Comments - जुआ (लघुकथा) - Open Books Online2024-03-28T17:01:05Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A938205&xn_auth=noबहुत ही उपेक्षित मुद्दे को उभ…tag:openbooksonline.com,2018-07-07:5170231:Comment:9387792018-07-07T17:55:03.611ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>बहुत ही उपेक्षित मुद्दे को उभारकर बेहतरीन उम्दा कथानक के साथ बढ़िया विचारोत्तेजक सृजन। हार्दिक बधाई और आभार आदरणीय मोहन बेगोवाल साहिब।</p>
<p>बहुत ही उपेक्षित मुद्दे को उभारकर बेहतरीन उम्दा कथानक के साथ बढ़िया विचारोत्तेजक सृजन। हार्दिक बधाई और आभार आदरणीय मोहन बेगोवाल साहिब।</p> रिकशा वाला जीता जरूर लेकिन वा…tag:openbooksonline.com,2018-07-07:5170231:Comment:9387732018-07-07T14:40:24.715Zbabitaguptahttp://openbooksonline.com/profile/babitagupta631
<p>रिकशा वाला जीता जरूर लेकिन वास्तव में जीत बाबूजी की हुई।बेहतरीन लघु कथा, हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सरजी।</p>
<p>रिकशा वाला जीता जरूर लेकिन वास्तव में जीत बाबूजी की हुई।बेहतरीन लघु कथा, हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सरजी।</p> आद0 मोहन बोगोवाल जी सादर अभिव…tag:openbooksonline.com,2018-07-05:5170231:Comment:9385172018-07-05T10:11:45.223Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 मोहन बोगोवाल जी सादर अभिवादन। बढ़िया विषय लिया आपने। अक्सर ऐसा होता है कि हमारी हार में भी जीत छुपी होती है। आपकी लघुकथा में शब्दों की कसावट की अभी कमीं है। सुधार के बावजूद आप बार बार पढ़िए और जहाँ त्रुटि लग रही है उसे नोट कीजिये। फिर सुधारिये। बहुत बहुत बधाई आपको। आद0 समर साहब की बातों को गम्भीरता से लीजिएगा।</p>
<p>आद0 मोहन बोगोवाल जी सादर अभिवादन। बढ़िया विषय लिया आपने। अक्सर ऐसा होता है कि हमारी हार में भी जीत छुपी होती है। आपकी लघुकथा में शब्दों की कसावट की अभी कमीं है। सुधार के बावजूद आप बार बार पढ़िए और जहाँ त्रुटि लग रही है उसे नोट कीजिये। फिर सुधारिये। बहुत बहुत बधाई आपको। आद0 समर साहब की बातों को गम्भीरता से लीजिएगा।</p> 'उस पास आकर कहा'
"उसने पास आक…tag:openbooksonline.com,2018-07-05:5170231:Comment:9386122018-07-05T08:59:44.383ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>'उस पास आकर कहा'</p>
<p>"उसने पास आकर कहा"</p>
<p>'और गेट अंदर जाते'</p>
<p>",गेट से अंदर जाते"</p>
<p>ऐसी कई त्रुटियाँ हैं अभी ।</p>
<p>जहाँ जुमला ख़त्म हो वहाँ फुल स्टॉप, जहाँ प्रश्न है वहाँ प्रश्न वाचक लगायें ,जहाँ पेराग्राफ बदलना है,वहाँ बदलें,ध्यानपूर्वक एक बार और इसे पढ़ें ।</p>
<p>'उस पास आकर कहा'</p>
<p>"उसने पास आकर कहा"</p>
<p>'और गेट अंदर जाते'</p>
<p>",गेट से अंदर जाते"</p>
<p>ऐसी कई त्रुटियाँ हैं अभी ।</p>
<p>जहाँ जुमला ख़त्म हो वहाँ फुल स्टॉप, जहाँ प्रश्न है वहाँ प्रश्न वाचक लगायें ,जहाँ पेराग्राफ बदलना है,वहाँ बदलें,ध्यानपूर्वक एक बार और इसे पढ़ें ।</p> ड्यूटी के बाद मैं घर को पै…tag:openbooksonline.com,2018-07-05:5170231:Comment:9383962018-07-05T07:21:01.004ZMohan Begowalhttp://openbooksonline.com/profile/MohanBegowal
<p> ड्यूटी के बाद मैं घर को पैदल चल पड़ा। ऐसा आजकल मैं अकसर ही करता हूँ। कयूँकि डाक्टर ने मुझे ज्यादातर पैदल चलने को कहा है। कुछ कदम चलते ही मेरे साथ रिक्शा चलने लगा।<br></br>चलते हुए बार बार रिक्शे वाला बैठने को कहता।<br></br>इस बार उस के कहने में एक तरला कि बाऊ जी बैठ जाओ न । मगर मैं सिर हिला व इशारे के साथ न कर दी।<br></br>“बाऊ जी,दस दे देना,मगर मैं चलता रहा, फिर उस पास आकर कहा,चलो पाँच ही दे देना।"<br></br>“अरे भाई, बात पाँच या दस की नहीं, मैंने कहा। मैं बैठना नहीं चाहता।"<br></br> आखिर मैं रिक्शे पर बैठ कर…</p>
