Comments - ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-28T17:26:43Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A930195&xn_auth=noजनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदा…tag:openbooksonline.com,2018-05-13:5170231:Comment:9307182018-05-13T16:13:38.035ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>तीसरे शैर में उर्दू के हिसाब से देखें तो क़ाफ़िया दोष है ।</p>
<p>चौथे शैर में भी 'होश-ओ-हवास' बहुवचन है, इसलिये रदीफ़ 'है' की बजाय "हैं" हो रही है,देखियेगा ।</p>
<p>जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>तीसरे शैर में उर्दू के हिसाब से देखें तो क़ाफ़िया दोष है ।</p>
<p>चौथे शैर में भी 'होश-ओ-हवास' बहुवचन है, इसलिये रदीफ़ 'है' की बजाय "हैं" हो रही है,देखियेगा ।</p>