Comments - तरही ग़ज़ल फ़िराक़ साहब के मिसरे पर - Open Books Online2024-03-29T00:22:44Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A977004&xn_auth=noआदरणीय श्री रवि शुक्ला सर, यह…tag:openbooksonline.com,2020-06-17:5170231:Comment:10101992020-06-17T03:14:37.513Zआशीष यादवhttp://openbooksonline.com/profile/Ashishyadav
<p>आदरणीय श्री रवि शुक्ला सर, यह गजल बहुत अच्छी लगी। मैंने कई बार पढ़ा। </p>
<p>आदरणीय श्री रवि शुक्ला सर, यह गजल बहुत अच्छी लगी। मैंने कई बार पढ़ा। </p> Ravi Shukla जी,तरही मिसरे पर…tag:openbooksonline.com,2019-07-19:5170231:Comment:9883852019-07-19T18:11:41.966ZC.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi"http://openbooksonline.com/profile/CMUpadhyayShoonyaAkankshi
<p><span><a class="nolink"> </a><a href="http://openbooksonline.com/profile/RaviShukla">Ravi Shukla</a> जी,<br/>तरही मिसरे पर उम्दा ग़ज़ल | अच्छे अशआर | हार्दिक बधाई | <br/><br/><strong>- शून्य आकांक्षी </strong></span></p>
<p><span><a class="nolink"> </a><a href="http://openbooksonline.com/profile/RaviShukla">Ravi Shukla</a> जी,<br/>तरही मिसरे पर उम्दा ग़ज़ल | अच्छे अशआर | हार्दिक बधाई | <br/><br/><strong>- शून्य आकांक्षी </strong></span></p> आदरणीय रवि सर सादर वन्दन! उम्…tag:openbooksonline.com,2019-03-05:5170231:Comment:9773732019-03-05T08:50:24.773Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
<p>आदरणीय रवि सर सादर वन्दन! उम्दा अशआर कहे हैं। हार्दिक बधाई स्वीकारें</p>
<p>आदरणीय रवि सर सादर वन्दन! उम्दा अशआर कहे हैं। हार्दिक बधाई स्वीकारें</p> वाह,वाहहह,उम्दा ग़ज़ल कहीtag:openbooksonline.com,2019-03-04:5170231:Comment:9773052019-03-04T17:32:51.376ZHariom Shrivastavahttp://openbooksonline.com/profile/HariomShrivastava
<p>वाह,वाहहह,उम्दा ग़ज़ल कही</p>
<p>वाह,वाहहह,उम्दा ग़ज़ल कही</p> खूबसूरत ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक…tag:openbooksonline.com,2019-03-04:5170231:Comment:9773442019-03-04T06:29:05.820Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>खूबसूरत ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी बधाई</p>
<p>खूबसूरत ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी बधाई</p> जो थे साहिल पे तमाशाई यही कहत…tag:openbooksonline.com,2019-03-03:5170231:Comment:9773182019-03-03T06:25:16.790Zनादिर ख़ानhttp://openbooksonline.com/profile/Nadir
<p>जो थे साहिल पे तमाशाई यही कहते थे,</p>
<p>डूबने वाले को अब तक तो उभर जाना था।</p>
<p>बज़्मे अग्यार में है जलवा नुमाई तेरी ,</p>
<p>इस तग़ाफ़ुल पे तेरे मुझको तो मर जाना था। खूबसूरत गज़ल के लिए ढेरों मुबारकबाद आदरणीय रवि शुक्ला साहब </p>
<p></p>
<p>जो थे साहिल पे तमाशाई यही कहते थे,</p>
<p>डूबने वाले को अब तक तो उभर जाना था।</p>
<p>बज़्मे अग्यार में है जलवा नुमाई तेरी ,</p>
<p>इस तग़ाफ़ुल पे तेरे मुझको तो मर जाना था। खूबसूरत गज़ल के लिए ढेरों मुबारकबाद आदरणीय रवि शुक्ला साहब </p>
<p></p> जनाब रवि शुक्ला जी आदाब,अव्वल…tag:openbooksonline.com,2019-03-02:5170231:Comment:9770692019-03-02T09:38:36.390ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब रवि शुक्ला जी आदाब,अव्वल तो ये कि तरही मिसरा 'फ़िराक़'साहिब का नहीं है,टाइटल बदलें ।</p>
<p>ओबीओ के तरही मिसरे पर उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।</p>
<p>जनाब रवि शुक्ला जी आदाब,अव्वल तो ये कि तरही मिसरा 'फ़िराक़'साहिब का नहीं है,टाइटल बदलें ।</p>
<p>ओबीओ के तरही मिसरे पर उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।</p> आदरणीय रवि सर, सादर अभिवादन।…tag:openbooksonline.com,2019-03-01:5170231:Comment:9771652019-03-01T14:40:34.912ZBalram Dhakarhttp://openbooksonline.com/profile/BalramDhakar
<p>आदरणीय रवि सर, सादर अभिवादन।</p>
<p>बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई है । शेर दर शेर के साथ मुबारकबाद पेश है, कुबूल फरमाएँ। </p>
<p></p>
<p><span>जो थे साहिल पे तमाशाई यही कहते थे,</span><br/><span>डूबने वाले को अब तक तो उभर जाना था। इस शेर के लिए अलग से बहुत बहुत बधाई ।</span></p>
<p>सादर। </p>
<p>आदरणीय रवि सर, सादर अभिवादन।</p>
<p>बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई है । शेर दर शेर के साथ मुबारकबाद पेश है, कुबूल फरमाएँ। </p>
<p></p>
<p><span>जो थे साहिल पे तमाशाई यही कहते थे,</span><br/><span>डूबने वाले को अब तक तो उभर जाना था। इस शेर के लिए अलग से बहुत बहुत बधाई ।</span></p>
<p>सादर। </p>