Comments - कुछ भी नहीं बोलती जानकी कभी - Open Books Online2024-03-28T21:35:49Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A948806&xn_auth=noवाह...क्या ही शानदार रचना पढ़न…tag:openbooksonline.com,2018-09-20:5170231:Comment:9494712018-09-20T12:30:48.268Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>वाह...क्या ही शानदार रचना पढ़ने को मिली...पढ़ते हुए भाव अंतस में उतर गया और यही किसी भी रचना के बेहतरीन होने का मापदंड है मेरी नजर में।हार्दिक बधाई आदरणीया..</p>
<p>वाह...क्या ही शानदार रचना पढ़ने को मिली...पढ़ते हुए भाव अंतस में उतर गया और यही किसी भी रचना के बेहतरीन होने का मापदंड है मेरी नजर में।हार्दिक बधाई आदरणीया..</p> आदरणीया अमिता जी, इस प्रभावी…tag:openbooksonline.com,2018-09-20:5170231:Comment:9492922018-09-20T10:40:55.113ZAjay Tiwarihttp://openbooksonline.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीया अमिता जी, इस प्रभावी काव्य प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई.</p>
<p>इस में एक बात खटकने वाली लगी - सीता अग्नि परीक्षा के वक़्त चुप नहीं रही थी. सीता ने उस वक़्त जो कहा था और जिस तरह कहा था वो विश्व साहित्य की अमूल्य धरोहर है और आज भी उतना ही ज्वलंत और सामयिक है :</p>
<p></p>
<p>मदधीनं तु यत्तन्मे हृदयं त्वयि वर्तते<br></br>पराधीनेषु गात्रेषु किं करिष्याम्यनीश्वरा</p>
<p></p>
<p>सहसंवृद्धभावाच्च संसर्गेण च मानद<br></br>यद्यहं ते न विज्ञाता हता तेनास्मि शाश्वतम्</p>
<p></p>
<p>प्रेषितस्ते यदा वीरो…</p>
<p>आदरणीया अमिता जी, इस प्रभावी काव्य प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई.</p>
<p>इस में एक बात खटकने वाली लगी - सीता अग्नि परीक्षा के वक़्त चुप नहीं रही थी. सीता ने उस वक़्त जो कहा था और जिस तरह कहा था वो विश्व साहित्य की अमूल्य धरोहर है और आज भी उतना ही ज्वलंत और सामयिक है :</p>
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<p>मदधीनं तु यत्तन्मे हृदयं त्वयि वर्तते<br/>पराधीनेषु गात्रेषु किं करिष्याम्यनीश्वरा</p>
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<p>सहसंवृद्धभावाच्च संसर्गेण च मानद<br/>यद्यहं ते न विज्ञाता हता तेनास्मि शाश्वतम्</p>
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<p>प्रेषितस्ते यदा वीरो हनूमानवलोककः<br/>लङ्कास्थाहं त्वया वीर किं तदा न विसर्जिता</p>
<p></p>
<p>प्रत्यक्षं वानरेन्द्रस्य त्वद्वाक्यसमनन्तरम्<br/>त्वया संत्यक्तया वीर त्यक्तं स्याज्जीवितं मया</p>
<p></p>
<p>न वृथा ते श्रमोऽयं स्यात्संशये न्यस्य जीवितम्<br/>सुहृज्जनपरिक्लेशो न चायं निष्फलस्तव</p>
<p></p>
<p>त्वया तु नरशार्दूल क्रोधमेवानुवर्तता<br/>लघुनेव मनुष्येण स्त्रीत्वमेव पुरस्कृतम्</p>
<p></p>
<p>अपदेशेन जनकान्नोत्पत्तिर्वसुधातलात्<br/>मम वृत्तं च वृत्तज्ञ बहु ते न पुरस्कृतम्</p>
<p></p>
<p>न प्रमाणीकृतः पाणिर्बाल्ये बालेन पीडितः<br/>मम भक्तिश्च शीलं च सर्वं ते पृष्ठतः कृतम्</p>
<p></p>
<p>सादर</p> आदरणीय समर साहब, ध्यान दिलाने…tag:openbooksonline.com,2018-09-20:5170231:Comment:9494622018-09-20T10:30:56.261ZAjay Tiwarihttp://openbooksonline.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय समर साहब, ध्यान दिलाने के लिए शुक्रिया. टिप्पणी संशोधन के साथ फिर से पोस्ट कर रहा हूँ. </p>
<p>आदरणीय समर साहब, ध्यान दिलाने के लिए शुक्रिया. टिप्पणी संशोधन के साथ फिर से पोस्ट कर रहा हूँ. </p> जनाब अजय तिवारी जी,ये रचना सु…tag:openbooksonline.com,2018-09-19:5170231:Comment:9491782018-09-19T16:33:03.112ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब अजय तिवारी जी,ये रचना सुशील जी की नहीं,मोहतरमा अमिता तिवारी जी की है ।</p>
