Comments - ग़ज़ल- बूँद भर जल के लिए लिपटा हूँ काँटों की कली से। - Open Books Online2024-03-29T05:06:42Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A963530&xn_auth=noइस स्नेह के लिए बहुत बहुत आभा…tag:openbooksonline.com,2018-11-27:5170231:Comment:9638452018-11-27T16:05:39.045ZRahul Dangi Panchalhttp://openbooksonline.com/profile/RahulDangi
<p>इस स्नेह के लिए बहुत बहुत आभार जनाब कबीर साहब </p>
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<p>धन्यवाद भाई धामी जी, आपने भूल से अनिल लिख दिया शायद मेरा नाम</p>
<p>इस स्नेह के लिए बहुत बहुत आभार जनाब कबीर साहब </p>
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<p>धन्यवाद भाई धामी जी, आपने भूल से अनिल लिख दिया शायद मेरा नाम</p> आ. भाई अनिल जी, हार्दिक बधाई ।tag:openbooksonline.com,2018-11-26:5170231:Comment:9638242018-11-26T13:49:05.024Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई अनिल जी, हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई अनिल जी, हार्दिक बधाई ।</p> नेरी दुआ है कि आपकी परेशानी ज…tag:openbooksonline.com,2018-11-25:5170231:Comment:9635492018-11-25T19:03:50.077ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>नेरी दुआ है कि आपकी परेशानी जल्द दूर हो जाये ।</p>
<p>नेरी दुआ है कि आपकी परेशानी जल्द दूर हो जाये ।</p> जनाब समर कबीर साहब आपका आभारी…tag:openbooksonline.com,2018-11-25:5170231:Comment:9635452018-11-25T17:41:53.234ZRahul Dangi Panchalhttp://openbooksonline.com/profile/RahulDangi
<p>जनाब समर कबीर साहब आपका आभारी हूँ ग़ज़ल पर मार्ग दर्शन हेतु, </p>
<p>इन दिनों लगभग लेखन से सन्यास ही लिया हुआ था जीवन में कुछ ऐसी ही परिस्थितियों का वर्चस्व है फिलहाल, बस यूं समझ लिजिए की वक्त इम्तिहान ले रहा है। बस आप बडों का आशीर्वाद ना रहे तो हर इम्तिहान से गुजरने का रास्ता मिलता रहेगा । </p>
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<p>भाई राज़ नवादवी जी बहुत बहुत धन्यवाद </p>
<p>जनाब समर कबीर साहब आपका आभारी हूँ ग़ज़ल पर मार्ग दर्शन हेतु, </p>
<p>इन दिनों लगभग लेखन से सन्यास ही लिया हुआ था जीवन में कुछ ऐसी ही परिस्थितियों का वर्चस्व है फिलहाल, बस यूं समझ लिजिए की वक्त इम्तिहान ले रहा है। बस आप बडों का आशीर्वाद ना रहे तो हर इम्तिहान से गुजरने का रास्ता मिलता रहेगा । </p>
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<p>भाई राज़ नवादवी जी बहुत बहुत धन्यवाद </p> जनाब राहुल डांगी जी, आदाब. इ…tag:openbooksonline.com,2018-11-25:5170231:Comment:9635002018-11-25T15:22:44.352Zराज़ नवादवीhttp://openbooksonline.com/profile/RazNawadwi
<p>जनाब राहुल डांगी जी, आदाब. इस ख़ूबसूरत पेशकश पे दाद के साथ मुबारकबाद. सादर. </p>
<p>जनाब राहुल डांगी जी, आदाब. इस ख़ूबसूरत पेशकश पे दाद के साथ मुबारकबाद. सादर. </p> जनाब राहुल डांगी जी आदाब,बहुत…tag:openbooksonline.com,2018-11-25:5170231:Comment:9634942018-11-25T11:58:24.361ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब राहुल डांगी जी आदाब,बहुत समय बाद ओबीओ पर आपकी ग़ज़ल से रूबरू हुआ हूँ,कहाँ रहे भाई ।</p>
<p>ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p>' <span>इश्क़ के सहरा में 'राहुल' प्यास से बदहाल यूँ हूँ'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर है,इसे यूँ कर सकते हैं :;</span></p>
<p><span>'प्यास के सहरा में 'राहुल' इश्क़ से बदहाल यूँ हूँ'</span></p>
<p>जनाब राहुल डांगी जी आदाब,बहुत समय बाद ओबीओ पर आपकी ग़ज़ल से रूबरू हुआ हूँ,कहाँ रहे भाई ।</p>
<p>ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p>' <span>इश्क़ के सहरा में 'राहुल' प्यास से बदहाल यूँ हूँ'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर है,इसे यूँ कर सकते हैं :;</span></p>
<p><span>'प्यास के सहरा में 'राहुल' इश्क़ से बदहाल यूँ हूँ'</span></p>