Comments - राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ९२ - Open Books Online2024-03-28T18:23:50Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A972737&xn_auth=noआ. भाई राज नवादवी जी, सुंदर ग…tag:openbooksonline.com,2019-02-05:5170231:Comment:9728752019-02-05T00:29:47.795Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई राज नवादवी जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>मिसरे को यूँ करने से भाव स्पष्ट हो जायेगा</p>
<p><span>'</span><span> वो ग़ैर सा हुआ है तो पूछेगा हाल क्यों '</span></p>
<p>आ. भाई राज नवादवी जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>मिसरे को यूँ करने से भाव स्पष्ट हो जायेगा</p>
<p><span>'</span><span> वो ग़ैर सा हुआ है तो पूछेगा हाल क्यों '</span></p> जनाब राज़ नवादवी साहिब आदाब,ग़ज़…tag:openbooksonline.com,2019-02-04:5170231:Comment:9728662019-02-04T15:44:29.584ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब राज़ नवादवी साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p>'<span>है जो नहीं वो ग़ैर तो पूछेगा हाल क्यों '</span></p>
<p><span>ये मिसरा स्पष्ट नहीं लगता ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'आसाईशों की चाह की फिर हो मज़ाल क्यों'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'मज़ाल' को "मजाल" करें ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'आएगा ठंढे ख़ून में मेरे उबाल क्यों'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'ठंढे' को "ठंडे" कर लें । </span></p>
<p></p>
<p><span>'परहेज मेरे क़ुर्ब से इतना है जब…</span></p>
<p>जनाब राज़ नवादवी साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p>'<span>है जो नहीं वो ग़ैर तो पूछेगा हाल क्यों '</span></p>
<p><span>ये मिसरा स्पष्ट नहीं लगता ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'आसाईशों की चाह की फिर हो मज़ाल क्यों'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'मज़ाल' को "मजाल" करें ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'आएगा ठंढे ख़ून में मेरे उबाल क्यों'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'ठंढे' को "ठंडे" कर लें । </span></p>
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<p><span>'परहेज मेरे क़ुर्ब से इतना है जब तुझे <br/>आता है मेरे फ़िक़्र में तेरा ख़याल क्यों '</span></p>
<p><span>इस शैर के ऊला में 'परहेज' को "परहेज़" करें और सानी में 'मेरे' को "मेरी" करें,'फ़िक्र' स्त्रीलिंग है ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'</span></p>
<p><span>तुम 'राज़' के कलाम के ग़र हो नहीं मुरीद</span></p>
<p><span>देते हो उसके शेर की सबको मिसाल क्यों'</span></p>
<p><span>इस शैर के ऊला में 'ग़र' को "गर" करें ।</span></p> कृपया मक़ते को इस प्रकार पढ़ें-…tag:openbooksonline.com,2019-02-03:5170231:Comment:9725952019-02-03T10:22:11.303Zराज़ नवादवीhttp://openbooksonline.com/profile/RazNawadwi
<p>कृपया मक़ते को इस प्रकार पढ़ें- </p>
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<p><span>तुम 'राज़' के कलाम के ग़र हो नहीं मुरीद</span></p>
<p><span>देते हो उसके शेर की सबको मिसाल क्यों //८</span></p>
<p>कृपया मक़ते को इस प्रकार पढ़ें- </p>
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<p><span>तुम 'राज़' के कलाम के ग़र हो नहीं मुरीद</span></p>
<p><span>देते हो उसके शेर की सबको मिसाल क्यों //८</span></p>