<p>जनाब अजय तिवारी जी,ये रचना सुशील जी की नहीं,मोहतरमा अमिता तिवारी जी की है ।</p> आ. अमिता जी,अच्छी रचना हुयी ह…tag:openbooksonline.com,2018-09-19:5170231:Comment:9492762018-09-19T13:15:21.113Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p><span>आ. अमिता जी,अच्छी रचना हुयी है,हार्दिक बधाई स</span></p>
<p><span>वीकारें ।</span></p>
<p><span>आ. अमिता जी,अच्छी रचना हुयी है,हार्दिक बधाई स</span></p>
<p><span>वीकारें ।</span></p> आदरणीया अमिता तिवारी जी सुंदर…tag:openbooksonline.com,2018-09-18:5170231:Comment:9491432018-09-18T13:47:02.441ZSushil Sarnahttp://openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीया अमिता तिवारी जी सुंदर और भावपूर्ण रचना। हार्दिक बधाई।</p>
<p>आदरणीया अमिता तिवारी जी सुंदर और भावपूर्ण रचना। हार्दिक बधाई।</p> "अग्नि अग्नि को कैसे झुलसात…tag:openbooksonline.com,2018-09-18:5170231:Comment:9492572018-09-18T11:37:50.024ZGanga Dhar Sharma 'Hindustan'http://openbooksonline.com/profile/GangaDharSharmaHindustan
<p>"अग्नि अग्नि को कैसे झुलसाती</p>
<p> आग थी आग को कैसे जलाती ".....वाह...</p>
<p></p>
<p>"प्रमाणों के बूते भरोसे कब उगते हैं</p>
<p>छलनी जिगर जिस्मों को चुभते हैं"......वाह......वाह.....वाह.....</p>
<p></p>
<p>आदरणीया अमिता तिवारी जी ...</p>
<p>आरम्भ से अंत तक एक सशक्त-सारगर्भित रचना के लिए हार्दिक बधाई...</p>
<p></p>
<p>"अग्नि अग्नि को कैसे झुलसाती</p>
<p> आग थी आग को कैसे जलाती ".....वाह...</p>
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<p>"प्रमाणों के बूते भरोसे कब उगते हैं</p>
<p>छलनी जिगर जिस्मों को चुभते हैं"......वाह......वाह.....वाह.....</p>
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<p>आदरणीया अमिता तिवारी जी ...</p>
<p>आरम्भ से अंत तक एक सशक्त-सारगर्भित रचना के लिए हार्दिक बधाई...</p>
<p></p> आद0 अमिता तिवारी जी सादर अभिव…tag:openbooksonline.com,2018-09-18:5170231:Comment:9493232018-09-18T09:05:51.310Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 अमिता तिवारी जी सादर अभिवादन।बढ़िया रचना लिखी है आपने,, पर पर एक बात कहूँगा, अतुकांत रचना में तुकांतता के सयास से बचना और यथासम्भव कम शब्दों में ज्यादा कहना,, को मापदंड रखना चाहिए। बहुत बहुत बधाई आपको।</p>
<p>आद0 अमिता तिवारी जी सादर अभिवादन।बढ़िया रचना लिखी है आपने,, पर पर एक बात कहूँगा, अतुकांत रचना में तुकांतता के सयास से बचना और यथासम्भव कम शब्दों में ज्यादा कहना,, को मापदंड रखना चाहिए। बहुत बहुत बधाई आपको।</p> मुहतरमा अमिता तिवारी जी आदाब,…tag:openbooksonline.com,2018-09-18:5170231:Comment:9493212018-09-18T08:57:19.516ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>मुहतरमा अमिता तिवारी जी आदाब,अच्छी रचना है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>मुहतरमा अमिता तिवारी जी आदाब,अच्छी रचना है,बधाई स्वीकार करें ।</p> आदरणीया अमिता तिवारी जी, नमस्…tag:openbooksonline.com,2018-09-17:5170231:Comment:9492202018-09-17T09:25:05.077ZNeelam Upadhyayahttp://openbooksonline.com/profile/NeelamUpadhyaya
<p>आदरणीया अमिता तिवारी जी, नमस्कार। बहुत ही सुंदरता से उकेरा है सीता के पात्र को। बहुत बहुत बधाई। </p>
<p>आदरणीया अमिता तिवारी जी, नमस्कार। बहुत ही सुंदरता से उकेरा है सीता के पात्र को। बहुत बहुत बधाई। </p>