Comments - गज़ल - दिगंबर नासवा -3 - Open Books Online2024-03-28T14:59:24Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A975213&xn_auth=noआदरणीय नासवा जी सूंदर पेशकश ।…tag:openbooksonline.com,2019-02-24:5170231:Comment:9766742019-02-24T16:18:48.004ZHarash Mahajanhttp://openbooksonline.com/profile/HarashMahajan
<p>आदरणीय नासवा जी सूंदर पेशकश । बधाई ।</p>
<p>आदरणीय नासवा जी सूंदर पेशकश । बधाई ।</p> बहुत आभार समर कबीर साहब आपका…tag:openbooksonline.com,2019-02-21:5170231:Comment:9755352019-02-21T03:26:19.428Zदिगंबर नासवाhttp://openbooksonline.com/profile/DigamberNaswa
<p>बहुत आभार समर कबीर साहब आपका इस मार्ग दर्शन के लिए ...</p>
<p>बहुत आभार समर कबीर साहब आपका इस मार्ग दर्शन के लिए ...</p> जी,यही बहतर है,सहीह निर्णय ।tag:openbooksonline.com,2019-02-20:5170231:Comment:9755332019-02-20T16:38:08.762ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जी,यही बहतर है,सहीह निर्णय ।</p>
<p>जी,यही बहतर है,सहीह निर्णय ।</p> सहमत हूँ आदरणीय समर जी ... इस…tag:openbooksonline.com,2019-02-20:5170231:Comment:9752882019-02-20T14:48:44.753Zदिगंबर नासवाhttp://openbooksonline.com/profile/DigamberNaswa
<p>सहमत हूँ आदरणीय समर जी ... इस शेर को खारिज करना ही उचित है ...</p>
<p>सहमत हूँ आदरणीय समर जी ... इस शेर को खारिज करना ही उचित है ...</p> मेरे नज़दीक "चाये" क़ाफ़िया उचित…tag:openbooksonline.com,2019-02-20:5170231:Comment:9752862019-02-20T08:43:24.630ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>मेरे नज़दीक "चाये" क़ाफ़िया उचित नहीं है ।</p>
<p>मेरे नज़दीक "चाये" क़ाफ़िया उचित नहीं है ।</p> बहुत शुक्रिया आदरणीय समर साहब…tag:openbooksonline.com,2019-02-20:5170231:Comment:9755222019-02-20T06:35:12.807Zदिगंबर नासवाhttp://openbooksonline.com/profile/DigamberNaswa
<p>बहुत शुक्रिया आदरणीय समर साहब ... चाय, चाये ... मैंने चाए बना के इस्तेमाल किया है ... वैसे चाय ही ठीक शंड है शायद ...</p>
<p>उम्मीद है ख़ारिज नहीं होगा ये शेर ... </p>
<p>बहुत शुक्रिया आदरणीय समर साहब ... चाय, चाये ... मैंने चाए बना के इस्तेमाल किया है ... वैसे चाय ही ठीक शंड है शायद ...</p>
<p>उम्मीद है ख़ारिज नहीं होगा ये शेर ... </p> जनाब दिगंबर नासवा जी आदाब,ग़ज़ल…tag:openbooksonline.com,2019-02-19:5170231:Comment:9754072019-02-19T08:56:07.976ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब दिगंबर नासवा जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p>'<span>गटक जाए मेरी चाए, तो क्या वो इश्क़ होगा'</span></p>
<p><span>'चाय' कि "चाये"?</span></p>
<p>जनाब दिगंबर नासवा जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p>'<span>गटक जाए मेरी चाए, तो क्या वो इश्क़ होगा'</span></p>
<p><span>'चाय' कि "चाये"?</span></p>