Comments - सच की झूठी जिल्दकारी क्या करूँ .. - Open Books Online2024-03-28T20:16:10Zhttp://openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A977953&xn_auth=noआ. भाई आमोद जी, गजल का प्रयास…tag:openbooksonline.com,2019-03-15:5170231:Comment:9783582019-03-15T13:27:46.899Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई आमोद जी, गजल का प्रयास अच्छा है । हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई आमोद जी, गजल का प्रयास अच्छा है । हार्दिक बधाई।</p> ग़ज़ल का बहुत अच्छा प्रयास किया…tag:openbooksonline.com,2019-03-13:5170231:Comment:9782492019-03-13T14:19:32.976Zsurender insanhttp://openbooksonline.com/profile/surenderinsan
<p>ग़ज़ल का बहुत अच्छा प्रयास किया आपने बहुत बहुत बधाई हो।</p>
<p>ग़ज़ल का बहुत अच्छा प्रयास किया आपने बहुत बहुत बधाई हो।</p> आ समर दादा प्रणाम .. /शुक्रि…tag:openbooksonline.com,2019-03-12:5170231:Comment:9784202019-03-12T08:31:38.875Zamod shrivastav (bindouri)http://openbooksonline.com/profile/amodbindouri
<p>आ समर दादा प्रणाम .. /शुक्रिया </p>
<p>आ समर दादा प्रणाम .. /शुक्रिया </p> जनाब आमोद बिंदौरी जी आदाब,मार…tag:openbooksonline.com,2019-03-12:5170231:Comment:9782262019-03-12T06:28:47.042ZSamar kabeerhttp://openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब आमोद बिंदौरी जी आदाब,मारूफ़ बह्र पर आपके इस प्रयास से आपकी पिछली ग़ज़लों की बनिस्बत ये ग़ज़ल कुछ बहतर कही जा सकती है,हालाँकि इस में भी कुछ शिल्प की कमज़ोरियाँ अवश्य हैं,लेकिन अभ्यास से वो भी दूर हो जाएंगी,शुभेछाएँ, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब आमोद बिंदौरी जी आदाब,मारूफ़ बह्र पर आपके इस प्रयास से आपकी पिछली ग़ज़लों की बनिस्बत ये ग़ज़ल कुछ बहतर कही जा सकती है,हालाँकि इस में भी कुछ शिल्प की कमज़ोरियाँ अवश्य हैं,लेकिन अभ्यास से वो भी दूर हो जाएंगी,शुभेछाएँ, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>