Comments - ग़ज़ल(2122 1212 22) - Open Books Online2024-03-29T05:47:41Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A931098&xn_auth=noइस अच्छी गज़ल के लिए बधाईtag:openbooksonline.com,2018-05-28:5170231:Comment:9319142018-05-28T06:48:16.949Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>इस अच्छी गज़ल के लिए बधाई</p>
<p>इस अच्छी गज़ल के लिए बधाई</p> हार्दिक बधाई , आदरणीय..tag:openbooksonline.com,2018-05-23:5170231:Comment:9314232018-05-23T13:45:38.080Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>हार्दिक बधाई , आदरणीय..</p>
<p>हार्दिक बधाई , आदरणीय..</p> नीलेश भाई बहुत बहुत आभार अपकलtag:openbooksonline.com,2018-05-23:5170231:Comment:9312942018-05-23T07:43:17.907Zram shiromani pathakhttp://openbooksonline.com/profile/ramshiromanipathak
<p>नीलेश भाई बहुत बहुत आभार अपकल</p>
<p>नीलेश भाई बहुत बहुत आभार अपकल</p> आरिफ़ भाई उत्साह वर्धन हेतु आ…tag:openbooksonline.com,2018-05-23:5170231:Comment:9314202018-05-23T07:42:42.504Zram shiromani pathakhttp://openbooksonline.com/profile/ramshiromanipathak
<p>आरिफ़ भाई उत्साह वर्धन हेतु आभार आपका</p>
<p>आरिफ़ भाई उत्साह वर्धन हेतु आभार आपका</p> ग़ज़ल।।
मुंतजिर हूँ मैं इक जमान…tag:openbooksonline.com,2018-05-23:5170231:Comment:9314182018-05-23T02:49:29.951Zram shiromani pathakhttp://openbooksonline.com/profile/ramshiromanipathak
<p>ग़ज़ल।।</p>
<p>मुंतजिर हूँ मैं इक जमाने से।<br/>मिलने आ जा किसी बहाने से।। आ जा मिलने भी ठीक लग रहा है मुझे</p>
<p>उनकी गलियों से जब भी गुजरा हूँ।<br/>ज़ख़्म उभरे हैं कुछ पुराने से।।</p>
<p>दिल की बातें ज़ुबां पे आने दो।<br/>कह दो! मिलता है क्या छुपाने से।।</p>
<p>मेरे घर भी कभी तो आया कर।<br/>साँसे आती है तेरे आने से।।मैं जी उठता हुुु तेरे आने से</p>
<p>इश्क़ की आग राम है ऐसी।<br/>ये तो बुझती नहीं बुझाने से।।</p>
<p></p>
<p>बहुत बहुत आभार आदरणीया सुझाव व अनुमोदन हेतु।।</p>
<p></p>
<p>ग़ज़ल।।</p>
<p>मुंतजिर हूँ मैं इक जमाने से।<br/>मिलने आ जा किसी बहाने से।। आ जा मिलने भी ठीक लग रहा है मुझे</p>
<p>उनकी गलियों से जब भी गुजरा हूँ।<br/>ज़ख़्म उभरे हैं कुछ पुराने से।।</p>
<p>दिल की बातें ज़ुबां पे आने दो।<br/>कह दो! मिलता है क्या छुपाने से।।</p>
<p>मेरे घर भी कभी तो आया कर।<br/>साँसे आती है तेरे आने से।।मैं जी उठता हुुु तेरे आने से</p>
<p>इश्क़ की आग राम है ऐसी।<br/>ये तो बुझती नहीं बुझाने से।।</p>
<p></p>
<p>बहुत बहुत आभार आदरणीया सुझाव व अनुमोदन हेतु।।</p>
<p></p> आ. राम शिरोमणि जी,ग़ज़ल के लिए…tag:openbooksonline.com,2018-05-22:5170231:Comment:9312892018-05-22T14:43:46.247ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooksonline.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>आ. राम शिरोमणि जी,<br/>ग़ज़ल के लिए बधाई... और थोडा वक़्त दीजिये ..कई मिसरे और निखरेंगे <br/>सादर </p>
<p>आ. राम शिरोमणि जी,<br/>ग़ज़ल के लिए बधाई... और थोडा वक़्त दीजिये ..कई मिसरे और निखरेंगे <br/>सादर </p> आदरणीय राम शिरोमणि जी आदाब,
ब…tag:openbooksonline.com,2018-05-22:5170231:Comment:9312802018-05-22T13:22:58.205ZMohammed Arifhttp://openbooksonline.com/profile/MohammedArif
आदरणीय राम शिरोमणि जी आदाब,<br />
बहुत ही रोमाण्टिक अंदाज़ की ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें । जमाने/ज़माने देखिएगा । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । आदरणीया राजेश कुमारी जी की इस्लाह का संज्ञान लें ।
आदरणीय राम शिरोमणि जी आदाब,<br />
बहुत ही रोमाण्टिक अंदाज़ की ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें । जमाने/ज़माने देखिएगा । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । आदरणीया राजेश कुमारी जी की इस्लाह का संज्ञान लें । अच्छी ग़ज़ल कही है बधाई आपको रा…tag:openbooksonline.com,2018-05-22:5170231:Comment:9313452018-05-22T12:35:22.301Zrajesh kumarihttp://openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>अच्छी ग़ज़ल कही है बधाई आपको राम भैया </p>
<p>जहाँ कहीं सुधार चाहती है उसकी कोशिश कर रही हूँ </p>
<p></p>
<p>मुंतजिर हूँ मैं इक जमाने से।<br/>आ जा मिलने किसी बहाने से।।------मिलने आजा किसी बहाने से </p>
<p></p>
<p>मेरे घर भी कभी तो आया कर।<br/>ज़िन्दा हो जाता तेरे आने से।।-----इसमें बार बार मात्रा गिराने से ली गड़बड़ है </p>
<p>मिलती/आती साँसे तेरे ही आने से </p>
<p>अच्छी ग़ज़ल कही है बधाई आपको राम भैया </p>
<p>जहाँ कहीं सुधार चाहती है उसकी कोशिश कर रही हूँ </p>
<p></p>
<p>मुंतजिर हूँ मैं इक जमाने से।<br/>आ जा मिलने किसी बहाने से।।------मिलने आजा किसी बहाने से </p>
<p></p>
<p>मेरे घर भी कभी तो आया कर।<br/>ज़िन्दा हो जाता तेरे आने से।।-----इसमें बार बार मात्रा गिराने से ली गड़बड़ है </p>
<p>मिलती/आती साँसे तेरे ही आने से </p>