Comments - कुछ दोहे - क्रोध पर - Open Books Online2024-03-28T21:25:38Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A972959&xn_auth=noप्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभा…tag:openbooksonline.com,2019-02-09:5170231:Comment:9735312019-02-09T16:01:06.471ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p>प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी!</p>
<p>प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी!</p> आ. भाई जवाहर लाल जी, अच्छे दो…tag:openbooksonline.com,2019-02-07:5170231:Comment:9729842019-02-07T23:27:48.723Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई जवाहर लाल जी, अच्छे दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई जवाहर लाल जी, अच्छे दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई ।</p> बहुत बहुत आभार आदरणीय समर कबी…tag:openbooksonline.com,2019-02-07:5170231:Comment:9730442019-02-07T13:31:04.018ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p>बहुत बहुत आभार आदरणीय समर कबीर साहब!</p>
<p>बहुत बहुत आभार आदरणीय समर कबीर साहब!</p> ठीक है भाई ।tag:openbooksonline.com,2019-02-07:5170231:Comment:9730432019-02-07T11:59:17.991ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>ठीक है भाई ।</p>
<p>ठीक है भाई ।</p> आदरणीय समर कबीर साहब, आपका सु…tag:openbooksonline.com,2019-02-07:5170231:Comment:9729752019-02-07T10:30:11.394ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooksonline.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p>आदरणीय समर कबीर साहब, आपका सुझाव स्वागतेय है. मैंने सुधार और सुझाव के लिए ही यहाँ प्रस्तुत किये हैं. </p>
<p>पहले दोहे में - सुधार के रूप में प्रस्तुत कर रहा हूँ </p>
<p>"पर ये सब आते रहे, जीवन में अवरोध". तात्पर्य मेरा यही है कि जीवन में अवरोध के रूप में काम क्रोध आते ही रहते हैं... आप उचित सुझाव देंगे...</p>
<p>व्याकरण की गलती बताने के लिए आपका हार्दिक आभार.. सादर </p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहब, आपका सुझाव स्वागतेय है. मैंने सुधार और सुझाव के लिए ही यहाँ प्रस्तुत किये हैं. </p>
<p>पहले दोहे में - सुधार के रूप में प्रस्तुत कर रहा हूँ </p>
<p>"पर ये सब आते रहे, जीवन में अवरोध". तात्पर्य मेरा यही है कि जीवन में अवरोध के रूप में काम क्रोध आते ही रहते हैं... आप उचित सुझाव देंगे...</p>
<p>व्याकरण की गलती बताने के लिए आपका हार्दिक आभार.. सादर </p> जनाब जवाहर लाल सिंह जी आदाब,अ…tag:openbooksonline.com,2019-02-07:5170231:Comment:9729722019-02-07T09:42:45.547ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब जवाहर लाल सिंह जी आदाब,अच्छे दोहे रचे आपने,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p>'बड़े लोग कहते रहे, जीतो काम व क्रोध.</p>
<p>पर ये तो आते रहे, जीवन के अवरोध.'</p>
<p>इस दोहे की दोनों पंक्तियों में ताल मेल नहीं है,देखियेगा ।</p>
<p></p>
<p>'रोकर देखो ही कभी, मन को मिलता चैन.</p>
<p>बीती बातें भूल जा, त्वरित सुधारो बैन .'</p>
<p>इस दोहे की पहली पंक्ति में 'ही' शब्द भर्ती का है,इसकी जगह 'तो' शब्द उचित होगा,और दूसरी पंक्ति में 'भूल जा' एक वचन है,और 'सुधारो' बहुवचन,इसलिये 'भूल जा' की जगह "भूल…</p>
<p>जनाब जवाहर लाल सिंह जी आदाब,अच्छे दोहे रचे आपने,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p>'बड़े लोग कहते रहे, जीतो काम व क्रोध.</p>
<p>पर ये तो आते रहे, जीवन के अवरोध.'</p>
<p>इस दोहे की दोनों पंक्तियों में ताल मेल नहीं है,देखियेगा ।</p>
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<p>'रोकर देखो ही कभी, मन को मिलता चैन.</p>
<p>बीती बातें भूल जा, त्वरित सुधारो बैन .'</p>
<p>इस दोहे की पहली पंक्ति में 'ही' शब्द भर्ती का है,इसकी जगह 'तो' शब्द उचित होगा,और दूसरी पंक्ति में 'भूल जा' एक वचन है,और 'सुधारो' बहुवचन,इसलिये 'भूल जा' की जगह "भूल कर'' उचित होगा ।</p>