Comments - स्वतंत्रता दिवस पर ३ रचनाएं : - Open Books Online2024-03-29T05:47:25Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A944596&xn_auth=noआदरणीया नीलम उपाध्याय जी सृजन…tag:openbooksonline.com,2018-08-21:5170231:Comment:9454432018-08-21T11:43:46.504ZSushil Sarnahttp://openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीया नीलम उपाध्याय जी सृजन के भावों को आत्मीय स्नेह देने का दिल से शुक्रिया।</p>
<p>आदरणीया नीलम उपाध्याय जी सृजन के भावों को आत्मीय स्नेह देने का दिल से शुक्रिया।</p> आदरणीय सुशिल सरना जी, नमस्कार…tag:openbooksonline.com,2018-08-20:5170231:Comment:9451722018-08-20T10:36:58.875ZNeelam Upadhyayahttp://openbooksonline.com/profile/NeelamUpadhyaya
<p>आदरणीय सुशिल सरना जी, नमस्कार। वर्तमान में समाज में व्याप्त विसंगतियों कटाक्ष करती बहुत ही सूंदर रचना। प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें। </p>
<p>आदरणीय सुशिल सरना जी, नमस्कार। वर्तमान में समाज में व्याप्त विसंगतियों कटाक्ष करती बहुत ही सूंदर रचना। प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें। </p> आदरणीया समर कबीर साहिब , आदाब…tag:openbooksonline.com,2018-08-17:5170231:Comment:9448592018-08-17T10:28:25.359ZSushil Sarnahttp://openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीया समर कबीर साहिब , आदाब ... सृजन के भावों को अपनी आत्मीय प्रशंसा से अलंकृत करने का दिल से आभार। सृजन आपकी मन मुदित करती प्रशंसा का आभार है। सर आपकी पैनी दृष्टि का मैं कायल हूँ। आपका मार्गदर्शन सदा मेरे सृजन को सशक्त करता है। इस हेतु आपका तहे दिल से शुक्रिया।</p>
<p>आदरणीया समर कबीर साहिब , आदाब ... सृजन के भावों को अपनी आत्मीय प्रशंसा से अलंकृत करने का दिल से आभार। सृजन आपकी मन मुदित करती प्रशंसा का आभार है। सर आपकी पैनी दृष्टि का मैं कायल हूँ। आपका मार्गदर्शन सदा मेरे सृजन को सशक्त करता है। इस हेतु आपका तहे दिल से शुक्रिया।</p> आदरणीया सुरेन्द्र नाथ सिंह जी…tag:openbooksonline.com,2018-08-17:5170231:Comment:9447852018-08-17T10:22:44.705ZSushil Sarnahttp://openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीया सुरेन्द्र नाथ सिंह जी सृजन आपकी मन मुदित करती प्रशंसा का आभार है।</p>
<p>आदरणीया सुरेन्द्र नाथ सिंह जी सृजन आपकी मन मुदित करती प्रशंसा का आभार है।</p> आदरणीया लक्ष्मण धामी जी सृजन…tag:openbooksonline.com,2018-08-17:5170231:Comment:9448582018-08-17T10:21:32.957ZSushil Sarnahttp://openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीया लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया का आभार है।</p>
<p>आदरणीया लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया का आभार है।</p> आदरणीया मो.आरिफ साहिब , आदाब…tag:openbooksonline.com,2018-08-17:5170231:Comment:9446652018-08-17T10:20:29.129ZSushil Sarnahttp://openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीया मो.आरिफ साहिब , आदाब ... सृजन के भावों पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से शुक्रिया।</p>
<p>आदरणीया मो.आरिफ साहिब , आदाब ... सृजन के भावों पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से शुक्रिया।</p> आदरणीया डॉ विजय शंकर जी सृजन…tag:openbooksonline.com,2018-08-17:5170231:Comment:9446642018-08-17T10:19:21.255ZSushil Sarnahttp://openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीया डॉ विजय शंकर जी सृजन के भावों पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से शुक्रिया।</p>
<p>आदरणीया डॉ विजय शंकर जी सृजन के भावों पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से शुक्रिया।</p> आदरणीया बबितागुप्ता जी सृजन क…tag:openbooksonline.com,2018-08-17:5170231:Comment:9449492018-08-17T10:18:10.976ZSushil Sarnahttp://openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीया बबितागुप्ता जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से शुक्रिया।</p>
<p>आदरणीया बबितागुप्ता जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से शुक्रिया।</p> जनाब सुशील सरना जी आदाब,क्या…tag:openbooksonline.com,2018-08-16:5170231:Comment:9448472018-08-16T17:19:57.609ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सुशील सरना जी आदाब,क्या तारीफ़ करूँ इन रचनाओं की,वाह बहुत ख़ूब, बेहद सटीक,और मार्मिक,दिल को छू गईं पहली दो रचनाएँ,लेकिन तीसरी भावनाओं में बह गई, इस बहतरीन प्रस्तुति पर दिल से ढेरों बधाइयाँ स्वीकार करें ।</p>
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<p>'<span>किर्चियों सी बिखरने लगी'--"किर्चियों सी बिखरने लगीं"</span></p>
<p><span>' वीरों ने कसमें खाई तो'--"वीरों ने क़समें खाईं तो"</span></p>
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<p>जनाब सुशील सरना जी आदाब,क्या तारीफ़ करूँ इन रचनाओं की,वाह बहुत ख़ूब, बेहद सटीक,और मार्मिक,दिल को छू गईं पहली दो रचनाएँ,लेकिन तीसरी भावनाओं में बह गई, इस बहतरीन प्रस्तुति पर दिल से ढेरों बधाइयाँ स्वीकार करें ।</p>
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<p>'<span>किर्चियों सी बिखरने लगी'--"किर्चियों सी बिखरने लगीं"</span></p>
<p><span>' वीरों ने कसमें खाई तो'--"वीरों ने क़समें खाईं तो"</span></p>
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<p></p> आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवाद…tag:openbooksonline.com,2018-08-16:5170231:Comment:9448352018-08-16T07:59:42.293Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। देश की वर्तमान विसंगतियों पर बढ़िया प्रहार किया है आपने अपनी कलम से। बधाई स्वीकार कीजिये
आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। देश की वर्तमान विसंगतियों पर बढ़िया प्रहार किया है आपने अपनी कलम से। बधाई स्वीकार कीजिये