह से आधुनिक माहौल में ढल पा रहे.लघु कथा द्वारा बहुत ही सटीक कटाछ किया हैं.आभार.</p>
<p>सरजी,आज की युवा पीढ़ी ही क्या ,सभी उस संक्रमण काल से गुजर रहे हैं जहां ना तो वो विरासत में मिले संस्कारों को सही ढंग से अपना पा रहे हैं और ना ही पूरु तरह से आधुनिक माहौल में ढल पा रहे.लघु कथा द्वारा बहुत ही सटीक कटाछ किया हैं.आभार.</p> अपने विचार साझा करते हुए मेरी…tag:openbooksonline.com,2018-04-30:5170231:Comment:9277442018-04-30T17:38:44.427ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>अपने विचार साझा करते हुए मेरी हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब और जनाब नीलेश शेव्गांवकर साहिब।</p>
<p>अपने विचार साझा करते हुए मेरी हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब और जनाब नीलेश शेव्गांवकर साहिब।</p> ग़ज़ब की लघुकथा हुई है.. लगभग ऐ…tag:openbooksonline.com,2018-04-29:5170231:Comment:9271232018-04-29T04:04:23.367ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooksonline.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>ग़ज़ब की लघुकथा हुई है.. लगभग ऐसे ही वाकये का संस्मरण कभी पेश करूँगा मैं भी जो छात्र जीवन में मैंने अनुभव किया है.. मैं भी उस दूसरे छात्र की तरह था कही...<br/>रचना से अधिक बधाई शीर्षक के लिए देना चाहूँगा आप को..<br/>ढेरों दाद <br/>सादर </p>
<p>ग़ज़ब की लघुकथा हुई है.. लगभग ऐसे ही वाकये का संस्मरण कभी पेश करूँगा मैं भी जो छात्र जीवन में मैंने अनुभव किया है.. मैं भी उस दूसरे छात्र की तरह था कही...<br/>रचना से अधिक बधाई शीर्षक के लिए देना चाहूँगा आप को..<br/>ढेरों दाद <br/>सादर </p> आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आ…tag:openbooksonline.com,2018-04-29:5170231:Comment:9271192018-04-29T02:22:36.872ZMohammed Arifhttp://openbooksonline.com/profile/MohammedArif
<p>आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,</p>
<p> बहुत ही कटाक्षपूर्ण लघुकथा । आज का युग संक्रमण-काल का दौर है । सबकुछ विपरीत हो रहा है । सारी उक्तियाँ और किंवदंतियाँ उलट हो गई है । बेहतरीन लघुकथा के लिए दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।</p>
<p>आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,</p>
<p> बहुत ही कटाक्षपूर्ण लघुकथा । आज का युग संक्रमण-काल का दौर है । सबकुछ विपरीत हो रहा है । सारी उक्तियाँ और किंवदंतियाँ उलट हो गई है । बेहतरीन लघुकथा के लिए दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।</p>