Comments - ग़ज़ल-3 (ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा बस एक पल में आ गया) - Open Books Online2024-03-28T13:42:27Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A961131&xn_auth=noग़ज़ल सीखने के लिए 'वीनस केसरी'…tag:openbooksonline.com,2018-11-16:5170231:Comment:9610622018-11-16T06:06:17.301ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>ग़ज़ल सीखने के लिए 'वीनस केसरी'साहिब की किताब "ग़ज़ल की बाबत" बहुत उपयोगी है,अनाजोंन पर सर्च करें, आन लाइन मिल जाएगी ।</p>
<p>ग़ज़ल सीखने के लिए 'वीनस केसरी'साहिब की किताब "ग़ज़ल की बाबत" बहुत उपयोगी है,अनाजोंन पर सर्च करें, आन लाइन मिल जाएगी ।</p> आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब. इ…tag:openbooksonline.com,2018-11-16:5170231:Comment:9612392018-11-16T06:05:47.469Zराज़ नवादवीhttp://openbooksonline.com/profile/RazNawadwi
<p>आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब. इस इस्लाह का तहे दिल से शुक्रिया. आज एक और बात पता लगी. सादर. </p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब. इस इस्लाह का तहे दिल से शुक्रिया. आज एक और बात पता लगी. सादर. </p> आदरणीय भाई क़मर जौनपुरी साहब,…tag:openbooksonline.com,2018-11-16:5170231:Comment:9612382018-11-16T06:04:06.004Zराज़ नवादवीhttp://openbooksonline.com/profile/RazNawadwi
<p><span>आदरणीय भाई क़मर जौनपुरी साहब, जो आदरणीय समर कबीर साहब कह रहे हैं, वो ही हस्बे काइदा है, मैं भी आपकी तरह एक तालिबे इल्म हूँ, बस जनाब समर कबीर साहब की शागिर्दी में कुछ सीख लेने की तमन्ना है. सादर </span></p>
<p><span>आदरणीय भाई क़मर जौनपुरी साहब, जो आदरणीय समर कबीर साहब कह रहे हैं, वो ही हस्बे काइदा है, मैं भी आपकी तरह एक तालिबे इल्म हूँ, बस जनाब समर कबीर साहब की शागिर्दी में कुछ सीख लेने की तमन्ना है. सादर </span></p> शुक्रिया जनाब समर कबीर साहब।…tag:openbooksonline.com,2018-11-16:5170231:Comment:9612372018-11-16T06:02:35.419Zक़मर जौनपुरीhttp://openbooksonline.com/profile/Kamaruddin
शुक्रिया जनाब समर कबीर साहब। अब और अच्छी तरह समझ में आ गया।
शुक्रिया जनाब समर कबीर साहब। अब और अच्छी तरह समझ में आ गया। //
कृपया देखें, "अब मसीहा सर…tag:openbooksonline.com,2018-11-16:5170231:Comment:9613192018-11-16T05:49:39.674ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>// </p>
<p>कृपया देखें, "अब मसीहा सर झुका कर ख़ूब सेवा में लगे' इस मिसरे में भी 'झुका कर' में ऐबे तनाफुर तो रह ही गया.//</p>
<p>जनाब राज़ साहिब "झुका कर"में ऐब-ए-तनाफ़ुर नहीं है,वो इसलिए कि "झुका" शब्द के "क" में आ की मात्रा है,"झुक कर'' शब्द होता तब ये दोष होता,उम्मीद है आप समझ गए होंगे ।</p>
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<p>कृपया देखें, "अब मसीहा सर झुका कर ख़ूब सेवा में लगे' इस मिसरे में भी 'झुका कर' में ऐबे तनाफुर तो रह ही गया.//</p>
<p>जनाब राज़ साहिब "झुका कर"में ऐब-ए-तनाफ़ुर नहीं है,वो इसलिए कि "झुका" शब्द के "क" में आ की मात्रा है,"झुक कर'' शब्द होता तब ये दोष होता,उम्मीद है आप समझ गए होंगे ।</p> बहुत बहुत शुक्रिया जनाब राज़ न…tag:openbooksonline.com,2018-11-16:5170231:Comment:9610612018-11-16T05:28:59.495Zक़मर जौनपुरीhttp://openbooksonline.com/profile/Kamaruddin
बहुत बहुत शुक्रिया जनाब राज़ नवादवी साहब।<br />
पहले मिसरे को मैंने जनाब समर कबीर की इस्लाह के हिसाब से कर दिया है -वो मिले.... कर दिया है। दूसरे को आपके सुझाव के अनुसार।<br />
अब इस ऐब को थोड़ा समझ गया हूँ। उम्मीद है आगे से नहीं होगा।<br />
बहुत बहुत शुक्रिया आप दोनों मोहतरम को।
बहुत बहुत शुक्रिया जनाब राज़ नवादवी साहब।<br />
