Comments - ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-29T09:33:07Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A932669&xn_auth=noआ0 श्याम नारायण वर्मा जी सादर…tag:openbooksonline.com,2018-06-10:5170231:Comment:9336312018-06-10T11:06:07.226ZNaveen Mani Tripathihttp://openbooksonline.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>आ0 श्याम नारायण वर्मा जी सादर आभार </p>
<p>आ0 श्याम नारायण वर्मा जी सादर आभार </p> भाई सुशील शरण जी सादर आभार tag:openbooksonline.com,2018-06-10:5170231:Comment:9338202018-06-10T11:05:19.541ZNaveen Mani Tripathihttp://openbooksonline.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>भाई सुशील शरण जी सादर आभार </p>
<p>भाई सुशील शरण जी सादर आभार </p> आ0 सतविंदर कुमार राना जी आभार…tag:openbooksonline.com,2018-06-10:5170231:Comment:9332832018-06-10T10:50:05.571ZNaveen Mani Tripathihttp://openbooksonline.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>आ0 सतविंदर कुमार राना जी आभार । दौलत का प्रयोग स्त्री लिंग के रूप में ही प्रयोग हुआ है ।</p>
<p>आ0 सतविंदर कुमार राना जी आभार । दौलत का प्रयोग स्त्री लिंग के रूप में ही प्रयोग हुआ है ।</p> भाई गुमनाम पिथौरा गढ़ी साहब शु…tag:openbooksonline.com,2018-06-10:5170231:Comment:9332812018-06-10T10:48:01.673ZNaveen Mani Tripathihttp://openbooksonline.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>भाई गुमनाम पिथौरा गढ़ी साहब शुक्रियः । सुझाव का स्वागत है । जगी लगी तकाबुल ए रदीफ़ दोष कहलाता है पर अगर जरूरी लगे तो मान्य भी होता है । </p>
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<p>मुस्कुराना की सलाह जायज है ।</p>
<p>भाई गुमनाम पिथौरा गढ़ी साहब शुक्रियः । सुझाव का स्वागत है । जगी लगी तकाबुल ए रदीफ़ दोष कहलाता है पर अगर जरूरी लगे तो मान्य भी होता है । </p>
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<p>मुस्कुराना की सलाह जायज है ।</p> बहुत खूब..
दौलत शायद स्त्रीलि…tag:openbooksonline.com,2018-06-10:5170231:Comment:9332732018-06-10T08:15:42.480Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
<p>बहुत खूब..</p>
<p>दौलत शायद स्त्रीलिंग शब्द है. सादर</p>
<p>बहुत खूब..</p>
<p>दौलत शायद स्त्रीलिंग शब्द है. सादर</p> वाह अच्छी ग़ज़ल हुई है.... कुछ…tag:openbooksonline.com,2018-06-05:5170231:Comment:9325842018-06-05T16:28:34.246Zgumnaam pithoragarhihttp://openbooksonline.com/profile/gumnaampithoragarhi
वाह अच्छी ग़ज़ल हुई है.... कुछ सुझाव बुरा न माने....मुस्कुरा कर ,,,,के स्थान पर,,,,मुस्कुराना,,,, करके देखिए शायद कुछ ठीक लगे...आखरी शेर में ,,,,,,जगी-लगी ..दोष है सुधार हो सकता है बाकी गुणीजन कुछ जरूर कहेंगे ...
वाह अच्छी ग़ज़ल हुई है.... कुछ सुझाव बुरा न माने....मुस्कुरा कर ,,,,के स्थान पर,,,,मुस्कुराना,,,, करके देखिए शायद कुछ ठीक लगे...आखरी शेर में ,,,,,,जगी-लगी ..दोष है सुधार हो सकता है बाकी गुणीजन कुछ जरूर कहेंगे ... मुद्दतों के बाद उल्फ़त में इज़ा…tag:openbooksonline.com,2018-06-05:5170231:Comment:9325012018-06-05T11:21:44.877ZSushil Sarnahttp://openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>मुद्दतों के बाद उल्फ़त में इज़ाफ़त सी लगी</p>
<p>। आज फिर उसकी अदा मुझको इनायत सी लगी ।।</p>
<p>हुस्न में बसता है रब यह बात राहत सी लगी ।</p>
<p>आप पर ठहरी नज़र कुछ तो इबादत सी लगी ।।</p>
<p><br/>वाह शानदार अहसास सर .... हार्दिक बधाई सर</p>
<p>मुद्दतों के बाद उल्फ़त में इज़ाफ़त सी लगी</p>
<p>। आज फिर उसकी अदा मुझको इनायत सी लगी ।।</p>
<p>हुस्न में बसता है रब यह बात राहत सी लगी ।</p>
<p>आप पर ठहरी नज़र कुछ तो इबादत सी लगी ।।</p>
<p><br/>वाह शानदार अहसास सर .... हार्दिक बधाई सर</p> इस शानदार ग़ज़ल के लिए दिल से…tag:openbooksonline.com,2018-06-05:5170231:Comment:9324972018-06-05T10:56:07.129ZShyam Narain Vermahttp://openbooksonline.com/profile/ShyamNarainVerma
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<tbody><tr><td width="576">इस शानदार ग़ज़ल के लिए दिल से बधाईयाँ </td>
</tr>
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<tbody><tr><td width="576">इस शानदार ग़ज़ल के लिए दिल से बधाईयाँ </td>
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