Comments - लघुकथा : धनवान (गणेश जी बाग़ी) - Open Books Online2024-03-29T08:40:36Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A931922&xn_auth=noधनवान वो नहीं है जिसे पास अधि…tag:openbooksonline.com,2018-06-02:5170231:Comment:9324552018-06-02T14:57:15.398ZMahendra Kumarhttp://openbooksonline.com/profile/Mahendra
<p>धनवान वो नहीं है जिसे पास अधिक धन है बल्कि वो है जिसके पास बड़ा दिल है. इस सार्थक सन्देश को देती उम्दा लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीय <span>गणेश जी 'बाग़ी' जी. सादर.</span></p>
<p>धनवान वो नहीं है जिसे पास अधिक धन है बल्कि वो है जिसके पास बड़ा दिल है. इस सार्थक सन्देश को देती उम्दा लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीय <span>गणेश जी 'बाग़ी' जी. सादर.</span></p> आदरणीय गणेश 'बाग़ी' जी आदाब,
…tag:openbooksonline.com,2018-06-01:5170231:Comment:9323892018-06-01T04:51:31.842ZMohammed Arifhttp://openbooksonline.com/profile/MohammedArif
<p>आदरणीय गणेश 'बाग़ी' जी आदाब,</p>
<p> सच है , आज की तरक़्की के दौर में बहुत तेज़ चलकर भी बहुत पीछे हैं । हमारी सोच में पुरातन का वायरस घुसा हुआ है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें इस शानदार पेशकश पर ।</p>
<p>आदरणीय गणेश 'बाग़ी' जी आदाब,</p>
<p> सच है , आज की तरक़्की के दौर में बहुत तेज़ चलकर भी बहुत पीछे हैं । हमारी सोच में पुरातन का वायरस घुसा हुआ है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें इस शानदार पेशकश पर ।</p> इस अच्छी लघु कथा के लिए बधाई…tag:openbooksonline.com,2018-05-30:5170231:Comment:9319822018-05-30T10:11:01.185ZShyam Narain Vermahttp://openbooksonline.com/profile/ShyamNarainVerma
<table width="576">
<tbody><tr><td width="576">इस अच्छी लघु कथा के लिए बधाई, आदरणीय सादर</td>
</tr>
</tbody>
</table>
<table width="576">
<tbody><tr><td width="576">इस अच्छी लघु कथा के लिए बधाई, आदरणीय सादर</td>
</tr>
</tbody>
</table> कभी - कभी लगता है , हम अभी भी…tag:openbooksonline.com,2018-05-29:5170231:Comment:9317052018-05-29T16:35:43.778ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
<p>कभी - कभी लगता है , हम अभी भी वहीं हैं , आगे बढ़ने और बढ़ लेने का तो मात्र दिखावा करते हैं। <br/>बधाई , इस प्रभावशाली प्रस्तुति के लिए , आदरणीय गणेश जी, बागी जी , सादर।</p>
<p>कभी - कभी लगता है , हम अभी भी वहीं हैं , आगे बढ़ने और बढ़ लेने का तो मात्र दिखावा करते हैं। <br/>बधाई , इस प्रभावशाली प्रस्तुति के लिए , आदरणीय गणेश जी, बागी जी , सादर।</p> बहुत ही भावपूर्ण रचना में पंक…tag:openbooksonline.com,2018-05-29:5170231:Comment:9317022018-05-29T08:41:24.309Zbabitaguptahttp://openbooksonline.com/profile/babitagupta631
<p>बहुत ही भावपूर्ण रचना में पंक्ति उसका भी बाप.......प्रस्तुत रचना पर बधाई.</p>
<p>बहुत ही भावपूर्ण रचना में पंक्ति उसका भी बाप.......प्रस्तुत रचना पर बधाई.</p> हार्दिक बधाई आदरणीय गणेश जी ब…tag:openbooksonline.com,2018-05-29:5170231:Comment:9317882018-05-29T06:31:10.245ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय गणेश जी बागी जी।लाज़वाब लघुकथा।</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय गणेश जी बागी जी।लाज़वाब लघुकथा।</p> हार्दिक बधाई आदरणीय गणेश जी ब…tag:openbooksonline.com,2018-05-29:5170231:Comment:9319302018-05-29T06:30:26.474ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
हार्दिक बधाई आदरणीय गणेश जी बागी जी।लाज़वाब लघुकथा।
हार्दिक बधाई आदरणीय गणेश जी बागी जी।लाज़वाब लघुकथा। आदरणीत बागी सर आपकी इस उत्कृ…tag:openbooksonline.com,2018-05-29:5170231:Comment:9316952018-05-29T01:53:35.397ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooksonline.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीत बागी सर आपकी इस उत्कृष्ट रचना के लिए हार्दिक बधाई <span>काश उसका भी बाप कोई रिक्शा वाला होता ।ये पंक्ति तो दिमाग ने घोइम रही है सादर </span></p>
<p>आदरणीत बागी सर आपकी इस उत्कृष्ट रचना के लिए हार्दिक बधाई <span>काश उसका भी बाप कोई रिक्शा वाला होता ।ये पंक्ति तो दिमाग ने घोइम रही है सादर </span></p> परिश्रमी धनवान दिल वाले की प्…tag:openbooksonline.com,2018-05-28:5170231:Comment:9318602018-05-28T16:26:01.869ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>परिश्रमी धनवान दिल वाले की प्रतयुत्पन्नमतिमय असीम प्रसन्नता बाख़ूबी सम्प्रेषित हुई है!</p>
<p>इस नज़रिये से बढ़िया सटीक शीर्षक!</p>
<p>परिश्रमी धनवान दिल वाले की प्रतयुत्पन्नमतिमय असीम प्रसन्नता बाख़ूबी सम्प्रेषित हुई है!</p>
<p>इस नज़रिये से बढ़िया सटीक शीर्षक!</p> ज़मीनी हक़ीक़त बताती सामाजिक सरो…tag:openbooksonline.com,2018-05-28:5170231:Comment:9318582018-05-28T16:23:17.434ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>ज़मीनी हक़ीक़त बताती सामाजिक सरोकार पर केंद्रित बेहतरीन भावपूर्ण लघुकथा के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद और हार्दिक आभार आदरणीय <span style="text-decoration: underline;">श्री <em><strong>गणेश जी ' बागी'</strong></em> जी।</span> पुरुष प्रधान समाज मेंं एक मिहनतकश पिता की सकारात्मकता उभारती बेहतरीन रचना। सादर।</p>
<p>ज़मीनी हक़ीक़त बताती सामाजिक सरोकार पर केंद्रित बेहतरीन भावपूर्ण लघुकथा के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद और हार्दिक आभार आदरणीय <span style="text-decoration: underline;">श्री <em><strong>गणेश जी ' बागी'</strong></em> जी।</span> पुरुष प्रधान समाज मेंं एक मिहनतकश पिता की सकारात्मकता उभारती बेहतरीन रचना। सादर।</p>