Comments - सावन आया है - Open Books Online2024-03-29T02:05:46Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A964064&xn_auth=noसूंदर रचनाtag:openbooksonline.com,2018-12-11:5170231:Comment:9651272018-12-11T11:43:28.234ZPHOOL SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/PHOOLSINGH
<p>सूंदर रचना</p>
<p>सूंदर रचना</p> आदरणीय दयाराम मैथानी साहब साद…tag:openbooksonline.com,2018-12-02:5170231:Comment:9645212018-12-02T04:44:22.171ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय दयाराम मैथानी साहब सादर, सृजन को मान देने के लिए आपका हृदयतल से आभार । सादर ।</p>
<p>आदरणीय दयाराम मैथानी साहब सादर, सृजन को मान देने के लिए आपका हृदयतल से आभार । सादर ।</p> आदरणीय श्लेष चंद्राकर जी सादर…tag:openbooksonline.com,2018-12-02:5170231:Comment:9643582018-12-02T04:42:35.572ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय श्लेष चंद्राकर जी सादर , प्रस्तुत गजल को सराहने के लिए आपका बहुत- बहुत आभार । सादर । </p>
<p>आदरणीय श्लेष चंद्राकर जी सादर , प्रस्तुत गजल को सराहने के लिए आपका बहुत- बहुत आभार । सादर । </p> आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमस…tag:openbooksonline.com,2018-12-02:5170231:Comment:9645202018-12-02T04:40:15.258ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p style="text-align: left;">आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमस्कार, मेरे प्रयास को सराहने के लिए आपका बहुत - बहुत आभार । सच है तनाफूर का मुझे ध्यान नहीं रहा है । एक तो आपने संशोधित कर ही दिया है दूसरे को मैं संशोधित कर लेता हूँ । पुनः आपका हार्दिक आभार । सादर ।</p>
<p style="text-align: left;">आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमस्कार, मेरे प्रयास को सराहने के लिए आपका बहुत - बहुत आभार । सच है तनाफूर का मुझे ध्यान नहीं रहा है । एक तो आपने संशोधित कर ही दिया है दूसरे को मैं संशोधित कर लेता हूँ । पुनः आपका हार्दिक आभार । सादर ।</p> आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी,…tag:openbooksonline.com,2018-12-01:5170231:Comment:9643012018-12-01T17:12:08.106ZDayaram Methanihttp://openbooksonline.com/profile/DayaramMethani
<p>आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी, बहुत सुंदर सृजन। बधाई स्वीकार करें।</p>
<p>आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी, बहुत सुंदर सृजन। बधाई स्वीकार करें।</p> बहुत बढिया, अशोक जीtag:openbooksonline.com,2018-12-01:5170231:Comment:9644442018-12-01T10:32:41.081ZShlesh Chandrakarhttp://openbooksonline.com/profile/ShleshChandrakar
<p>बहुत बढिया, अशोक जी</p>
<p>बहुत बढिया, अशोक जी</p> जनाब अशोक कुमार रक्ताले जी आद…tag:openbooksonline.com,2018-12-01:5170231:Comment:9641952018-12-01T05:30:20.595ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब अशोक कुमार रक्ताले जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p>' <span>आसमान पर छाये बादल'</span></p>
<p><span>ये मिसरा मात्रा के हिसाब से ठीक लगता है,लेकिन फ़ेलुन के अरकान पर तक़ती'अ करने पर रुकावट आ रही है,आप चाहें तो मिसरा यूँ कर सकते हैं:-</span></p>
<p><span>'देखो नभ पर छाये बादल''</span></p>
<p></p>
<p><span>' फिर रक्षा बंधन आया है'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखें ।</span></p>
<p></p>
<p>जनाब अशोक कुमार रक्ताले जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p>' <span>आसमान पर छाये बादल'</span></p>
<p><span>ये मिसरा मात्रा के हिसाब से ठीक लगता है,लेकिन फ़ेलुन के अरकान पर तक़ती'अ करने पर रुकावट आ रही है,आप चाहें तो मिसरा यूँ कर सकते हैं:-</span></p>
<p><span>'देखो नभ पर छाये बादल''</span></p>
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<p><span>' फिर रक्षा बंधन आया है'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखें ।</span></p>
<p></p> आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ साहब सादर…tag:openbooksonline.com,2018-12-01:5170231:Comment:9644212018-12-01T05:09:09.285ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ साहब सादर नमस्कार, प्रस्तुत प्रयास पर उत्साहवर्धन के लिए अतिशय आभार । सादर </p>
<p>आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ साहब सादर नमस्कार, प्रस्तुत प्रयास पर उत्साहवर्धन के लिए अतिशय आभार । सादर </p> आदरणीय अशोक रक्ताले जी आदाब,…tag:openbooksonline.com,2018-11-30:5170231:Comment:9642432018-11-30T07:38:00.421ZMohammed Arifhttp://openbooksonline.com/profile/MohammedArif
<p>आदरणीय अशोक रक्ताले जी आदाब,</p>
<p> .. बहुत ही कठिन बह्र पर बहुत ही सरल-सरस शब्दों में लाजवाब ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद स्वीकार करें ।</p>
<p>आदरणीय अशोक रक्ताले जी आदाब,</p>
<p> .. बहुत ही कठिन बह्र पर बहुत ही सरल-सरस शब्दों में लाजवाब ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद स्वीकार करें ।</p>