Comments - भटकना बेहतर (लघुकथा) - Open Books Online2024-03-29T08:20:52Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A945188&xn_auth=noआप सभी आदरणीय सुधीजनों का रचन…tag:openbooksonline.com,2018-10-14:5170231:Comment:9533332018-10-14T08:44:42.883ZDr. Chandresh Kumar Chhatlanihttp://openbooksonline.com/profile/ChandreshKumarChhatlani
<p>आप सभी आदरणीय सुधीजनों का रचना पर आकर मुझे प्रोत्साहित करने और बेहतर लेखन की राह सुझाने के लिए हृदय से आभारी हूँ। निवेदन है की ऐसे ही स्नेह बनाये रखें। सादर,</p>
<p>आप सभी आदरणीय सुधीजनों का रचना पर आकर मुझे प्रोत्साहित करने और बेहतर लेखन की राह सुझाने के लिए हृदय से आभारी हूँ। निवेदन है की ऐसे ही स्नेह बनाये रखें। सादर,</p> बहुत ही संवेदनशील लघु कथा लिख…tag:openbooksonline.com,2018-08-25:5170231:Comment:9462152018-08-25T15:18:25.798Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>बहुत ही संवेदनशील लघु कथा लिखी है आपने.. अंतिम पंक्ति जो किसी भी लघु कथा की जान होती है..अपने आप को चरिथार्त कर रही है..बधाई</p>
<p>बहुत ही संवेदनशील लघु कथा लिखी है आपने.. अंतिम पंक्ति जो किसी भी लघु कथा की जान होती है..अपने आप को चरिथार्त कर रही है..बधाई</p> मन को छूती भावपूर्ण लघुकथा क…tag:openbooksonline.com,2018-08-25:5170231:Comment:9460502018-08-25T09:43:45.369Zvijay nikorehttp://openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>मन को छूती भावपूर्ण लघुकथा के लिए बधाई, चंद्रेश जी।</p>
<p>मन को छूती भावपूर्ण लघुकथा के लिए बधाई, चंद्रेश जी।</p> आ. चंद्रेश जी, अच्छी कथा हुयी…tag:openbooksonline.com,2018-08-23:5170231:Comment:9456412018-08-23T00:28:46.393Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. चंद्रेश जी, अच्छी कथा हुयी है । बधाई स्वीकारें ।</p>
<p>आ. चंद्रेश जी, अच्छी कथा हुयी है । बधाई स्वीकारें ।</p> हार्दिक बधाई आदरणीय चंद्रेश ज…tag:openbooksonline.com,2018-08-22:5170231:Comment:9457092018-08-22T08:29:20.176ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय चंद्रेश जी।लाज़वाब लघुकथा।एक बेहतरीन धमाकेदार प्रस्तुति।समाज में बढ़ती महिला अपराधों की संख्या पर करारा प्रहार।</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय चंद्रेश जी।लाज़वाब लघुकथा।एक बेहतरीन धमाकेदार प्रस्तुति।समाज में बढ़ती महिला अपराधों की संख्या पर करारा प्रहार।</p> शीर्षक पर भी सकारात्मकता लाई…tag:openbooksonline.com,2018-08-21:5170231:Comment:9452972018-08-21T20:02:31.511ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>शीर्षक पर भी सकारात्मकता लाई जा सकती है न?</p>
<p>शीर्षक पर भी सकारात्मकता लाई जा सकती है न?</p> हमेशा की तरह समसामयिक बालिका…tag:openbooksonline.com,2018-08-21:5170231:Comment:9455082018-08-21T20:01:10.669ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>हमेशा की तरह समसामयिक बालिका सरोकार, महिला सरोकार की बेहतरीन सारगर्भित लघुकथा। हार्दिक बधाइयां आदरणीय <em><strong>डॉ. चन्द्रेश कुमार छतलानी </strong></em>साहिब। विचारोत्तेजक है। किन्तुु अंत सकारात्मक, निदानात्मक नहीं हो </p>
सका है। सकारात्मक अंत कई बार उपदेशात्मक या आदर्शवादी बन पड़ता. है! यह एक विडम्बना ही है। फिर भी किसी बेहतर अंत के बारे में सोचा जा सकता है मेरे विचार से। सादर।
<p>हमेशा की तरह समसामयिक बालिका सरोकार, महिला सरोकार की बेहतरीन सारगर्भित लघुकथा। हार्दिक बधाइयां आदरणीय <em><strong>डॉ. चन्द्रेश कुमार छतलानी </strong></em>साहिब। विचारोत्तेजक है। किन्तुु अंत सकारात्मक, निदानात्मक नहीं हो </p>
सका है। सकारात्मक अंत कई बार उपदेशात्मक या आदर्शवादी बन पड़ता. है! यह एक विडम्बना ही है। फिर भी किसी बेहतर अंत के बारे में सोचा जा सकता है मेरे विचार से। सादर। जनाब चन्द्रेश जी आदाब,बहुत उम…tag:openbooksonline.com,2018-08-21:5170231:Comment:9454002018-08-21T13:10:20.569ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब चन्द्रेश जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>आपने लघुकथा के अंत में मंच के नियमनुसार मौलिक व अप्रकाशित नहीं लिखा?</p>
<p>जनाब चन्द्रेश जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>आपने लघुकथा के अंत में मंच के नियमनुसार मौलिक व अप्रकाशित नहीं लिखा?</p> आदरणीय चंद्रेश जी बहुत ही कसी…tag:openbooksonline.com,2018-08-21:5170231:Comment:9453942018-08-21T11:23:02.368ZSushil Sarnahttp://openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीय चंद्रेश जी बहुत ही कसी हुई भावपूर्ण लघुकथा का सृजन हुआ है। वार्ता के अंतिम दौर में यूँ तो दोनों की ही पांच लाइनैं प्रभावी बनी हैं मगर बच्ची की पांच लाइन दिल को लगती है। इस सुंदर लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई।</p>
<p>आदरणीय चंद्रेश जी बहुत ही कसी हुई भावपूर्ण लघुकथा का सृजन हुआ है। वार्ता के अंतिम दौर में यूँ तो दोनों की ही पांच लाइनैं प्रभावी बनी हैं मगर बच्ची की पांच लाइन दिल को लगती है। इस सुंदर लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई।</p> आदरणीय चंद्रेश छतलानी जी आदाब…tag:openbooksonline.com,2018-08-21:5170231:Comment:9452802018-08-21T04:54:24.823ZMohammed Arifhttp://openbooksonline.com/profile/MohammedArif
<p>आदरणीय चंद्रेश छतलानी जी आदाब,</p>
<p> बहुत ही प्रभावोत्पाद और तीव्रता की हद को पार करती लघुकथा । हालाँकि इस तरह की कईं लघुकथाएँ मैं पढ़ चुका हूँ । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>आदरणीय चंद्रेश छतलानी जी आदाब,</p>
<p> बहुत ही प्रभावोत्पाद और तीव्रता की हद को पार करती लघुकथा । हालाँकि इस तरह की कईं लघुकथाएँ मैं पढ़ चुका हूँ । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।</p>