Comments - मन का भंवर ... - Open Books Online2024-03-28T12:10:23Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A935931&xn_auth=noअच्छी लघुकथा है आदरणीया बबिता…tag:openbooksonline.com,2018-06-26:5170231:Comment:9359052018-06-26T05:12:56.926ZMahendra Kumarhttp://openbooksonline.com/profile/Mahendra
<p>अच्छी लघुकथा है आदरणीया बबिता जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए “,,,,,” इन चिह्नों का लघुकथा में अनावश्यक एवं अतिशय प्रयोग है। देखिएगा। सादर। </p>
<p>अच्छी लघुकथा है आदरणीया बबिता जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए “,,,,,” इन चिह्नों का लघुकथा में अनावश्यक एवं अतिशय प्रयोग है। देखिएगा। सादर। </p> मुहतरमा बबीता गुप्ता जी आदाब,…tag:openbooksonline.com,2018-06-25:5170231:Comment:9362082018-06-25T17:04:15.901ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>मुहतरमा बबीता गुप्ता जी आदाब,लघुकथा का प्रयास अच्छा है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब तेजवीर सिंह जी की बातों का संज्ञान लें ।</p>
<p>एक निवेदन ये था कि रचना के टाइटिल के साथ रचना की विधा भी लिख दिया करें ।</p>
<p>मुहतरमा बबीता गुप्ता जी आदाब,लघुकथा का प्रयास अच्छा है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब तेजवीर सिंह जी की बातों का संज्ञान लें ।</p>
<p>एक निवेदन ये था कि रचना के टाइटिल के साथ रचना की विधा भी लिख दिया करें ।</p> आदरणीया बबीता जी बहुत संवेदनश…tag:openbooksonline.com,2018-06-25:5170231:Comment:9361342018-06-25T12:17:15.615Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>आदरणीया बबीता जी बहुत संवेदनशील विषय को उभारा है अपने लघु कथा के माध्यम से...हार्दिक बधाई</p>
<p>आदरणीया बबीता जी बहुत संवेदनशील विषय को उभारा है अपने लघु कथा के माध्यम से...हार्दिक बधाई</p> आदरणीया जी सृजन भाव पूर्ण है…tag:openbooksonline.com,2018-06-25:5170231:Comment:9361162018-06-25T09:02:54.621ZSushil Sarnahttp://openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीया जी सृजन भाव पूर्ण है लेकिन शाब्दिक त्रुटियों के कारण भाव अपने पूर्ण प्रवाह से पाठक को प्रभावित नहीं कर पाते। वैसे इस प्रयास हेतु हार्दिक बधाई।</p>
<p>आदरणीया जी सृजन भाव पूर्ण है लेकिन शाब्दिक त्रुटियों के कारण भाव अपने पूर्ण प्रवाह से पाठक को प्रभावित नहीं कर पाते। वैसे इस प्रयास हेतु हार्दिक बधाई।</p> आदरणीय तेजवीर सर जी,नमस्कार,ध…tag:openbooksonline.com,2018-06-25:5170231:Comment:9360572018-06-25T08:05:22.005Zbabitaguptahttp://openbooksonline.com/profile/babitagupta631
<p>आदरणीय तेजवीर सर जी,नमस्कार,धन्यवाद गलतियों की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए,जल्दी पोस्ट करने के चक्कर में चेक नही किया,अभी सुधर करके पोस्ट करती हूँ.</p>
<p>आदरणीय तेजवीर सर जी,नमस्कार,धन्यवाद गलतियों की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए,जल्दी पोस्ट करने के चक्कर में चेक नही किया,अभी सुधर करके पोस्ट करती हूँ.</p> आदरणीय बबिता जी,आपकी लघुकथा क…tag:openbooksonline.com,2018-06-25:5170231:Comment:9360502018-06-25T07:20:10.648ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>आदरणीय बबिता जी,आपकी लघुकथा के भाव बेहतरीन हैं लेकिन टंकण और वर्तनी की अशुद्धियों ने लघुकथा का मजा ही बिगाड़ दिया। कृपया इनको शुद्ध कीजिये। सादर ।</p>
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<p>आदरणीय बबिता जी,आपकी लघुकथा के भाव बेहतरीन हैं लेकिन टंकण और वर्तनी की अशुद्धियों ने लघुकथा का मजा ही बिगाड़ दिया। कृपया इनको शुद्ध कीजिये। सादर ।</p>
<p></p> आदरणीया नीलम दी, नमस्कार! हार…tag:openbooksonline.com,2018-06-25:5170231:Comment:9358042018-06-25T00:19:02.274Zbabitaguptahttp://openbooksonline.com/profile/babitagupta631
<p>आदरणीया नीलम दी, नमस्कार! हार्दिक आभार. </p>
<p>आदरणीया नीलम दी, नमस्कार! हार्दिक आभार. </p> आदरणीया बबिता गुप्ता जी, नमस्…tag:openbooksonline.com,2018-06-24:5170231:Comment:9357802018-06-24T10:58:52.201ZNeelam Upadhyayahttp://openbooksonline.com/profile/NeelamUpadhyaya
<p>आदरणीया बबिता गुप्ता जी, नमस्कार। समाज की कैसी विडम्बना है कि जो कन्या भ्रूण बड़ा होकर पुरुष को संसार में लाता है, उसी कन्या भ्रूण को पुरुष संसार में आने नहीं देना चाहता। धिक्कार है ऐसे समाज को। अच्छी लघुकथा हुई है। बधाई।</p>
<p>आदरणीया बबिता गुप्ता जी, नमस्कार। समाज की कैसी विडम्बना है कि जो कन्या भ्रूण बड़ा होकर पुरुष को संसार में लाता है, उसी कन्या भ्रूण को पुरुष संसार में आने नहीं देना चाहता। धिक्कार है ऐसे समाज को। अच्छी लघुकथा हुई है। बधाई।</p>