Comments - मानव छंद में प्रयास : - Open Books Online2024-03-29T05:44:11Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A957577&xn_auth=noआदरणीय रामबली गुप्ता जी सृजन…tag:openbooksonline.com,2018-10-26:5170231:Comment:9583272018-10-26T12:40:19.182ZSushil Sarnahttp://openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीय रामबली गुप्ता जी सृजन एवं प्रयास के दिल से सराहना एवं सुझाव का दिल से आभार। मैं इसे अभी एडिट कर पुनः पोस्ट करता हूँ। तहे दिल से शुक्रिया।</p>
<p>आदरणीय रामबली गुप्ता जी सृजन एवं प्रयास के दिल से सराहना एवं सुझाव का दिल से आभार। मैं इसे अभी एडिट कर पुनः पोस्ट करता हूँ। तहे दिल से शुक्रिया।</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन प…tag:openbooksonline.com,2018-10-26:5170231:Comment:9580972018-10-26T12:40:09.112ZSushil Sarnahttp://openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन पर आपकी मधुर प्रशंसा का दिल से आभार। <br/><br/></p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन पर आपकी मधुर प्रशंसा का दिल से आभार। <br/><br/></p> आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब .…tag:openbooksonline.com,2018-10-26:5170231:Comment:9581672018-10-26T12:39:58.140ZSushil Sarnahttp://openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब .. सर प्रयास को मान देने का दिल से आभार। <br/><br/></p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब .. सर प्रयास को मान देने का दिल से आभार। <br/><br/></p> आदरणीय सुशील भाई जी। सुंदर छं…tag:openbooksonline.com,2018-10-26:5170231:Comment:9581562018-10-26T11:30:54.038Zरामबली गुप्ताhttp://openbooksonline.com/profile/RAMBALIGUPTA
<p>आदरणीय सुशील भाई जी। सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई स्वीकारें।</p>
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<p>तृतीय छंद में कुछ गुंजाईश है। प्रवाह बाधित हो रहा है। रैन को रैना और संग को सँग कर लीजिए। इसी प्रकार 'तृषा से तृप्ति हारी है' के स्थान पर 'तृप्ति तृषा से हारी है' कर लीजिए। </p>
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<p>बाकी सब शुभ शुभ।सादर</p>
<p>आदरणीय सुशील भाई जी। सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई स्वीकारें।</p>
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<p>तृतीय छंद में कुछ गुंजाईश है। प्रवाह बाधित हो रहा है। रैन को रैना और संग को सँग कर लीजिए। इसी प्रकार 'तृषा से तृप्ति हारी है' के स्थान पर 'तृप्ति तृषा से हारी है' कर लीजिए। </p>
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<p>बाकी सब शुभ शुभ।सादर</p> आ. भाई सुशील जी, अच्छी रचना ह…tag:openbooksonline.com,2018-10-24:5170231:Comment:9579532018-10-24T20:52:40.347Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सुशील जी, अच्छी रचना हुयी है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई सुशील जी, अच्छी रचना हुयी है । हार्दिक बधाई ।</p> जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छा…tag:openbooksonline.com,2018-10-24:5170231:Comment:9579322018-10-24T10:29:36.839ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>