Comments - घूंघट - लघुकथा – - Open Books Online2024-03-28T17:24:23Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A945008&xn_auth=noहार्दिक आभार आदरणीय नीता कसार…tag:openbooksonline.com,2018-08-22:5170231:Comment:9456302018-08-22T08:22:47.592ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक आभार आदरणीय नीता कसार जी।</p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीय नीता कसार जी।</p> घूँघट शीर्षक आधारित कथा में आ…tag:openbooksonline.com,2018-08-21:5170231:Comment:9454492018-08-21T14:24:08.494ZNita Kasarhttp://openbooksonline.com/profile/NitaKasar
<p>घूँघट शीर्षक आधारित कथा में आपने आज की पुरातन प्रथा पर प्रकाश डाला है ।आज भी अनेकों जगह इस प्रथा का पालन महिलायें करती है ।पर समय के हिसाब बदलाव आज की ज़रूरत है ।उम्दा कथा के लिये बधाई आद० तेजवीर सिंह जी ।</p>
<p>घूँघट शीर्षक आधारित कथा में आपने आज की पुरातन प्रथा पर प्रकाश डाला है ।आज भी अनेकों जगह इस प्रथा का पालन महिलायें करती है ।पर समय के हिसाब बदलाव आज की ज़रूरत है ।उम्दा कथा के लिये बधाई आद० तेजवीर सिंह जी ।</p> हार्दिक आभार आदरणीय नीलम उपाध…tag:openbooksonline.com,2018-08-20:5170231:Comment:9453862018-08-20T16:59:15.373ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक आभार आदरणीय नीलम उपाध्याय जी।</p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीय नीलम उपाध्याय जी।</p> आदरणीय तेजवीर सिंह जी, नमस्का…tag:openbooksonline.com,2018-08-20:5170231:Comment:9453702018-08-20T10:10:14.645ZNeelam Upadhyayahttp://openbooksonline.com/profile/NeelamUpadhyaya
<p>आदरणीय तेजवीर सिंह जी, नमस्कार। घूँघट करने की प्रथा को कुप्रथा कह कर मैं किसी की भावनाओं को आहत नहीं करुँगी लेकिन यही वास्तविकता है कि घूँघट कर लेने मात्र से किसी का सम्मान नहीं हो जाता अगर उस व्यक्ति के प्रति मन में आदर नहीं हो। ये मेरे अपने विचार हैं। ज्वलंत सामाजिक विषय पर बहुत ही बढ़िया लघुकथा। प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें। </p>
<p>आदरणीय तेजवीर सिंह जी, नमस्कार। घूँघट करने की प्रथा को कुप्रथा कह कर मैं किसी की भावनाओं को आहत नहीं करुँगी लेकिन यही वास्तविकता है कि घूँघट कर लेने मात्र से किसी का सम्मान नहीं हो जाता अगर उस व्यक्ति के प्रति मन में आदर नहीं हो। ये मेरे अपने विचार हैं। ज्वलंत सामाजिक विषय पर बहुत ही बढ़िया लघुकथा। प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें। </p> हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर…tag:openbooksonline.com,2018-08-19:5170231:Comment:9453132018-08-19T08:03:05.071ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।</p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।</p> हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मा…tag:openbooksonline.com,2018-08-19:5170231:Comment:9452142018-08-19T08:02:10.191ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी।</p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी।</p> जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,बहुत…tag:openbooksonline.com,2018-08-18:5170231:Comment:9450252018-08-18T09:07:12.960ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p> अंतिम पंक्ति //मुझे तो कालेज…tag:openbooksonline.com,2018-08-18:5170231:Comment:9448822018-08-18T07:23:57.328ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>अंतिम पंक्ति //<span>मुझे तो कालेज वाले वैसे भी कालेज कैंपस में रहने को दबाव डाल रहे हैं"।// के बारे में या बदलाव के बारे में और रचना के राज़ खोलते शीर्षक के बारे में पुनर्विचार किया जा सकता है। कुछ शीर्षक सुझाव स्वाभ्यास हेतु :</span></p>
<p><span>1- घुंंघटा उठा </span></p>
<p><span>2- घूंघट में पीएचडी</span></p>
<p><span>3- घुंघटा उठाता शोध</span></p>
<p><span>4- तूल, दलील और शोध</span></p>
<p><span>5- <strong>कसौटी पर शोध</strong></span></p>
<p><span>आदि</span></p>
<p>अंतिम पंक्ति //<span>मुझे तो कालेज वाले वैसे भी कालेज कैंपस में रहने को दबाव डाल रहे हैं"।// के बारे में या बदलाव के बारे में और रचना के राज़ खोलते शीर्षक के बारे में पुनर्विचार किया जा सकता है। कुछ शीर्षक सुझाव स्वाभ्यास हेतु :</span></p>
<p><span>1- घुंंघटा उठा </span></p>
<p><span>2- घूंघट में पीएचडी</span></p>
<p><span>3- घुंघटा उठाता शोध</span></p>
<p><span>4- तूल, दलील और शोध</span></p>
<p><span>5- <strong>कसौटी पर शोध</strong></span></p>
<p><span>आदि</span></p> हमारे समाज के सभी धर्मों की स…tag:openbooksonline.com,2018-08-18:5170231:Comment:9448802018-08-18T07:16:20.268ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>हमारे समाज के सभी धर्मों की समकालिक बड़ी समस्याओं पर विचार मंथन करने को मज़बूर करती बहुत ही यथार्थपूर्ण, कटाक्षपूर्ण व.प्रवाहमय सामाजिक सरोकार की रचना। हार्दिक बधाइयां आदरणीय <em><strong>तेजवीर सिंह</strong></em> साहिब। इंदौर के गुरुुद्वारे के कक्ष से टिपप्णियां कर रहा हूं। यहां के लघुकथाकारों को सूचित किया, लेकिन रूबरू सम्पर्क के योग अब तक नहीं बने लघुकथा संबंधित मार्गदर्शन हासिल करने बावत।</p>
<p>हमारे समाज के सभी धर्मों की समकालिक बड़ी समस्याओं पर विचार मंथन करने को मज़बूर करती बहुत ही यथार्थपूर्ण, कटाक्षपूर्ण व.प्रवाहमय सामाजिक सरोकार की रचना। हार्दिक बधाइयां आदरणीय <em><strong>तेजवीर सिंह</strong></em> साहिब। इंदौर के गुरुुद्वारे के कक्ष से टिपप्णियां कर रहा हूं। यहां के लघुकथाकारों को सूचित किया, लेकिन रूबरू सम्पर्क के योग अब तक नहीं बने लघुकथा संबंधित मार्गदर्शन हासिल करने बावत।</p>