Comments - असली विसर्जन- लघुकथा - Open Books Online2024-03-28T08:45:32Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A949130&xn_auth=noबहुत बहुत शुक्रिया आ बृजेश कु…tag:openbooksonline.com,2018-09-21:5170231:Comment:9496072018-09-21T08:07:50.278Zविनय कुमारhttp://openbooksonline.com/profile/vinayakumarsingh
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आ<span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar" class="fn url">बृजेश कुमार 'ब्रज'</a> जी</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आ<span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar" class="fn url">बृजेश कुमार 'ब्रज'</a> जी</p> बहुत ही अच्छी भावपूर्ण लघुकथा…tag:openbooksonline.com,2018-09-21:5170231:Comment:9493892018-09-21T04:54:51.646Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>बहुत ही अच्छी भावपूर्ण लघुकथा लिखी है आदरणीय...</p>
<p>बहुत ही अच्छी भावपूर्ण लघुकथा लिखी है आदरणीय...</p> बहुत बहुत आभार आ मुहतरम समर क…tag:openbooksonline.com,2018-09-20:5170231:Comment:9491942018-09-20T06:10:25.967Zविनय कुमारhttp://openbooksonline.com/profile/vinayakumarsingh
<p>बहुत बहुत आभार आ मुहतरम समर कबीर साहब</p>
<p>बहुत बहुत आभार आ मुहतरम समर कबीर साहब</p> बहुत बहुत आभार आदरणीय अजय तिव…tag:openbooksonline.com,2018-09-20:5170231:Comment:9493662018-09-20T06:09:56.273Zविनय कुमारhttp://openbooksonline.com/profile/vinayakumarsingh
<p>बहुत बहुत आभार आदरणीय अजय तिवारी जी, इतनी खूबसूरत टिपण्णी पढ़कर दिल को सुकून मिल गया. उम्मीद है आप आगे भी स्नेह बनाये रखेंगे</p>
<p>बहुत बहुत आभार आदरणीय अजय तिवारी जी, इतनी खूबसूरत टिपण्णी पढ़कर दिल को सुकून मिल गया. उम्मीद है आप आगे भी स्नेह बनाये रखेंगे</p> जनाब विनय कुमार जी आदाब,बहुत…tag:openbooksonline.com,2018-09-19:5170231:Comment:9494542018-09-19T16:54:32.071ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब विनय कुमार जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब विनय कुमार जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p> आदरणीय विनय जी, साधारण के माध…tag:openbooksonline.com,2018-09-19:5170231:Comment:9493532018-09-19T12:44:56.063ZAjay Tiwarihttp://openbooksonline.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय विनय जी, साधारण के माध्यम से असाधारण को प्रस्तुत करना कोई आप से सीखे. आपकी कथाएं धीमे सुर के मार्मिक संगीत की तरह है. एक और छू लेने वाली कथा के लिए हार्दिक बधाई. </p>
<p>आदरणीय विनय जी, साधारण के माध्यम से असाधारण को प्रस्तुत करना कोई आप से सीखे. आपकी कथाएं धीमे सुर के मार्मिक संगीत की तरह है. एक और छू लेने वाली कथा के लिए हार्दिक बधाई. </p> बहुत बहुत आभार आ तेज वीर सिंह…tag:openbooksonline.com,2018-09-19:5170231:Comment:9491642018-09-19T11:34:59.093Zविनय कुमारhttp://openbooksonline.com/profile/vinayakumarsingh
<p>बहुत बहुत आभार आ तेज वीर सिंह जी</p>
<p>बहुत बहुत आभार आ तेज वीर सिंह जी</p> बहुत बहुत आभार आ लक्ष्मण धामी…tag:openbooksonline.com,2018-09-19:5170231:Comment:9491632018-09-19T11:34:27.291Zविनय कुमारhttp://openbooksonline.com/profile/vinayakumarsingh
<p>बहुत बहुत आभार आ<span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami" class="fn url">लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर</a> जी</p>
<p>बहुत बहुत आभार आ<span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami" class="fn url">लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर</a> जी</p> बहुत बहुत आभार आ सुशील सरना जीtag:openbooksonline.com,2018-09-19:5170231:Comment:9491622018-09-19T11:34:03.948Zविनय कुमारhttp://openbooksonline.com/profile/vinayakumarsingh
<p>बहुत बहुत आभार आ सुशील सरना जी</p>
<p>बहुत बहुत आभार आ सुशील सरना जी</p> हार्दिक बधाई आदरणीय विनय जी।…tag:openbooksonline.com,2018-09-19:5170231:Comment:9494362018-09-19T06:28:43.342ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय विनय जी। बेहतरीन लघुकथा। मनुष्य अगर अपनी बुरी आदतों पर विजय प्राप्त कर ले तो इससे बढ़कर कोई विसर्जन नहीं है।</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय विनय जी। बेहतरीन लघुकथा। मनुष्य अगर अपनी बुरी आदतों पर विजय प्राप्त कर ले तो इससे बढ़कर कोई विसर्जन नहीं है।</p>