Comments - ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-29T05:57:17Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A955473&xn_auth=noआदरणीय लक्ष्मण धामी जी सादर न…tag:openbooksonline.com,2018-11-07:5170231:Comment:9598932018-11-07T02:15:49.420Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सादर नमन! हौंसलाफ़ज़ाई के लिए सादर आभार</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सादर नमन! हौंसलाफ़ज़ाई के लिए सादर आभार</p> आदरणीय बृजेश भाई जी श्सआदर नम…tag:openbooksonline.com,2018-11-07:5170231:Comment:9601392018-11-07T02:14:51.165Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
<p>आदरणीय बृजेश भाई जी श्सआदर नमन! हौलाफ़ज़ाई के लिए सादर आभार।</p>
<p>आदरणीय बृजेश भाई जी श्सआदर नमन! हौलाफ़ज़ाई के लिए सादर आभार।</p> आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी साहब…tag:openbooksonline.com,2018-11-07:5170231:Comment:9601382018-11-07T02:13:42.463Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
<p>आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी साहब सादर नमन! आपके स्नेह से प्रफुल्लित हूँ। यह आपकी मुझ नाचीज पर मुहब्बत ही है जो ऐसी उपमा का प्रयोग आपने किया जिसके लायक शायद ही इस जिंदगी में हो पाऊँ। बहुत-बहुत शुक्रिया। ये स्नेह बना रहे! आपको भी सपरिवार दीपोत्सव की असीम शुभकामनाएं!</p>
<p>आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी साहब सादर नमन! आपके स्नेह से प्रफुल्लित हूँ। यह आपकी मुझ नाचीज पर मुहब्बत ही है जो ऐसी उपमा का प्रयोग आपने किया जिसके लायक शायद ही इस जिंदगी में हो पाऊँ। बहुत-बहुत शुक्रिया। ये स्नेह बना रहे! आपको भी सपरिवार दीपोत्सव की असीम शुभकामनाएं!</p> आदरणीय समर कबीर जी सादर नमन!…tag:openbooksonline.com,2018-11-07:5170231:Comment:9599722018-11-07T02:09:32.356Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
<p style="text-align: right;">आदरणीय समर कबीर जी सादर नमन! हौंसलाफ़ज़ाई के लिए तहेदिल शुक्रिया। स्ल। गोल्डनजुब्ली मुशायरे के ऐतिहासिक आयोजन में शिरकत न कर पाने का मलाल है। व्यस्तता इतनी है कि समय निकाल पाना ही मुश्किल हो रहा है। संक्षिप्त समय में कुछ कहने की कोशिश भी की थी, मगर कामयाब नहीं हो पाया। सादर</p>
<p style="text-align: right;">आदरणीय समर कबीर जी सादर नमन! हौंसलाफ़ज़ाई के लिए तहेदिल शुक्रिया। स्ल। गोल्डनजुब्ली मुशायरे के ऐतिहासिक आयोजन में शिरकत न कर पाने का मलाल है। व्यस्तता इतनी है कि समय निकाल पाना ही मुश्किल हो रहा है। संक्षिप्त समय में कुछ कहने की कोशिश भी की थी, मगर कामयाब नहीं हो पाया। सादर</p> वाह। नूर-ए-ग़ज़ल। ग़ज़लालोक। …tag:openbooksonline.com,2018-11-06:5170231:Comment:9599472018-11-06T06:34:01.221ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>वाह। नूर-ए-ग़ज़ल। ग़ज़लालोक। आस्था, आत्मविश्वास, हक़ीक़त, मुहब्बत-अख़लाक़ की संदेशवाहक बेहतरीन रचना हेतु हार्दिक बधाई। दीपोत्सव पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं मुहतरम जनाब <em><strong>सतविंद्र कुमार राणा</strong></em> साहिब।</p>
<p>वाह। नूर-ए-ग़ज़ल। ग़ज़लालोक। आस्था, आत्मविश्वास, हक़ीक़त, मुहब्बत-अख़लाक़ की संदेशवाहक बेहतरीन रचना हेतु हार्दिक बधाई। दीपोत्सव पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं मुहतरम जनाब <em><strong>सतविंद्र कुमार राणा</strong></em> साहिब।</p> ख. भाई सतविन्द्र जी, अच्छी गज…tag:openbooksonline.com,2018-10-24:5170231:Comment:9578362018-10-24T14:11:14.494Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>ख. भाई सतविन्द्र जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>ख. भाई सतविन्द्र जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p> आदरणीय सतविंद्र जी बढ़िया ग़ज़ल…tag:openbooksonline.com,2018-10-23:5170231:Comment:9578132018-10-23T11:30:05.756Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>आदरणीय सतविंद्र जी बढ़िया ग़ज़ल कही है..सादर</p>
<p>आदरणीय सतविंद्र जी बढ़िया ग़ज़ल कही है..सादर</p> जनाब सतविन्द्र कुमार राणा जी…tag:openbooksonline.com,2018-10-22:5170231:Comment:9574972018-10-22T17:20:55.447ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सतविन्द्र कुमार राणा जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>आपने ओबी ओ के गोल्डन जुबली मुशायरे में शिर्कत नहीं की?</p>
<p>जनाब सतविन्द्र कुमार राणा जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>आपने ओबी ओ के गोल्डन जुबली मुशायरे में शिर्कत नहीं की?</p>