पहले मिसरे को मैंने जनाब समर कबीर की इस्लाह के हिसाब से कर दिया है -वो मिले.... कर दिया है। दूसरे को आपके सुझाव के अनुसार।<br />
अब इस ऐब को थोड़ा समझ गया हूँ। उम्मीद है आगे से नहीं होगा।<br />
बहुत बहुत शुक्रिया आप दोनों मोहतरम को। आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब. …tag:openbooksonline.com,2018-11-16:5170231:Comment:9611492018-11-16T02:54:49.456Zराज़ नवादवीhttp://openbooksonline.com/profile/RazNawadwi
<p>आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब. </p>
<p></p>
<p><span>कृपया देखें, "अब मसीहा सर <strong>झुका कर</strong> ख़ूब सेवा में लगे' इस मिसरे में भी <strong>'झुका कर'</strong> में ऐबे तनाफुर तो रह ही गया. इसे यूँ कर सकते हैं. </span></p>
<p>"अब मसीहा भी झुका सर ख़ूब सेवा में लगे". सादर </p>
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<p>आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब. </p>
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<p><span>कृपया देखें, "अब मसीहा सर <strong>झुका कर</strong> ख़ूब सेवा में लगे' इस मिसरे में भी <strong>'झुका कर'</strong> में ऐबे तनाफुर तो रह ही गया. इसे यूँ कर सकते हैं. </span></p>
<p>"अब मसीहा भी झुका सर ख़ूब सेवा में लगे". सादर </p>
<p></p> मोहतरम जनाब समर कबीर साहब बहु…tag:openbooksonline.com,2018-11-15:5170231:Comment:9613152018-11-15T18:07:17.951Zक़मर जौनपुरीhttp://openbooksonline.com/profile/Kamaruddin
<p>मोहतरम जनाब समर कबीर साहब बहुत बहुत शुक्रिया। आपने जिन दोषों की चर्चा की उनका नाम ही पहली बार सुन रहा हूँ। उम्मीद है आप मोहतरम उस्तादों की रहनुमाई से धीरे धीरे ज़रूर सीख जाऊंगा। अभी मैं मात्र 10 दिन का विद्यार्थी हूँ ग़ज़ल का।</p>
<p>कोई अच्छी पुस्तक का नाम सुझाएँ जिसे पढ़कर और अच्छी तरह सीख सकूँ।</p>
<p>मोहतरम जनाब समर कबीर साहब बहुत बहुत शुक्रिया। आपने जिन दोषों की चर्चा की उनका नाम ही पहली बार सुन रहा हूँ। उम्मीद है आप मोहतरम उस्तादों की रहनुमाई से धीरे धीरे ज़रूर सीख जाऊंगा। अभी मैं मात्र 10 दिन का विद्यार्थी हूँ ग़ज़ल का।</p>
<p>कोई अच्छी पुस्तक का नाम सुझाएँ जिसे पढ़कर और अच्छी तरह सीख सकूँ।</p> जनब क़मर जौनपुरी साहिब आदाब,अच…tag:openbooksonline.com,2018-11-15:5170231:Comment:9613132018-11-15T17:46:46.446ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनब क़मर जौनपुरी साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल कही आपने, दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।</p>
<p></p>
<p>' <span>तुम मिले तो रूह बोली, रुक सफ़ीना पा गया'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़र है "तुम मिले''</span></p>
<p><span>इस मिसरे को यूँ कर लें:-</span></p>
<p><span>'वो मिले तो रूह बोली तू सफ़ीना पा गया'</span></p>
<p></p>
<p>' <span>अब मसीहा सर झुकाकर खूब सेवा कर रहे'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखें "कर रहे"</span></p>
<p><span>"अब मसीहा सर झुका कर ख़ूब सेवा में…</span></p>
<p>जनब क़मर जौनपुरी साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल कही आपने, दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।</p>
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<p>' <span>तुम मिले तो रूह बोली, रुक सफ़ीना पा गया'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़र है "तुम मिले''</span></p>
<p><span>इस मिसरे को यूँ कर लें:-</span></p>
<p><span>'वो मिले तो रूह बोली तू सफ़ीना पा गया'</span></p>
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<p>' <span>अब मसीहा सर झुकाकर खूब सेवा कर रहे'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखें "कर रहे"</span></p>
<p><span>"अब मसीहा सर झुका कर ख़ूब सेवा में लगे'</span></p>