<p> ड्यूटी के बाद मैं घर को पैदल चल पड़ा। ऐसा आजकल मैं अकसर ही करता हूँ। कयूँकि डाक्टर ने मुझे ज्यादातर पैदल चलने को कहा है। कुछ कदम चलते ही मेरे साथ रिक्शा चलने लगा।<br/>चलते हुए बार बार रिक्शे वाला बैठने को कहता।<br/>इस बार उस के कहने में एक तरला कि बाऊ जी बैठ जाओ न । मगर मैं सिर हिला व इशारे के साथ न कर दी।<br/>“बाऊ जी,दस दे देना,मगर मैं चलता रहा, फिर उस पास आकर कहा,चलो पाँच ही दे देना।"<br/>“अरे भाई, बात पाँच या दस की नहीं, मैंने कहा। मैं बैठना नहीं चाहता।"<br/> आखिर मैं रिक्शे पर बैठ कर घर की तरफ चल पड़ा। “बाऊ जी, अब ये तो जुआ है, अगर सवारी मिल गई तो जीत, नहीं तो , हारा और ये हार कहाँ ले जाए, हमें कुछ पता नहीं।<br/>गेट पर खड़ी बीवी ने पूछा, "ठीक तो हो आप ।"<br/>मैंने जेब से नोट निकाल कर उसे दिया और गेट अंदर जाते हुए, सोच रहा हूँ कि जुआ हार जीत जाने की तरह, क्या रिक्शे वाला भी जीत गया कि हारा इस खेल में ?</p> मेरे निवेदन पर भी ध्यान दें भ…tag:openbooksonline.com,2018-07-05:5170231:Comment:9383912018-07-05T06:44:06.076ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>मेरे निवेदन पर भी ध्यान दें भाई ।</p>
<p>मेरे निवेदन पर भी ध्यान दें भाई ।</p> आदरनीय समर जी, लघुकथा की तनक…tag:openbooksonline.com,2018-07-05:5170231:Comment:9385082018-07-05T06:39:42.835ZMohan Begowalhttp://openbooksonline.com/profile/MohanBegowal
<p> आदरनीय समर जी, लघुकथा की तनकीद के लिए शुक्रिया ।अपनी इस कमी को सुधारने की कोशिश करूंगा।</p>
<p> आदरनीय समर जी, लघुकथा की तनकीद के लिए शुक्रिया ।अपनी इस कमी को सुधारने की कोशिश करूंगा।</p> जनाब मोहन बेगोवाल जी आदाब, लघ…tag:openbooksonline.com,2018-07-05:5170231:Comment:9383892018-07-05T06:23:38.831ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब मोहन बेगोवाल जी आदाब, लघुकथा का प्रयास अच्छा हुआ है,लेकिन जुमले कुछ अधूरे से हैं, कुछ और कसावट की ज़रूरत है, बहरहाल कथानक अच्छा है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>एक निवेदन ये है कि मंच पर आई हुई रचनाएँ भी आपकी बहुमूल्य टिप्पणी की प्रतीक्षा में रहती हैं,उन पर भी ध्यान दें,और मंच पर अपनी सक्रियता दिखाएँ ।</p>
<p>जनाब मोहन बेगोवाल जी आदाब, लघुकथा का प्रयास अच्छा हुआ है,लेकिन जुमले कुछ अधूरे से हैं, कुछ और कसावट की ज़रूरत है, बहरहाल कथानक अच्छा है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>एक निवेदन ये है कि मंच पर आई हुई रचनाएँ भी आपकी बहुमूल्य टिप्पणी की प्रतीक्षा में रहती हैं,उन पर भी ध्यान दें,और मंच पर अपनी सक्रियता दिखाएँ ।</p> सच है, अगर सवारी मिल गई तो ज…tag:openbooksonline.com,2018-07-05:5170231:Comment:9383872018-07-05T05:42:07.321ZNeelam Upadhyayahttp://openbooksonline.com/profile/NeelamUpadhyaya
<p>सच है, अगर सवारी मिल गई तो जीत नहीं तो हार होती है। कुआं खोद कर पानी पीने जैसा है रिक्शेवाले की रोजमर्रा की जिंदगी। <br/>बहुत ही अच्छी लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई आदरणीय मोहन बेगोवाल जी । </p>
<p>सच है, अगर सवारी मिल गई तो जीत नहीं तो हार होती है। कुआं खोद कर पानी पीने जैसा है रिक्शेवाले की रोजमर्रा की जिंदगी। <br/>बहुत ही अच्छी लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई आदरणीय मोहन बेगोवाल जी । </p>