Comments - हौं पंडितन केर पछलगा *उपन्यास का एक अंश ) - Open Books Online2024-03-29T06:31:10Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A964048&xn_auth=noजनाब डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास…tag:openbooksonline.com,2018-12-05:5170231:Comment:9647112018-12-05T06:06:33.773ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,आपके उपन्यास के अंश पढ़ने के बाद उपन्यास पढ़ने को दिल बेक़रार है,</p>
<p>'जब रात है ऐसी मतवाली</p>
<p>तो सुब्ह का आलम क्या होगा'</p>
<p>बहुत बहुत बधाई आपको ।</p>
<p>जनाब डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,आपके उपन्यास के अंश पढ़ने के बाद उपन्यास पढ़ने को दिल बेक़रार है,</p>
<p>'जब रात है ऐसी मतवाली</p>
<p>तो सुब्ह का आलम क्या होगा'</p>
<p>बहुत बहुत बधाई आपको ।</p> समय मिलते ही पुनः आता हूँ,इस…tag:openbooksonline.com,2018-12-01:5170231:Comment:9644332018-12-01T06:01:04.451ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>समय मिलते ही पुनः आता हूँ,इस प्रस्तुति पर ।</p>
<p>समय मिलते ही पुनः आता हूँ,इस प्रस्तुति पर ।</p>