Comments - असमर्थ ( लघुकथा ) - Open Books Online2024-03-29T09:44:34Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A941215&xn_auth=noआदरणीय मुजफ्फर जी पिता के लिए…tag:openbooksonline.com,2018-07-26:5170231:Comment:9415202018-07-26T10:43:35.311ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooksonline.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय मुजफ्फर जी पिता के लिए वाकई बेहद सुखद होता है ऐसा पल ..आदरणीय तेजवीर जी का सवाल मेरे लिए भी एक सवाल है सादर </p>
<p>आदरणीय मुजफ्फर जी पिता के लिए वाकई बेहद सुखद होता है ऐसा पल ..आदरणीय तेजवीर जी का सवाल मेरे लिए भी एक सवाल है सादर </p> adaab. badhaayi muzaffer bhai…tag:openbooksonline.com,2018-07-24:5170231:Comment:9413262018-07-24T18:10:59.349ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>adaab. badhaayi muzaffer bhai. the last ls the most impressive , effective punchline . told and untold messages in it. father is unable but son is now capable due to good salary. so proud expressed.</p>
<p>adaab. badhaayi muzaffer bhai. the last ls the most impressive , effective punchline . told and untold messages in it. father is unable but son is now capable due to good salary. so proud expressed.</p> जनाब मुज़फ़्फ़र इक़बाल साहिब आदाब…tag:openbooksonline.com,2018-07-24:5170231:Comment:9411772018-07-24T06:24:30.244ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब मुज़फ़्फ़र इक़बाल साहिब आदाब,अच्छी लघुकथा हुई,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब तेजवीर सिंह जी का उठाया प्रश्न मेरे दिमाग़ में भी है?</p>
<p>जनाब मुज़फ़्फ़र इक़बाल साहिब आदाब,अच्छी लघुकथा हुई,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब तेजवीर सिंह जी का उठाया प्रश्न मेरे दिमाग़ में भी है?</p> हार्दिक बधाई आदरणीय मुजफ़्फ़र इ…tag:openbooksonline.com,2018-07-23:5170231:Comment:9412712018-07-23T10:27:15.922ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय मुजफ़्फ़र इक़बाल सिद्दिक़ी जी। बेहतरीन लघुकथा। मेरे मन में एक सवाल उठ रहा है। जब पिता ने जहाज खरीदने की अनुमति दे दी तो फिर आपने अंतिम पंक्ति में यह क्यों लिखा।<span>"असमर्थता व्यक्त करने में गौरव महसूस कर रहे हैं"।</span><span><br/></span></p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय मुजफ़्फ़र इक़बाल सिद्दिक़ी जी। बेहतरीन लघुकथा। मेरे मन में एक सवाल उठ रहा है। जब पिता ने जहाज खरीदने की अनुमति दे दी तो फिर आपने अंतिम पंक्ति में यह क्यों लिखा।<span>"असमर्थता व्यक्त करने में गौरव महसूस कर रहे हैं"।</span><span><br/></span></p> कभी कभी माता पिता की विवशता …tag:openbooksonline.com,2018-07-23:5170231:Comment:9411542018-07-23T08:24:56.107Zbabitaguptahttp://openbooksonline.com/profile/babitagupta631
<p>कभी कभी माता पिता की विवशता बच्चों की इच्छा पूरी ना करने के कारण घर कर जाती हैं,वो टीस कितने भी बड़े हो जाए,मन के किसी कोने छिपी रहती हैं, लेकिन वो वो जीवन की सीख होती हैं। बेहतरीन लघु कथा द्वारा बचपन की छुटपुट यादों को दिलाना।हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सरजी।</p>
<p>कभी कभी माता पिता की विवशता बच्चों की इच्छा पूरी ना करने के कारण घर कर जाती हैं,वो टीस कितने भी बड़े हो जाए,मन के किसी कोने छिपी रहती हैं, लेकिन वो वो जीवन की सीख होती हैं। बेहतरीन लघु कथा द्वारा बचपन की छुटपुट यादों को दिलाना।हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सरजी।</p>